कृषि को स्मार्ट बनाने के लिए किसान विभिन्न प्रकार की आधुनिक तकनीकों एवं कृषि मशीनों का इस्तेमाल खेती में करते नजर आ रहे हैं। फसलों की बुवाई से लेकर फसल उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए आधुनिक कृषि मशीनें काफी ज्यादा मददगार साबित हुई हैं। आज आधुनिक तकनीकों और कृषि मशीनों ने खेती के स्वरूप को बदलकर किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम करने में अहम रोल अदा किया है। लेकिन खेती-किसानी से कम लागत और सीमित संसाधनों से बेहतर उत्पादन के लिए खेतों की देखभाल आधुनिक तकनीकों से करना बेहद आवश्यक है। फसलों से उचित उत्पादन लेने के लिए खेतों को सही से तैयार करने के लिए आधुनिक तरीके अपनाना चाहिए। फसलों को सभी जरूरी चीजें सही और पर्याप्त मात्रा में मिलें, इसके लिए खेतों को समतल बनाना बेहद जरूरी होता है। खेतों को समतल बनाने के लिए किसान भाई लेजर लैंड लेवर कृषि मशीन का प्रयोग कर सकते हैं। यह कृषि मशीन खेतों की मिट्टी को समतल कर मिट्टी में नमी एवं पोषक तत्वों को बनाए रखने में मददगार है। मिट्टी समतल होने पर बीज बोने के अलावा खाद-उर्वरक, पानी और पोषक तत्वों की आपूर्ति में किसानों की लागत और मेहनत कम लगती है और फसल उत्पादन भी अच्छा मिलता है। इसलिए किसान भाईयों को स्मार्ट खेती में कृषि मशीन लेजर लैंड लेवलर का उपयोग करना चाहिए। इस मशीन के उपयोग से खेतों की जुताई करना आसान है। इस मशीन से किसानों को खेती में लाभ ही लाभ मिलता है। खेती में लैंड लेवलर के इस्तेमाल से फसल उत्पादन अच्छा होता है, जिससे किसानों को खेतों से पैसा ही पैसा कमाने अवसर मिलता है। किसान भाई इस मशीन का खेतों में इस्तेमाल कर खेती से पैसा ही पैसा कमा सकते हैं। आईये ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से लेजर लैंड लेवलर कृषि मशीन और उसके उपयोग के बारे में जानते हैं।
लेजर लैंड लेवलर कृषि मशीन खेतों को समतल बनाने की एक बहुउपयोगी मशीन है। इसके इस्तेमाल से खेतों की उबड़-खाबड़ मिट्टी को एक समान कर समतल किया जाता है। फसलों से बेहतर पैदावार लेने के लिए लेजर लैंड लेवलर मशीन का उपयोग कम से कम 2 सालों में एक बार जरूर करना चाहिए। देखा जाए, तो आज विभिन्न कंपनियों के लेजर लैंड लेवलर बाजार में उपलब्ध है, जिनमें कंट्रोल रिसीवर, नियंत्रण इकाई, स्क्रैपर, हाइड्रोलिक नियंत्रण और लेजर ट्रांसमीटर के कई तरह के अच्छे पार्ट्स आदि शामिल है। इस मशीन को 50 से 60 एचपी के किसी भी ट्रैक्टर से अटैचमेंट कर चलाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से 3-4 घंटे में एक हेक्टेयर के खेत को एक और दोनों दिशाओं में सूक्ष्म रूप से समतल किया जाता है। लेजर लैंड लेवलर मशीन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बिहार राज्य में किया है। खेती में इस मशीन की उपयोगिता को देखते हुए बिहार सरकार सहित कई अन्य राज्यों की सरकार भी लेजर लैंड लेवलर मशीन खरीदने पर तय प्रावधानों के अनुसार किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करती है।
खेत में बोई गई फसलों को समान रूप से पानी मिलें इसके लिए खेत का एक समान होना जरूरी है। खेत एक समान न होने के कारण किसानों की सिंचाई और उर्वरक पर लागत अधिक आ जाती है, जिसके कारण खेती में उनकी लागत बढ़ जाती है और मुनाफा प्रभावित होता है। लेकिन इन सब समस्याओं से बचने के लिए किसान भाई खेती में लेजर लैंड लेवलर मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं और खेती में खाद, पानी और मेहतन की बचत भी कर पा रहे हैं। इस मशीन से तैयार खेतों में फसलों की बुवाई एक समान रूप से किसान भाई कर सकता है। बोई गई फसलों में सिंचाई भी एक समान रूप से कम पानी में पूरा कर सकता है। पांरपरिक तकनीकों एवं अन्य कृषि मशीनों से खेतों को समतल बनाने पर लगने वाले लागत खर्च को लेजर लैंड लेवलर मशीन से आधे से भी कम किया जा सकता है। देश के कई राज्यों में किसान अब इस मशीन का इस्तेमाल प्रमुख रूप से खेतों को समतल बनाने में नियमित तौर पर कर रहे हैं। लेजर लैंड लेवलर मशीन से किसानों को फसलों की सिंचाई में लगने वाले पानी में 20-30 प्रतिशत तक बचत हो रही है। फसलों को सही मात्रा में पानी मिलने से फसलों के उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी होती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है। लेजर लैंड लेवलर मशीन खेती, किसानों भाईयों की लागत में कमी कर फसलों की उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि कर बेहतर मुनाफा देने में मदद करता है।
दरअसल, लेजर लैंड लेवल मशीन एक आधुनिक तकनीक पर आधारित भूमि समतलीकरण की मशीन है, जो भूमि को समतल बनाने का काम करती है। यह मशीन मुख्यरूप से तीन कंपोनेंट्स (घटकों) पर काम करती है, जिसमें पहला ट्रांसमीटर, दूसरा लेजर आई रिसीवर एवं तीसरा मुख्य कंपोनेंट्स कंट्रोलर है। लेजर लैंड लेवलर मशीन का खेत में इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले मशीन के पहले कंपोनेंट्स ट्रांसमीटर को खेत के किसी भी दिशा में लगा दिया जाता है। यह ट्रांसमीटर 200 से 1600 मीटर रेंज तक लेजर आई रिसीवर को डाटा देता है। रिसीवर डाटा प्राप्त करके कंट्रोलर को देता है, जिसके बाद कंट्रोलर चौथे कंपोनेंट्स हाईड्रोलिक पंप को सिग्नल देता है। ये हाईड्रोलिक पंप ट्रैक्टर के हाईड्रोलिक सिस्टम से अटैच होता है। रिसीवर से सिग्नल मिलने पर हाइड्रोलिक पंप अपने से जुड़ स्क्रबर को कंट्रोल कर ऊंची सतह से मिट्टी को इक्कट्ठा करके नीचे सतह पर छोड़ने का संकेत स्क्रबर (बकेट) को देता है।
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