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Poultry Farming : पशुपालकों के बीच काफी मशहूर है वनराजा मुर्गी नस्ल, जानें विशेषता

Poultry Farming : पशुपालकों के बीच काफी मशहूर है वनराजा मुर्गी नस्ल, जानें विशेषता
पोस्ट -11 जनवरी 2024 शेयर पोस्ट

मुर्गियों की वनराजा नस्ल, मुर्गी पालन व्यवसाय में होगा अधिक मुनाफा


Poultry Farming : भारत के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों मुर्गी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि देश के बाजारों के साथ विदेशी बाजारों में अंडे और मांस की डिमांड लगातार बढ़ रही है। मुर्गी पालन कारोबार से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा हासिल कर सके, इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम मुर्गी पालकों को वित्तीय सहायता भी दे रही है। वहीं दूसरी ओर मुर्गी पालन में मुर्गियों से अधिक अंडा और गुणवत्ता युक्त पौष्टिक मांस के उत्पादन के लिए मुर्गियों की क्रॉस ब्रीड तैयार की जा रही है। इस कड़ी हम एक ऐसी ही खास मुर्गी ब्रीड की बात कर रहे हैं, जो मुर्गी पालन के लिए पशुपालकों के बीच काफी मशहूर है। इस देसी मुर्गी नस्ल के पालन से किसान इसके अंडा और मांस दोनों से मोटी कमाई कर सकते हैं, क्योंकि इसका अंडा और मांस सामान्य मुर्गी नस्ल की तुलना में कहीं अधिक पौष्टिक है।

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वनराजा मुर्गी ब्रीड (Vanaraja Chicken Breed)
 
देशी मुर्गी का पालन किसान अपने बैकयार्ड या घर के छोटे आंगन में आसानी से कर सकते हैं। देसी मुर्गी के अंडा और मांस ब्रॉयलर मुर्गियों के अंडा और मांस से कहीं अधिक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होता है। जिसके कारण इनके मांस और अंडे दोनों ही महंगे बिकते हैं। देसी मुर्गी के मांस और अंडे की बढ़ती डिमांड को देखते हुए पोल्ट्री अनुसंधान निदेशालय (डीपीआर) हैदराबाद ने मुगियों की खास क्रॉस ब्रीड विकसित की है। जिसका नाम वनराजा मुर्गी ब्रीड है। यह क्रॉस ब्रीड नस्ल उन किसानों और युवाओं के लिए कमाई का बेहतर जरिया बन सकता है, जो मुर्गी (कुक्कुट) पालन कर अपने भविष्य को उज्ज्वल करना चाहते हैं।
 
वनराजा मुर्गी के व्यावसायिक पालन से लाखों रुपए की कमाई


पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बिहार के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कौशलेंद्र कुमार के मुताबिक, वनराजा मुर्गी नस्ल दोहरे उद्देश्य वाली देसी मुर्गी ब्रीड है। मुगिर्यों की इस ब्रीड को पोल्ट्री अनुसंधान निदेशालय (डीपीआर) हैदराबाद ने विकसित किया है। वनराजा मुर्गी ब्रीड (Vanaraja Chicken Breed) भारत में मौजूद देसी नस्ल में काफी लोकप्रिय ब्रीड है। खासकर वनराजा मुर्गियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, जिसके कारण इसका ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से पालन किया जा सकता है। वनराजा मुर्गी का पालन अंडा और मीट दोनों से हिसाब से करना किसानों के लिए बेहतर होता है, क्योंकि इसके अंडे पौष्टिक होने के कारण महंगे बिकते हैं। वनराजा मुर्गी पालन कर इसके अंडा और मीट दोनों से बढ़िया कमाई कर सकते हैं। यह ब्रीड पांच महीने के पश्चात अंडा देने आरंभ कर देती है। इसके अंडे का रंग देसी अंडों से मिलता जुलता होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 500 वनराजा मुर्गी का व्यावसायिक पालन कर लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
 
मुर्गियों की क्रॉस ब्रीड वनराजा मुर्गी की विशेषताएं
 
प्रोफेसर डॉ. कौशलेंद्र कुमार बताते हैं कि डीपीआर हैदराबाद द्वारा विकसित मुर्गियों की वनराजा ब्रीड दिखने में आकर्षक और कत्थई रंग की होती है। वनराजा मुर्गी नस्ल की रोग प्रतिरोधकता अधिक होती है। इसके मांस में अधिक चर्बी भी नहीं होती, मांस काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। वनराजा मुर्गी नस्ल देसी मुर्गियों में सबसे पॉपुलर है। इस नस्ल की मुगियां थोड़ी लड़ाकू प्रकृति की होती है। वनराजा मुर्गी खुले स्थानों में पालने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। इस नस्ल के एक चूजे का वजन लगभग 34-40 ग्राम तक होता है, जबकि 6 सप्ताह में इसके चूजे का वजन 700 से 850 ग्राम तक हो जाता है। वनराजा मुर्गी 5 महीने के बाद अंडा देना आरंभ कर देती है। वनराजा मुर्गी एक साल में लगभग 100 से 110 अंडे देती है और इसके अंडों से चूजे निकलने दर 80 प्रतिशत तक होती है।
 
 वनराजा मुर्गी का पालन इस तरह से करें
 
एसोसिएट प्रोफेसर के अनुसार, बाजार में वनराजा मुर्गियों के अंडे और मांस दोनों की कीमत अच्छी मिल जाती है। इस नस्ल के एक किलो वजनी मुर्गे का कीमत बाजार में 500 रुपए से लेकर 600 रुपए तक होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो युवा किसान मुर्गी पालन का कारोबार शुरू करना चाहते हैं, वे वनराजा मुर्गी ब्रीड का पालन कर सकते हैं। इसका पालन खुले स्थानों पर आसानी से किया जा सकता है। इसका पालन छायादार अच्छे आवास और प्रोटीन, विटामिन व मिनरल युक्त आहार के साथ करने पर मुर्गी पालन में काफी मुनाफा मिलता है। संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर कम करने के लिए इसके चूजों का टीकाकरण जरुर  कराएं। वनराजा मुर्गी का पालन अंडा उत्पादन करने के लिए किया जा रहा है, तो पालन में मादा चूजों की संख्या अधिक रखें और उनके खाने-पीने की व्यवस्था अच्छी रखें। मुर्गियों के आवास फार्म की मिट्टी समय-समय पर बदलना चाहिए। इससे मुर्गियों में संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है। मौसम के अनुसार मुर्गियों के लिए फार्म में उचित तापमान की व्यवस्था बनाने का विशेष ख्याल रखें।

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