Paddy Thresher Machine : खेती को पहले से अधिक कुशल और उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेती में मशीनों का उपयोग खूब किया जा रहा है। आज फसलों से कटाई एवं उससे अनाज निकालने के लिए मड़ाई और ओसाई जैसे प्रबंधन कार्य के लिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर समेत कई थ्रेशर कृषि मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे श्रम एवं समय दोनों की बचत के साथ फसलों की मढ़ाई का कार्य संपन्न हो पा रहा है। आज हमारे कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नई-नई तकनीक से थ्रेशर मशीनों को तैयार किया जा रहा है, जिसकी मदद से किसान विभिन्न अनाज फसलों की कुटाई का कार्य कर रहे हैं। इस बीच हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि को हासिल करते हुए धान कूटने की एक नई मशीन विकसित की है, जो एक थ्रेशर मशीन है। इसकी मदद से किसान धान फसल की कुटाई और ओसाई कर सकते हैं। इस मशीन को 50 एचपी ट्रैक्टर से ऑपरेट किया जा सकता है। इसमें ड्रायर भी लगाया गया है, जो चावल को सुखाने में मदद करता है। एचएयू के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित धान थ्रेशर (मशीन) को भारत सरकार की ओर से पेटेंट भी मिल गया है । यह थ्रेशर धान किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी। आइए, इस पोस्ट की मदद से इस नई थ्रेशर मशीन की कीमत और विशेषताओं के बारे में जानते हैं।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हिसार) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हस्कर और पॉलिशर के साथ एकीकृत धान कुटाई थ्रेशर मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है। मशीन का आविष्कार महाविद्यालय के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. मुकेश जैन, आईसीएआर के पूर्व एडीजी डॉ. कंचन के. सिंह तथा आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर सत्या की अगुवाई में किया गया है। इस नई थ्रेशर मशीन को भारत सरकार की तरफ से प्रमाण-पत्र मिल गया है , जिसकी पेटेंट क्रमांक 536920 है। विश्वविद्यालय की उपलब्धियां बताते हुए कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि एचएयू को लगातार मिल उपलब्धियां यहां के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम है। विकसित की गई इस नई तकनीक के लिए प्रमाण-पत्र (पेटेंट) मिलने पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा मशीन के बारे में बताते हैं कि यह मशीन 50 एचपी ट्रैक्टर के लिए अनुकूल है यानी इस मशीन को 50 एचपी के ट्रैक्टर से अटैच कर आसानी से चलाया जा सकता है। मशीन में ड्रायर भी लगा है, जो चावल को सुखाने में मदद करता है। ड्रायर में 18 सिरेमिक इंफ्रारेड हीटर (प्रत्येक 650 वॉट) की बिजली खपत करता है। इस धान थ्रेशर मशीन की धान मड़ाई/ कुटाई क्षमता 150 किलोग्राम प्रति घंटे तक पहुंच जाती है। इस मशीन की कीमत 6 लाख रुपये है।
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज का मानना है कि विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। उनका कहना है कि चावल लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल है। ऐसे में अब किसान इस थ्रेशर के आने के बाद खेत में ही मशीन का उपयोग करके धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे, सुखा सकेंगे, भूसी निकाल सकेंगे। भूरे और सफेद चावल के लिए पॉलिश भी कर सकेंगे। उन्होंने कहा अभी तक खेत में ही चावल निकालने के लिए कोई ऐसी मशीन नहीं थी। किसानों को धान से चावल अलग कराने के लिए राइस मिल जाना पड़ता था। लेकिन अब किसान अपने घर के खाने के लिए भी ब्राउन राइस (भूरे चावल) को खेतों में ही निकाल सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस (भूरे चावल) में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं, क्योंकि यह किसी रिफाइन या पॉलिश प्रक्रिया से नहीं गुजरता है। केवल इसके ऊपर से धान के छिलके उतारे जाते हैं। इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है और यह फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत हैं। इसके अतिरिक्त ब्राउन राइस खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। यह मधुमेह, वजन और हड्डियों को तंदुरुस्त रखने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इस अवसर पर तकनीक को विकसित करने वाली वैज्ञानिक टीम के सभी सदस्य उपस्थित रहे।
बता दें कि थ्रेशर फसल से दाने और भूखा अलग करने की एक थ्रेसिंग मशीन है। इसके मदद से किसान रबी एवं खरीफ मौसम की मुख्य अनाज फसल जैसे गेहूं, धान और सरसों समेत अन्य फसल से दानों को अलग करने के लिए मड़ाई तथा ओसाई का कार्य करते हैं। आज किसानों द्वारा थ्रेसर का इस्तेमाल फसलों से साफ और गुणवत्तापूर्ण अनाज प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आज बाजार में विभिन्न कृषि उपकरण निर्माता कंपनियों द्वारा निर्मित आई.एस.आई.मार्क के अच्छी क्वालिटी के थ्रेशर किसानों के लिए उपलब्ध है, जिन पर अलग-अलग राज्य सरकारें अपने स्तर पर योजनाओं को लागू ट्रैक्टर चलित मल्टीक्रॉप थ्रेशर / थ्रेशर मशीन पर अलग-अलग अनुदान लाभ देती है।
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