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बीमारियों से अब नहीं होगी बकरी और उसके बच्चे बीमार, सीआईआरजी ने बनाया ये खास मकान

बीमारियों से अब नहीं होगी बकरी और उसके बच्चे बीमार, सीआईआरजी ने बनाया ये खास मकान
पोस्ट -18 दिसम्बर 2023 शेयर पोस्ट

सीआईआरजी ने तैयार किया एक खास मकान, गांव एवं शहर में बकरी के लिए फायदेमंद

Goat Farming : ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के बीच बकरी पालन की बढ़ती लोकप्रियता और रोजगार के  विकसित होते अवसर को देखते हुए कई राज्यों की सरकारें अब अपने किसानों को खेती के साथ ही बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इनमें केंद्र सरकार नाबार्ड व सीआईआरजी संस्थान की मदद से छोटे व सीमांत किसानों को आर्थिक मदद के साथ बकरी पालन का प्रशिक्षण भी दे रही है। ऐसे में अगर बकरियों का पालन वैज्ञानिक तरीके और बकरी का रखरखाव सही तरीके से किया जाए, तो बकरी पालन को शत-प्रतिशत यानी 100 फीसदी मुनाफे वाला सौदा बनाया जा सकता है। इसलिए केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) मथुरा ने बकरियों के पालन के लिए एक खास तरह का मकान डिजाइन किया है। इस मकान में बकरे-बकरी और उनके बच्चों को अलग-अलग रखा जाता है। यह मकान बकरी व उसके बच्चों को पेट के कीड़ों सहित अन्य कई बीमारियों से बचाने में मददगार है। सीआईआरजी का यह खास मकान गांव में बकरी पालन के लिए तो फायदेमंद है। साथ ही, शहर में इस मकान के दोहरे लाभ हैं। आइए, इस पोस्ट की मदद से सीआईआरजी द्वारा तैयार किए इस खास मकान के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

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केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) सलाह से करें बकरी पालन

केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के वैज्ञानिकों के अनुसार, बकरी पालन में यदि रखरखाव का खास ख्याल रखा जाए तो फिर ये शत-प्रतिशत मुनाफे का सौदा है। हालांकि इसके लिए आवश्यक है कि बकरियों का पालन गांव या शहर में जहां भी किया जा रहा है, वह जगह और बकरी पालन पूर्ण रूप से सीआईआरजी, मथुरा के बनाए गए नियमों के मुताबिक हो। केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) बकरी पालन में साइंटीफिक तरीके से व्यस्क बकरे-बकरी, उनके हेल्दी छोटे बच्चे और बीमार बकरी, गर्भवती बकरियों और उनके बच्चे को अलग-अलग रखने की सलाह देता है। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG) इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग सिस्टम के तहत बकरियों का पालन करने के लिए ट्रेनिंग भी देती है। साथ ही बाजार अवसरों के बारे में भी किसानों को जानकारी देती है। 

सीआईआरजी ने तैयार किया खास तरह का मकान

बकरी पालन कारोबार में पशुपालकों की सबसे बड़ी परेशानी बकरियों और उनके बच्चे में होने वाली बीमारियां है। कई बार तो बीमारियों के चलते पशुपालकों को बकरी पालन में मोटी हानि भी उठानी पड़ जाती है। यही वजह है कि बकरी पालन में बकरी और उसके बच्चों को पेट के कीड़ों समेत कई बीमारियों से सुरक्षित रखने सीआईआरजी ने एक खास तरह का दो मंजिला मकान तैयार किया है। केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि यह दो मंजिला मकान गांव में बकरी पालन के लिए तो खास है ही, शहरों में इसके दोहरे फायदे हैं। इस मकान से कम जगह पर और कम बचत के साथ बकरी का पालन किया जा सकता है। साथ ही बकरियों एव उनके बच्चे को उन बीमारियों से बचाया जा सकता है। जिन पर पशुपालकों को  अच्छा खासा पैसा खर्च करना पड़ता है। उन्होंने कहा सीआईआरजी संस्थान की रिसर्च के बाद यह दो मंजिला मकान अब बाजार में आसानी से उपलब्ध है। पशुपालक इसे लेकर अपने बकरी पालन कारोबार शुरू कर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं।

मकान में नीचे बड़े बकरे-बकरियां और ऊपरी मंजिल में छोटे बच्चे

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन किसानों की आय का एक महत्वपूर्ण साधन है। क्योंकि किसान खेती के साथ-साथ कम लागत और घर के एक छोटे से हिस्से में इसका पालन करते हैं। लेकिन मिट्टी के संपर्क में रहने से चारे या फिर अन्य दूसरे तरीके से मिट्टी छोटे बच्चों के पेट में चली जाती है। जिससे बच्चों के पेट में कीड़े पनपने लगते हैं और इससे बच्चों की मौत तक भी हो जाती है। लेकिन अब केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) द्वारा तैयार इस दो मंजिला मकान से किसान इस तरह की परेशानी से बच सकते हैं। इस दो मंजिला मकान में नीचे बड़े बकरे-बकरियों को रखा जाता है, तो दूसरी मंजिल या ऊपर बकरियों के छोटे बच्चों को रखा जाता है। ऊपरी मंजिल पर छोटे बच्चे रखने के चलते वे मिट्टी के संपर्क से दूर रहते हैं, जिससे बच्चे मिट्टी खाने से बच जाते हैं और उनके पेट में कीड़े नहीं पनपते, जिससे छोटे बच्चे बीमार नहीं होते हैं। 

बकरियों की मेंगनी और यूरिन मकान के किनारे की तरफ गिरती है

डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि बकरी और उनके बच्चों का बीमार होने का दूसरा कारण बकरियों के सामान्य शेड में बहुत सारा चारा जमीन पर गिरना है। जिसके चलते चारे पर मिट्टी और बकरी का मेंगनी-यूरिन भी लग जाता है। जब बकरी या उनके बच्चे इस चारे को खाते हैं, तो इससे बच्चे व बकरियां बीमार पड़ जाती है। इसके अतिरिक्त, अगर जमीन कच्ची नहीं है, तो यूरिन से उठने वाली गैस से भी बकरी और उनके छोटे बच्चे बीमारियों से प्रभावित हो जाते हैं। लेकिन बकरियों और उनके बच्चों के लिए तैयार होने वाले प्लास्टिक के इस खास दो मंजिना मकान में ऊपरी मंजिल की मेंगनी व बच्चों का यूरिन नीचे बड़ी बकरियों पर न गिरे, इसके लिए बीच में प्लास्टिक की एक शीट से छत बनाई गई है। इस छत का ढलान इस तरह से दिया जाता है कि मेंगनी और यूरिन मकान के किनारे की तरफ गिरती है।  दो मंजिला मकान के इस ढांचे में बकरी की मेंगनी सीधे मिट्टी के संपर्क में नहीं आती है और मेंगनी पर मिट्टी नहीं लगने के कारण इसका जैविक खाद बनाने में किसी तरह की कोई समस्या भी नहीं आती है।   

1.80 लाख रुपये लागत खर्च में तैयार होता है ये दो मंजिला मकान  

सीआईआरजी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक बताते हैं कि बकरी पालन में एक व्यस्क बकरी के लिए डेढ़ स्क्वायर मीटर जगह की आवश्यकता होती है। हमारे संस्थान ने इस दो मंजिला मकान का जो मॉडल बनाया है वह दस मीटर चौड़ा और पंद्रह मीटर लंबा है। इस दो मंजिला मॉडल मकान में नीचे 10-12 बड़ी बकरियां रखी जा सकती हैं। इसके अलावा, इस मकान के ऊपरी मंजिल पर 17-18 बकरियों के छोटे बच्चों को बिना किसी परेशानी के आसानी से रख सकते हैं। इस साइज के मॉडल मकान की लागत 1 लाख 80 हजार रुपए बैठती है। इस मॉडल मकान को तैयार करने के लिए लोहे के एंगिल और प्लास्टिक की शीट स्थानीय बाजार में आसानी से मिल जाती है। वहीं, कई कंपनियां इसके ऊपरी फर्श के लिए फर्श का निर्माण कर रही हैं, जो ऑनलाइन आसानी से मिल जाती है।  

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