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बकरी पालन : इस नस्ल की बकरी का करें पालन, कम खर्च में होगी बढ़िया कमाई

बकरी पालन : इस नस्ल की बकरी का करें पालन, कम खर्च में होगी बढ़िया कमाई
पोस्ट -09 अगस्त 2022 शेयर पोस्ट

बरबरी नस्ल की बकरी का करें पालन, अन्य नस्ल की बकरियों के मुकाबले महज 11 महीने में ही दे सकती है बच्चे को जन्म  

भारत में पशु पालन व्यवसाय सदियों से चला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन तो आय का प्रमुख स्रोत रहा है। ग्रामीण स्तर पर लोग नौकरी, मजदूरी, खेती आदि जैसे कार्य के अलावा साइड इनकम के लिए पशुपालन, मुर्गीपालन, मछली पालन और बकरी पालन इत्यादि करते हैं। हमारे देश में अधिक किसान निम्न-मध्यवर्ग से है। वह अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए पशुपालन करते हैं। पशुपालन में गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट आदि का पालन किया जाता है। छोटो किसानों के लिए बकरी पालन उनकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ऐसे किसान अतिरिक्त इनकम के बकरी पालन कर इससे अच्छी खासी साईड इनकम अर्जित कर अपना जीवन यापन कर रहे है। सरकार इसके लिए बकरी पालन पर आर्थिक सहायता भी देती है। तथा लोन भी उपलब्ध कराती है और तो इस लोन पर सब्सिडी भी प्रदान करती है। वर्तमान समय में बकरी पालन कम खर्च में अधिक मुनाफा देने वाला पशुपालन व्यवसाय है। यही वजह है कि आज के दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन एक अहम व्यवसाय बन गया है। कम खर्च और ज्यादा मुनाफे की वजह से बड़ी संख्या में किसान और आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग भी बकरी पालन की तरफ रूख कर रहे हैं। बकरी पालन स्वरोजगार का एक प्रबल साधन बन कर उभरा है। लेकिन बकरी पालन में अधिकतर लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि किस नस्ल की बकरियों का पालन करें जिससे उन्हें बढ़िया मुनाफा हासिल कर सके। ट्रैेक्टरगुरू के इस लेख में हम आपको एक ऐसी नस्ल की बकरी जानकारी दे रहे हैं। जिसका पालन करके आप महज सालभर में बढि़या मुनाफा हासिल कर सकते हैं। यह बरबरी नस्ल की बकरी है। जिसका पालन आप बकरी पालन व्यवसाय के लिए कर सकते हैं।  

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बरबरी नस्ल की बकरी 

यह बकरी अफ्रीका देश की बरबरा जगह से भारत लाई गई थी। इस कारण से इसे बरबरी नस्ल की बकरी कहा जाने लगा। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में यह सर्वाधिक पाई जाती है इसका पालन एटा, अलीगढ़ और आगरा जैसे जिलों में सर्वाधिक होता है। इसका पालन मांस के लिए किया जाता है। नली की तरह कान लिए इस नस्ल का पालन दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों के लिए अच्छी मानी जाती है। इसे ठंड और गर्म दोनों तरह के जलवायु में पाला जा सकता है। 

बरबरी नस्ल की बकरी की शारीरिक विशेषता 

बरबरी कॉम्पैक्ट रूप की एक छोटी बकरी है। सिर छोटा और साफ-सुथरा होता है, जिसमें ऊपर की ओर छोटे कान और छोटे सींग होते हैं। कोट छोटा है और आमतौर पर भूरे लाल रंग के साथ सफेद धब्बेदार होता है। ठोस रंग भी आते हैं। बरबरी नर बकरी का भार 38-40 किलो और मादा बकरी का भार 23-25 किलो होता है। नर बकरी की लंबाई 65 सैं.मी. और मादा बकरी की लंबाई लगभग 75 सैं.मी. होती है।  नर और मादा बरबरी बकरी दोनों की ही बड़ी मोटी दाढ़ी होती है। 

साल में दो बार दो से पांच बच्चों को जन्म देती हैं

बरबरी बकरी मध्यम कद की होती है लेकिन इसका शरीर काफी गठीला होता है। मैदान के गर्म इलाकों के अलावा इसे पहाड़ के ठंडे इलाकों में भी इसे आसानी से पाला जा सकता है। यदि आप बकरी पालन करने की सोच रहे हैं और ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते हैं, तो आप इस नस्ल की बकरी का पालन कर सकते है। इसकी प्रजनन क्षमता भी काफी अच्छी होती है। इस नस्ल कि खासियत यह है कि यह साल में दो बार बच्चा देती है और 2 से 5 बच्चों को जन्म देती है, जिससे इनकी संख्या बहुत जल्दी बढ़ती है। यह बरबरी बकरी अपने जन्म के महज 11 महीने बाद बच्चे का जन्म दे सकती है। अन्य नस्लों की बकरिया 18 से 23 महीने में बच्चों को जन्म देती है। इस नस्ल की बकरियां प्रतिदिन 1 किलो दूध देती है। और प्रति ब्यांत में 140 किलोग्राम दूध की उत्पादन होती है। गर्मी, बरसात, सर्दी सभी तरह के वातावरण में आसानी से रह सकती हैं। 

बरबरी बकरी पालन से होने वाली कमाई

बरबरी बकरी दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दूध और मांस के लिए इसका उपयोग किया जाता है, सबसे अच्छी मांस बकरी की नस्लों में से एक हैं। बरबरी एक दोहरे उद्देश्य वाली नस्ल है, जिसे मांस और दूध दोनों के लिए पाला जाता है, और भारतीय परिस्थितियों के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित है। बरबरी बकरा बकरी ईद में सबसे ज्यादा बिकता है, जिसे किसान बकरीद में बेचकर व्यापार करते हैं। यदि आप बरबरी नस्ल की बकरी का पालन करते है, तो एक साल में एक बरबरी बकरी तैयार करने में आपका तीन हजार रुपए का खर्चा आएगा और बाजार में इसकी कीमत करीब दस हजार रुपए तक है। इस हिसाब से बरबरी नस्ल की बरकरी पालन व्यवसाय से साल भर बाद हर महीने लाखों की कमाई आसानी से कर सकते हैं। 

बरबरी बकरी खिलाए जाने वाला चारा 

बरबरी बकरी एक बहुउपयोगी, सीधा-साधा, किसी भी वातावरण में आसानी से ढलने वाला छोटा पशु है, जो अपनी रहन-सहन व खान-पान सम्बंधित आदतों के कारण बकरी पालन व्यवसाय लोगों की पहली पसंद है। बरबरी बकरी विभिन्न प्रकार के भोजन, जो कड़वे, मीठे, नमकीन और स्वाद में खट्टे होते हैं, खा सकते हैं। ये स्वाद और आनंद के साथ फलीदार भोजन जैसे लोबिया, बरसीम, लहसुन आदि खाते हैं। मुख्य रूप से ये चारा खाना पसंद करते हैं जो उन्हें ऊर्जा और उच्च प्रोटीन देता है। इस नस्ल की बकरी को आप फलीदार चारा, बरसीम, लहसुन, फलियां, मटर, ग्वार, मक्की, जई, पीपल, आम, अशोका, नीम, बेरी और बरगद के वृक्षों के पत्ते, गोखरू, खेजरी, करौंदा, बेरी आदि पौधे और झाडि़यां, हर्बल और ऊपर चढ़ने वाले पौधे और जड़ वाले पौधे शलगम, आलू, मूली, गाजर, चुकंदर, फूल गोभी और बंद गोभी, नेपियर घास, गिन्नी घास, दूब घास, अंजन घास, स्टाइलो घास आदि चारा इसे खिला सकते है। एक साधारण बकरी एक दिन में 4.5 किलो हरा चारा खा सकती है। इस चारे में कम से कम 1 किलो सूखा चारा जैसे कि अरहर, मटर, चने की भूसी या फलीदार भी होना चाहिए।

सरकार भी करती है मदद  

यह तो हम सभी जानते है कि पशुपालन को किसानों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी कहा जाता है। ग्रामीण स्पर पर लोग पशुपालन का कार्य दूध, मांस, अंडा और ऊन के लिए करते है। देश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने साल 2014-15 में राष्ट्रीय पशुधन मिशन को शुरू किया था। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत देश के विभिन्न राज्य सरकारें बैंकों और नाबार्ड के सहायोग से पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती है। नेशनल लाइव स्टॉक मिशन में बहुत सारी योजनाएं हैं, जिसमें अलग-अलग योजना के लिए अलग-अलग सब्सिडी दी जाती है। नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत अलग-अलग राज्य सरकारों की सब्सिडी की मात्रा भी अलग-अलग होती है क्योंकि, यह केंद्र की योजना है लेकिन कई राज्य सरकारें इसमें अपनी तरफ से सब्सिडी में कुछ अंश को जोड़ देती हैं जिससे सब्सिडी की अमाउंट बढ़ जाता है। 

सरकार नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत बकरी पालन के लिए बहुत ही आकर्षक दरों पर लोन उपलब्ध कराती हैं। केन्द्र की इस योजना के तहत आप बकरी पालन बिजनेस के लिए 50,000 रूपये से 10 लाख रूपये तक का लोन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यही नहीं इस बैंकों से लोन लेने का लाभ यह भी मिलता है कि बैंकों से आकर्षक दरों पर लोन के साथ-साथ पशुओं का बीमा भी मिल जाता हैं। इस योजना के तहत, एक उधारकर्ता बकरियों की खरीद पर खर्च किए गए धन का 25 से 35 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में दी जाती हैं। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग और बीपीएल श्रेणी के लोग 33 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती हैं, जबकि ओबीसी से संबंधित अन्य लोगों को 25 प्रतिशत सब्सिडी के लिए उत्तरदायी होते हैं। बकरी पालन बिजनेश के लिए अलग-अलग राज्यों की सरकारों अलग अलग प्रतिशत में सब्सिडी उपलब्ध कराती हैं। बकरी पालन के लिए सबसे अधिक सब्सिडी 90 प्रतिशत हरियाणा सरकार अपने राज्य के पशुपालक किसानों को मवेशियों की आय बढ़ाने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करता हैं।

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