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सुपारी की खेती : एक बार पेड़ लगाएं, फिर 70 सालों तक मोटा कमाएं

सुपारी की खेती : एक बार पेड़ लगाएं, फिर 70 सालों तक मोटा कमाएं
पोस्ट -30 जुलाई 2022 शेयर पोस्ट

सुपारी की बाजार में हमेशा रहती है भारी डिमांड

खेती में नए-नए प्रयोग किसानों की आमदनी बढ़ा रहे हैं। औषधीय पदार्थों की खेती अच्छा मुनाफा देने वाली साबित हो रही है। आज हम आपको सुपारी के खेती के बारे में बात कर रहे हैं। एक बार सुपारी के पेड़ तैयार होने के बाद 70 सालों तक जोरदार कमाई होती है। भारत में वर्ष भर सुपारी की जबर्दस्त डिमांड रहती है। सुपारी का प्रयोग धार्मिक कार्यों से लेकर इसके सेवन और अनेक तरह से किया जाता है। एक खास सीमा तक इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद रहता है लेकिन अधिक सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। परंपरागत खेती की जगह अब किसान भाइयों को सुपारी की खेती की ओर भी रुख करना चाहिए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। सुपारी के पेड़ों में फलों  के लिए बस सात-आठ साल इंतजार करना होगा। आइए, आपको ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में सुपारी की खेती के बारे में देते हैं पूरी जानकारी।

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ऐसे करें सुपारी की खेती के लिए भूमि 

यूं तो सुपारी की खेती किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है लेकिन इसके लिए दोमट चिकनी मिट्टी वाली जमीन ज्यादा उपयुक्त रहती है। वहीं भूमि 7 से 8 पीएच मान की हो। इसके लिए ताममान  28 डिग्री के आसपास होना चाहिए। सबसे पहले खेत की जुताई  कर उसमें पाटा लगाएं। सुपारी के पौधों की रोपाई के लिए 2.7 मीटर गहरे गड्ढे तैयार करें। इनका आकार 90 गुणा 90 सेमी का हो। सुपारी के पौधे रोपने के लिए किसान भाइयों को चाहिए कि वे उन्नत नस्ल वाले पौधे लें। 

सुपारी की उन्नत किस्में

सुपारी की उन्नत नस्लों में मंगला, सुमंगला, श्रीमंगला, मोहित नगर, हिरेहल्ली  बौना आदि मुख्य हैं।

केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान ने तैयार की दो संकर प्रजाति

यहां बता दें कि सुपारी की खेती को बढ़ावा देने के लिए हाल ही केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान ने  दो संकर किस्में ईजाद की हैं। इन्हे उगा कर किसान अधिक मात्रा में पैदावार ले सकते हैं। संस्थान का दावा है कि इन प्रजातियों में रोगों का प्रकोप होने की आशंका नहीं होती। ये नई प्रजातियां बौने साइज की हैं इनमें पेड़ो की देखभाल करने में भी किसानों को सुविधा होगी।

पहले करें सुपारी की नर्सरी तैयार

सुपारी की खेती के लिए पहले आपको नर्सरी तैयारी करनी होगी। इसमें निश्चित दूरी पर सुपारी के पौधे रोपे जाते हैं। जब से पौधे विकसित हो जाएं तो इनकी खेतों में रोपाई कर दी जाती है। पौधरोपण करते समय ध्यान रखें कि खेत में जल निकास की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। जुलाई से अगस्त के महीने में सुपारी के पौधों को खेत में लगाएं। जब पौधे तैयार हो जाएं तो गोबर की सड़ी खाद 10 से 20 किलोग्राम प्रति पौधें में दें। इसके अलावा 40 ग्राम फास्फोरस, नाइट्रोजन, 100 ग्राम नाइट्रोजन और 140 ग्राम पोटाश की मात्रा दी जानी चाहिए। सुपारी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए वर्ष में दो से तीन बार गुड़ाई करनी चाहिए। पौधों की सिंचाई नवंबर से फरवरी के मध्य और मार्च से मई के दौरान की जानी चाहिए।

ये हैं सुपारी के औषधीय गुण और इसका उपयोग

यहां बता दें कि सुपारी का उपयोग कई तरह से होता है। यह घरों में साधारण पूजा-पाठ से लेकर शादी-विवाह एवं सभी तरह के धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग की जाती है। इसे पेट की बीमारी होने पर काढ़ा बना कर पीया जा सकता है। वहीं अतिसार या दस्त की बीमारी में हरी सुपारी को धीमी आंच पर पका कर खाने से तुरंत लाभ मिलता है। इसके अलावा यह दांतों और कमर दर्द में भी रामबाण दवा का काम करती है।

कितना होता है सुपारी उत्पादन से मुनाफा

यहां आपको बता दें कि सुपारी की खेती से कितना मुनाफा होगा। आपने यदि 1 एकड़ जमीन पर सुपारी के पेड़ लगाए हैं तो इनसे प्रति पेड कम से कम 50 हजार रुपये की सुपारी पैदावार  होगी। बाजार में सुपारी की कीमत 400 से 600 रुपये प्रति किलोग्राम होती है।

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