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असील नस्ल की मुर्गी: कड़कनाथ से भी बेहतर अंडा, 1200 रुपए दर्जन!

असील नस्ल की मुर्गी: कड़कनाथ से भी बेहतर अंडा, 1200 रुपए दर्जन!
पोस्ट -09 मार्च 2023 शेयर पोस्ट

असील नस्ल की मुर्गियां ने कड़कनाथ को भी छोड़ा पीछे, बाजारों में इनके अंडों की भारी डिमांड

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज काफी बड़े स्तर पर मुर्गी पालन (Poultry Farming) कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। मुर्गी पालन को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें भी तमाम योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके तहत देशभर के कई हिस्सों में मुर्गी पालन का व्यवसाय तेजी से पैर पसार रहा है। लोगों को इस व्यवसाय से जुड़ने के लिए सरकार द्वारा भारी सब्सिडी और लोन भी दिया जा रहा है। ऐसे में लोग ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन में विभिन्न प्रकार की नस्लों का पालन कर पिछले कुछ सालों अच्छी खासी साइड इनकम हासिल कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में आज लोग मुर्गी पालन अंडे एवं उनके मांस के व्यापार के लिए कर रहे हैं।

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ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन आमदनी बढ़ाने का एक मुख्य व्यवसाय बनकर उभरा है। साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने में यह काफी कारगर साबित हो रहा है। ऐसे में हम आज आपको एक मुर्गी नस्ल के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसने बाजारा डिमांड में कड़कनाथ को भी पीछे छोड़ दिया है। इस नस्ल की मुर्गी के अंडे बाजार में 100 रुपए प्रति नग के हिसाब से बिकते हैं। हम जिस नस्ल की बात करने जा रहे हैं वह मुर्गे या मुर्गियाें की असील नस्ल है। गांवों में इस मुर्गे या मुर्गियों की नस्ल को मुर्गा लड़ाने के खेल के उद्देश्य से पालते हैं और यह काफी महंगे बिकते हैं। इस नस्ल की मुर्गी या मुर्गे का पालन करके आप अच्छी खासी आमदनी कर सकते हैं। इस पोस्ट के जरिये आपको असील नस्ल के मुर्गी (Asil breed chickens) के बारे में जानकारी दी जा रही है।

असील नस्ल साल में देती हैं 60 से 70 अंडे

ग्रामीण इलाकों में आज कई लोग मुर्गी पालन में असील नस्ल की मुर्गी या मुर्गे के पालन कर रहे हैं। असील नस्ल की मुर्गियों का पालन मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। हालांकि असील नस्ल की मुर्गियों की अंडा देने की क्षमता अन्य नस्ल की मुर्गियों से कम होती है। यह साल में मात्र 60 से 70 अंडे ही देती है। लेकिन इसके अंडों की डिमांड बाजार में ज्यादा होती है, जिसके कारण इसके एक अंडे की कीमत 100 रुपए है। बाजार में इसके एक दर्जन अंडे 1200 रुपए तक में मिल जाते हैं। इसके अंडों की इतनी ज्यादा डिमांड होने का एक कारण यह भी है कि इसके अंडे के सेवन से आंखों को काफी लाभ होता है। इस नस्ल के मुर्गे या मुर्गियों की मीट की कीमत भी ज्यादा होती है। ऐसे में ये मुर्गे काफी महंगे बिकते हैं। इस नस्ल का पालन मुनाफे का सौदा है।

इस तरह होती है असील नस्ल के मुर्गें या मुर्गियां

असील मुर्गियां अन्य मुर्गियों की तुलना में काफी अलग हैं। इन नस्ल का पालन  बैकयार्ड फार्म में भी किया जा सकता है। असील नस्ल की मुर्गियों का अंडा उत्पादन  भले ही कम हो, लेकिन अन्य नस्ल की मुर्गियों की तुलना सालभर में इस नस्ल की मुर्गियां से अधिक कमाई हो सकती हैं। मुर्गियों की यह कोई नई किस्म नहीं है, बल्कि यह मुगलों के शासन से चली आ रही है। इस नस्ल के मुर्गें या मुर्गिंयो की प्रवृत्ति लड़ाकू होती है। इनकी गर्दन लंबी और बेलनाकार होती है। असील मुर्गे-मुर्गियों के पैर लंबे, सीधे और मजबूत होते हैं। इनका मुंह लंबा और बेलनाकार होता है। इस नस्ल के मुर्गों का वजन 4 से 5 किलो होता है और इनकी मुर्गियों का वजन 3 से 4 किलो होता हैं। इसके कोकराल (युवा मुर्गे) का औसतन वजन 3.5 से 4.5 किलो तक होता है और पुलैट्स (युवा मुर्गी) का औसतन वजन 2.5 से 3.5 किलो तक होता है।

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इन नामों से बेहद मशहूर है असील नस्ल के मुर्गे-मुर्गियां

असील नस्ल के मुर्गे-मुर्गियां दक्षिणी पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं। इन क्षेत्रों में इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसमें रेजा (हल्की लाल), कागर (काली), यारकिन (काली और लाल), टीकर (भूरी), चित्ता (काले और सफेद), नूरिया 89 (सफेद) और पीला (सुनहरी लाल) आदि नाम से यह मुर्गी की नस्ल बेहद मशूहर है।

गर्मी के मौसम में मुर्गे एवं मुर्गियों का रखे विशेष ध्यान 

आज बढ़ती जनसंख्या के कारण अंडे और मांस के डिमांड में बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण मुर्गी पालन व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों में काफी फेमस हो रहा है। कई बार सही जानकारी के अभाव में घाटा भी उठाना पड़ जाता है। बता दें कि मुर्गे या मुर्गियों का पालन अधिकतर अंडे एवं मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। मुर्गीपालन से कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके व्यवसाय में अच्छे से इनकी देखभाल की जरूर होती है। गर्मी के मौसम में इनमें संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है। इसके अलावा, गर्मी के मौसम में मुर्गियों की अंडा देने की क्षमता भी प्रभावित होती है। ऐसे में गर्मी के दिनों में मुर्गियों के आहार में प्रोटीन, विटामिन व मिनरल की मात्रा अधिक देनी चाहिए। इस मौसम में मुर्गियों के लिए गर्मी उचित तापमान की व्यवस्था करनी चाहिए।

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