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बंजर भूमि को किसान इस तरह बनाए उपजाऊ, खरीफ सीजन में होगा बंपर उत्पादन

बंजर भूमि को किसान इस तरह बनाए उपजाऊ, खरीफ सीजन में होगा बंपर उत्पादन
पोस्ट -12 अप्रैल 2024 शेयर पोस्ट

बंजर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए किसान अपनाएं यह उपाय

Kharif Season : देश में किसान मुख्य रूप से गन्ना, गेहूं, धान, सरसों और चना फसलों की परंपरागत खेती करते हैं तथा पैदा उपज से मुनाफा कमाते हैं। लेकिन देश के अधिकांश क्षेत्रों में ऐसे भी किसान है, जिनके पास भूमि तो है लेकिन फिर भी वे उस भूमि पर कोई फसल खेती नहीं कर पाते हैं। मसलन ऐसी भूमि बंजर या ऊसर जमीन है जिन पर फसलों की पैदावार नहीं होती है। क्योंकि बंजर और गैर उपजाऊ जमीन में फसलों के उत्पादन के लिए जरूरी कार्बनिक पदार्थ की मात्रा नहीं होती है। कृषि विज्ञान केंद्र  सहारनपुर के अधिकारियों के अनुसार, जमीन की उपजाऊ शक्ति मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है और अच्छी गुणवत्ता की भूमि में फसल पैदावार सामान्य से अधिक होती है। किसान फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए खेतों में खाद, दवाई व उर्वरक का अधिक मात्रा में प्रयोग करते हैं। वहीं, हर साल खेतों में फसल अवशेषों को जलाने जैसी घटनाओं से खेत की मिट्टी में उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है, जिससे किसानों की खेती योग्य भूमि भी बंजर या गैर उपजाऊ बनती जा रही है, जो सरकार और किसानों के लिए बड़ी परेशानी का विषय साबित हो रही है। हालांकि, बंजर भूमि को उपजाऊ और खेती योग्य बनाने हेतु केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा कई प्रयास भी किए जा रहे हैं, तो वहीं किसान कुछ तकनीकों के माध्यम से बंजर भूमि को खेती योग्य बना सकते हैं। बंजर और गैर उपजाऊ जमीन पर प्री खरीफ सीजन (अप्रैल से जून) के दौरान मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाली कुछ फसलों की खेती कर जमीन को उपजाऊ बना सकते हैं। आईए जानते हैं कि बंजर भूमि को कैसे पहचाने और इसे कैसे उपजाऊ बना सकते हैं। 

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बंजर भूमि की पहचान कैसे करें?

कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक के अनुसार, बंजर भूमि की पहचान के ल‍िए किसान सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाएं। इससे पता चलेगा कि मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा और भूमि का पीएच मान कितना है। जांच के बाद तय किया जा सकता है क‍ि भूमि में किस प्रकार की फसल की बुवाई करनी है और इससे कितनी पैदावार मिलेगी। खेत की मिट्टी में जैव विविधता को सुधारने के लिए कितना कार्बनिक पोषक तत्व जैसे ज‍िप्सम, कैल्श‍ियम और सल्फर की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार बंजर या गैर उपजाऊ भूमि पर ऊपरी और निचली परत पर नमक जमा होता हैं, जिससे समझा जा सकता है क‍ि भूमि बंजर हो चुकी है।

भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्री खरीफ सीजन में खेती

मृदा वैज्ञानिक के अनुसार, यदि किसान के पास ऊसर या गैर उपजाऊ भूमि है, तो उसे उपजाऊ बनाने के लिए किसान भूमि पर प्री खरीफ सीजन यानी अप्रैल से जून के दौरान खेती शुरू कर सकते हैं। बंजर भूमि में अरहर, उड़द, मूंग, ढैंचा व बरसीम आदि दहलन और हरी खाद फसल की खेती कर उनके फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर हरी खाद तैयार करके भूमि की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं और जमीन की उर्वराशक्ति को बढ़ाया जा सकता है। बंजर भूमि सुधार के लिए जिप्सम उर्वरक का भी प्रयोग किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कुछ किसान भट्टा आदि में खेतों से मिट्टी उठा देते हैं, जिसके बाद जमीन एक तरह से बंजर हो जाती है। मिट्टी उठान के बाद किसान को दलहन फसलों की खेती में धान अवशेष, सड़ी गोबर की खाद एवं जिप्सम का प्रयोग करना आवश्यक होता है। 

फसल के अवशेषों से बंजर भूमि को बनाए उपजाऊ

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए फसलों के अवशेषों का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट या जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है। अक्सर देखा गया है कि किसान अपने खेतों में गेहूं, धान की कटाई के बाद फसलों के अवशेषों (नरवाई/पुआल/पराली) को खेतों में जला देते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि अगली फसल की बुवाई के लिए खेतों की जुताई में कोई अड़चन न आए। किसान नरवाई जलाकर उसका प्रबंधन करना सबसे सस्ता उपाय मानते हैं। लेकिन किसानों की यही सोच गलत है इससे भूमि की उर्वराशक्ति कम होती है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। हालांकि कई किसानों द्वारा फसल के अवशेषों को बिना जलाए व जुताई कर इन्हें खेत में ही मिलाकर जैविक खाद बनाया जा रहा है। इससे खेत में जैव विविधता बनी रहती है, जमीन में मौजूद मित्र कीट शत्रु कीटों को खाकर नष्ट कर देते हैं। जमीन में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे फसल उत्पादन ज्यादा होता है। दलहनी फसलों के अवशेषों को जमीन में मिलाने से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे फसल पैदावार भी बढ़ती है। 

भूमि को उपजाऊ बनाने  के कुछ जरूरी उपाय

मृदा वैज्ञानिकों के अनुसार, ऊसर या बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के ल‍िए कई जरूरी उपाय बताए गए हैं। इनमें बंजर जमीन से नमक हटाने और जमीन में मेड़ बनाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि भूमि में से नमक को पूरी तरह हटाए बिना उसे उपजाऊ नहीं बनाया जा सकता है। बारिश के समय खेतों में अच्छे से मेड़ बंदी करें। मजबूत मेड़ बंदी खेत में नमी बनाए रखने के ल‍िए बहुत जरूरी है। सिंचाई के लिए अच्छी पानी संसाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए। बंजर सुधार में फ्लशिंग कार्य किया जाता है। फ्लशिंग प्रक्रिया में खेत में 15 सेमी की ऊंचाई तक पानी भर देते हैं, जिसके 48 घंटे के बाद खेत का पानी निकल जाता है, जिससे हानिकारक लवण भी पानी में घुल कर निकल जाते हैं। जिप्सम को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने के बाद जून के दूसरे पखवाड़े में खेत में एक बार फिर से 10-12 सेमी ऊंचा पानी भर दें। इसके बाद आप खेत को हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप या केंचुआ खाद दे सकते हैं। मिट्टी, जलवायु और अन्य पोषक तत्वों के अनुकूल उन्नत स्थानीय बीजों का चयर करें। ऊसर भूमि सुधार के लिए जैव-फार्मूलेशन तैयार किया जा सकता है। इस जैव-फार्मूलेशन में एक निश्चित संख्या में बैक्टीरिया होते हैं, जो पर्यावरण से नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं और इसे पौधों तक पहुंचाते हैं। 

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