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पशुपालन सुझाव : ठंड में दुधारू पशुओं के लिए अपनाएं ये खास घरेलू उपाय

पशुपालन सुझाव : ठंड में दुधारू पशुओं के लिए अपनाएं ये खास घरेलू उपाय
पोस्ट -15 नवम्बर 2022 शेयर पोस्ट

पशुपालक सर्दियों के मौसम में दुधारू पशुओं का ऐसे रखें ख्याल, लापरवाही पड़ सकती है भारी 

खेती के बाद पशुपालन ग्रामीण लोगों के अर्थव्यवस्था के लिए एक अहम जरिया है। पशुपालन से ग्रामीण क्षेत्र में लोग अब अच्छी आय अर्जित कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे है। लेकिन पशुपालन के क्षेत्र में किसान और पशुपालकों की जरा सी लापरवाही उन्हें इस क्षेत्र में काफी घाटा देती है। जी हां हम बात कर रहे हैं पशुपालन में पशुओं की देख-रेख, पालन-पोषण और संरक्षण की। बता दें कि सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। पहाड़ी राज्यों में बारिश के साथ हुई बर्फबारी के कारण देश के कई राज्यों में ठंड ने दस्तक दे दी है। ठंड का एहसास होने लगा है। दिन की धूप नरम पड़ने लगी है, वहीं रात का पारा गिर रहा है। आने वाले दिनों में देश के कई राज्यों में ठंड बढ़ सकती है। ऐसे में कृषि और पशु वैज्ञानिकों ने बढ़ती ठंड की आशंका व्यक्त करते हुए किसान और पशुपालकों के लिए कुछ जरूरी सावधानियों को बरतनें को कहा। जरा सी लापरवाही से पशुओं को ठंड से काफी नुकसान हो सकता है। ऐसे में पशु वैज्ञानिकों ने गाय-भैसों को ठंड से बचाने के लिए एवं उनका खास ख्याल रखने के लिए कुछ घरेलू तरीके बताएं है। जिसकी मदद से पशुपालक अपने दुधारू मवेशियों की ठंड से बचाव कर सकते है। तो आइए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से उन घरेलू तरीकों के बारे में जानते है, जिनकी सहायता से हम अपने मवेशियों की ठंड से बचाव कर सकते है।  

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मवेशियों को सर्दी से बचाने के लिए करनी होगी विशेष देखभाल 

ग्रामीण लोगों के व्यवसाय में पशुपालन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। किसान और पशुपालक इस व्यवसाय में कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाते है। लेकिन इस क्षेत्र में कमाई मेहनत और लगन पर निर्भर है। जरा सी लापरवाही पशुपालन को घाटे का सौदा बना सकती है। बता दे कि सर्दियों के मौसम में छोटे, बडे और दुधारू मवेशियों को ठंड से बचाने के लिए पशुओं की खिलाई-पिलाई और संरक्षण के प्रति विशेष प्रबंधन के साथ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। आप सर्दियों के मौसम में दुधारू मवेशियों की अच्छे से देखभाल करेंगे और खास ख्याल रखेगे, तो इनसे उतना ही अधिक लाभ होगा। ठंड के मौसम में मवेशियों में बुखार एवं पेटे खराब होने जैसी समस्या देखने को मिलती है। मवेशियों में ऐसी स्थिति दिखने पर प्राथमिक उपचार करें और जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को दिखाएं। मवेशियों की  सबसे ज्यादा मौत ठंड में होती है। ऐसे में दुधारू पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए विशेष देखभाल करनी होगी। 

पशुओं को खिलाएं संतुलित आहार

कृषि वैज्ञानिकों का कहाना है सर्दियों के मौसम में पशुओं की खिलाई-पिलाई की देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है। क्योंकि सर्दियों के दिनों में ज्यादातर गाय-भैंस एवं अन्य दुधारू पशु दूध दे रही होती हैं। इसलिए सर्द मौसम में पशुओं को ऐसे आहार की आवश्यकता होती है जिससे पशुओं की भूख भी मिट जाए और इस मौसम उनकी ऊर्जा भी बरकार रहे। ऐसे में पशुपालक पशुओं के आहार में प्रोटीन, विटामिन व मिनरल की मात्रा अधिक दे। पराली को चारे के विकल्प के रूप में उपयोग कर सकते हैं। पराली में मक्की, हरा चारा मिलाकर उसे चारे के रूप में पशुओं को खिलाएं।

इसके अलवा संतुलित आहार में सरसों चरी, लोबिया, रजका या बरसीम आदि के साथ ही गेहूं का दलिया, चना, खल, ग्वार, बिनौला पशुओं को खिला सकते हैं। इसे बनाने के लिए 35-40 प्रतिशत खल, दालों और चने का चोकर 20-25 प्रतिशत और प्रोटीन, विटामिन व मिनरल मिश्रण 2-3 और नमक 2-3 प्रतिशत मात्रा में लेकर तैयार कर सकते है। पशुओं को संतुलित आहार में चारे के लिए दानों का मिश्रण भी देना चाहिए। दुधारू पशुओं के अलावा गर्भवती पशुओं को भी सर्दियों में एक से दो किग्रा संतुलित आहार देते रहना चाहिए। पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाला सूखा चारा, बाजरा कड़बी, रिजका, सीवण घास, गेहूं की तूड़ी, जई का मिश्रण पशुओं को खिला सकते हैं, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी। 

सर्दियों में दुधारू मवेशियों से अधिक दुग्ध उत्पादन करने के लिए अधिक मात्रा में हरे चारे के रूप में बरसीम और जई को खिलाएं अच्छी गुणवत्ता वाला सूखा चारा, बाजरा कड़बी, रिजका, सीवण घास, गेहूं की तूड़ी, जई का मिश्रण पशुओं को खिला सकते हैं। छोटे पशुओं को सर्दियों के दिनों में अरहर, चना, मसूर का भूसा खिलाना चाहिए।

ठंड से गाय-भैंस एवं छोटे पशुओं का बचाव 

कृषि और पशु वैज्ञानिकों का कहना हैं कि सर्दियों के मौसम में गाय-भैंस एवं छोटे पशुओं को ठंड से बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। सर्दियों में पशुओं को ठंड लग जाने पर वे बीमार हो जाते है और दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है। गाय-भैंस एवं छोटे पशु जैसे भेड़-बकरियों ठंड से निमोनिया रोग के शिकार बन जाते हैं। इसलिए सर्दियों के दिनों में दुधारू पशुओं के साथ-साथ छोटे पशुओं का विशेष देखभाल करें। उनके खिलाई-पिलाई का विशेष ध्यान रखे। ठंड से दुधारू मवेशियों को बचाने के लिए पशुशाला एवं पशुओं के बड़े की दरवाजे और खिड़कियों की टाट या तिरपाल से घेरा बंदी करें, ताकि ठंडी हवा अंदर न आ सके। सर्दियों में पशुशाला को सूखा और रोगाणुमुक्त रखें। पशुशाला में राख का छिड़काव करें। साफ-सफाई करते समय चूना, फिनायल आदि का छिड़काव करते रहना चाहिए। 

बाड़े एवं पशुशाला में उचित तापमान की व्यवस्था करें 

सर्दियों में मवेशियों को ताजा एवं गर्म पानी पिलाएं। पशुओं को बढि़या धूप होने पर उन्हें, बाहर निकाल सकते हैं। रात के समय ज्यादा ठंड होने पर बाड़े एवं पशुशाला  में अलाव जला सकते हैं। सर्दी से बचाव के लिए सुबह-शाम और रात को टाट की पल्ली एवं पुआल से बनी पल्ली उढ़ाएं। पशुशाला और बड़े में जहां भी आप पशुओं को रखते है। वहां फर्श पर सूखे बिछावन का प्रयोग करें इसके लिए आप पुआल, रखा, टाट और सूखी घास-फूस का इस्तेमाल कर सकते है। नवजात बच्चों एवं छोटे पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए उन्हें टाट की पल्ली से ढ़ककर रखे एवं सूखे स्थान पर बांधे। ठंड के मौसम में मवेशी को मेंथी दाना, गुड एवं सरसों खल खिलाएं और महीने में एक बार सरसों का तेल भी पिलाएं, ताकि पशुओं का शरीर का रक्त संचार अच्छा रहे और उनका शरीर गर्म रहें। 

बीमार होने पर जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को दिखाएं

सर्दियों के दिनों में ठंड की वजह से दुधारू पशुओं एवं छोटे पशुओं में दस्त, निमोनिया होने का खतरा रहता है। निमोनिया से सर्दियों के मौसम में ज्यादातर गाय-भैंस के बच्चे एवं छोटे पशु प्रभावित होते है। और बड़ी तादात में मौत के मुंह में चले जाते हैं। सर्दियों मे छोटे पशुओं में लीवर फ्लूक भी हो जाता है। ऐसे में पशुओं को इससे बचाने के लिए शरीर भार के अनुसार कृमिनाशक दवाएं अल्बोमार, बैनामिन्थ, निलवर्म, जानिल आदि देते रहना चाहिए। और जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए। और समय समय पर चिकित्सक की सलाह लेते रहेना चाहिए।  

सर्दियों के दिनों में ज्यादातर पशुपालक ठंड के डर से पशुओं को नहलाते ही नहीं हैं। जिस वजह से पशुओं कीट- जूं, पिस्सू, किलनी का प्रकोप हो जाता है। और परजीव पशुओं का खून चूसकर बीमारी का कारण बनते हैं। इसके लिए पशुपाल पशु चिकित्सक की सलाह पर पशुओं धूप निकलने पर सप्ताह में दो से तीन बार पशुओं को नहलाये। और बूटॉक्स और क्लीनर दवा की दो मिली मात्रा 1 लीटर पानी के अनुपात में घोलकर ग्रसित पशु के शरीर पर ठीक तरीके से लगाएं। इसके 2-3 घंटे बाद नहलाये।

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