Viksit Krishi Sankalp Abhiyan : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए एक बड़ी पहल की गई है। इसके अंतर्गत कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए जा तकनीकी नवाचारों को किसानों तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए, सरकार द्वारा “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाया जाएगा। पूरे देशभर में यह अभियान 29 मई 2025 से शुरू होगा, जो 12 जून 2025 तक चलेगा। विकसित कृषि संकल्प अभियान में 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) और ICAR के 113 संस्थानों के वैज्ञानिक-विशेषज्ञ सक्रिय रूप से भाग लेंगे। अभियान 723 जिलों में चलाया जाएगा। प्रत्येक जिले के लिए तीन टीमों का गठन किया गया है, इसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, मछली पालन आदि विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी किसान भी शामिल हैं। अभियान में कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारी 1.30 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद करेंगे, जिससे देश में कृषि नवाचार और जागरूकता को नई दिशा मिलेगी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में 29 मई से 12 जून 2025 तक चलने वाले राष्ट्रव्यापी “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के शुभारंभ के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विकसित भारत के विजन को सक्रियता से आगे बढ़ाने के लिए विकसित कृषि, आधुनिक कृषि पद्धतियों और समृद्ध किसानों की नींव रखना आवश्यक है। कृषि, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, न केवल लगभग आधी आबादी को आजीविका प्रदान करती है, बल्कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करती है।
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का प्राथमिक उद्देश्य देश के 1.45 बिलियन लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके लिए, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता की गारंटी देना, किसानों की आय में सुधार करना और भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना आवश्यक है। मंत्रालय ने इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए छह सूत्री रणनीति तैयार की है। इसमें उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत कम करना, उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना, प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई करना, मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण के साथ फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और प्राकृतिक और जैविक खेती को प्रोत्साहित करना शामिल है।
कृषि मंत्री ने आगे बताया कि “विकसित कृषि संकल्प अभियान” आईसीएआर के 113 शोध संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य सरकार के विभागों, नवोन्मेषी किसानों और किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) सहित विभिन्न कृषि निकायों के प्रयासों को एकीकृत किया जाएगा। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को वास्तविक समय की खेती की जरूरतों के साथ जोड़ना है। यह अभियान हर साल खरीफ और रबी दोनों फसलों की बुआई के मौसम से पहले चलाया जाएगा। हाल ही में खरीफ सम्मेलन में राज्य कृषि मंत्रियों की उपस्थिति में, कृषि अनुसंधान के क्षेत्र-स्तरीय कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इस पहल को शुरू करने का संकल्प लिया गया था।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में, लगभग 16,000 कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान में लगे हुए हैं। इस अभियान का उद्देश्य उनके काम को सीधे किसानों तक पहुंचाना और उपयोगी बनाना है। इस पहल के तहत, 29 मई से 12 जून के बीच 723 जिलों के 65,000 से अधिक गांवों का दौरा करने वाली 2,170 वैज्ञानिक टीमें, जिनमें से प्रत्येक में कम से कम चार वैज्ञानिक होंगे। इन टीमों में कृषि विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों, सरकारी विभागों, नवोन्मेषी किसानों और एफपीओ के कर्मचारी भी शामिल होंगे। वे किसानों से सीधे संवाद करते हुए सुबह, दोपहर और शाम को दैनिक सत्र आयोजित करेंगे। टीमें स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी के पोषक तत्वों की रूपरेखा, पानी की उपलब्धता और वर्षा के पैटर्न का आकलन करेंगी। सॉइल हेल्थ कार्ड का उपयोग करते हुए, वे उचित फसलों, उच्च उपज वाले बीजों की किस्मों, आदर्श बुवाई तकनीकों और संतुलित उर्वरक उपयोग की जानकारी किसानों को सिफारिश करेंगे, लागत कम करने और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए तकनीकी खेती पर जोर देंगे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अभियान को दो-तरफ़ा बातचीत के तौर पर तैयार किया गया है। किसान अपनी चुनौतियों को साझा करेंगे, सवाल पूछेंगे और कीटों के संक्रमण जैसी क्षेत्र-स्तरीय समस्याओं की रिपोर्ट करेंगे, जो भविष्य के शोध दिशाओं को सूचित करेंगे। क्षेत्र के किसानों की ये समस्या है, ये दिक्कत आ रही है, इन कीटों का प्रकोप होता है तो उससे बचने के लिए क्या करें। ये अभिनव, महत्वपूर्ण, रचनात्मक अभियान है, इसमें किसान व विज्ञान दोनों जुड़ेंगे।
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