देश के छोटी जोत वाले किसानों के लिए भी किफायती कृषि यंत्र और उपकरण बनाए जाएंगे, ताकि वे बिना किसी आर्थिक दबाव के यंत्र खरीद सके। सरकार की ओर से इसकी आवश्यक तैयारी भी शुरू की जा चुकी है। इसके तहत देश के प्रमुख कृषि यंत्र और उपकरण निर्माता कंपनियों को सस्ते कृषि यंत्र बनाने पर जोर देने के लिए कहा गया है। इससे छोटे किसानों के लिए किफायती कीमत पर उपयोगी यंत्र और उपकरण उपलब्ध होंगे, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही, किसानों की खेती लागत एवं श्रम लागत में भी कमी आएगी। यानी मतलब साफ है कि अब कृषि मशीनरी निर्माता कंपनियां छोटी जाते वाले किसानों के लिए भी आधुनिक कृत्रि यंत्र और उपकरण डिजाइन करेंगी।
दरअसल, देश में अभी विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत स्थानीय जनप्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों, कृषि व अन्य विभागों की टीम किसानों से सीधे संवाद कर रही है और खेती की उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी से अवगत करा रही है। इस कड़ी में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान पांच जून के दिन पंजाब के किसानों से मिले। उनके खेतों में जाकर फसल और उत्पादन का जायजा लिया। उन्होंने पटियाला के अमरगढ़ का दौरा कर कृषि यंत्रों के कारखाने में विभिन्न कृषि यंत्रों, मशीनों और उपकरणों का भी अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि फसल उत्पादन बढ़ाने और उत्पादन की लागत कम करने जैसे दो महत्वपूर्ण काम हमें एक साथ लक्ष्यबद्ध होकर करने होंगे। हमें अपने देश के छोटी जोत वाले किसानों के लिए भी कृषि यंत्र बनाने पर जोर देना होगा। इनकी कीमत भी ऐसी होनी चाहिए, जिसे किसान बिना आर्थिक दबाव के वहन कर सके।
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि हमें दुनिया को कृषि यंत्र निर्यात करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकारों को भी मिलकर काम करना होगा। हमें विदेशों की आवश्यकता के अनुसार निर्यात के लिए कृषि यंत्र बनाने चाहिए। उद्योग जगत के लोगों से भी मिलकर इसे नई दिशा देने का काम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वैश्विक स्पर्धा करने लायक कृषि यंत्रों का निर्माण अब हमारे अपने देश में हो रहा है। खेती की हर समस्या का समाधान किसान भाइयों-बहनों से संवाद के बाद ही तय किया जाएगा, जिससे भारत आगे बढ़ सके और दुनिया को दिशा दिखा सके।
कृषि मंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत बीज जरूरी है। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों को बदलती जलवायु के अनुरूप अधिक तापमान सहनशीलता वाले बीज तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि शोध आधारित जलवायु के अनुसार, खेती की दिशा में आगे बढ़ना होगा। खेती में आधुनिकतम तकनीकों और पद्धतियों को अपनाना होगा, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और श्रम व लागत भी घटेगी। उन्होंने कहा, कटाई के साथ-साथ अब रोपाई भी मशीनों से हो सकती है। कटाई के लिए अब बहुउद्देशीय हार्वेस्टर मशीनें उपलब्ध है। इससे किसानों को लागत और श्रम की बचत में अत्यधिक लाभ हो रहा है।
अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आगे मशीनीकरण को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी। सरकारी सब्सिडी का लाभ उन्हें ही मिलना चाहिए, जो असल में उसके हकदार हैं। केन्द्र सरकार द्वारा पीएम किसान, फार्मर रजिस्ट्री, डिजिटल क्राप सर्वे, जैविक खेती, फसल बीमा आदि योजनाएं चलाई जा रही, जिनमें किसानों को आर्थिक सुरक्षा से लेकर कृषि यंत्रों, खाद–उर्वरकों, गुणवत्तापूर्ण बीज सहित अन्य कृषि गतिविधियों के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। कृषकों को गो आधारित प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया। खेती में हुए नवाचार का प्रयोग करें, जिससे किसान अपनी कृषि लागत कम कर आय में बढोत्तरी कर सकते हैं। केंद्र एवं राज्य स्तरीय संचालित योजनाओं से लेकर सभी फसलों की नवीन कृषि तकनीकी, रोग कीट प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी किसानों को विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत प्रदान की जा रही है।
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