देश के किसान आधुनिक तरीके से अब कई तरह की खेती कर रहे हैं, जिसमें गेहूं, धान, सरसों जैसी पारंपरिक फसलों के साथ फल और अलग-अलग सब्जियों की खेती शामिल है। देखा जाए, तो केंद्र और राज्य सरकार भी इन सबमें किसानों की पूरी मदद करती है। इसके कारण देश में अब बागवानी के बाद सब्जियों की खेती का क्षेत्र बढ़ा है। आज अलग-अलग सब्जियों की खेती किसान नई-नई आधुनिक तकनीकों से कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे उनकी इनकम कई गुना बढ़ गई है। हजारों रुपए कमाने वाले किसान सब्जियों की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं। ऐसे में हम आपके लिए एक ऐसे किसान की कहानी लेकर आए हैं, जिनकी किस्मत सब्जियों की खेती ने चमकाई है। सब्जियों की खेती ने किसान की इनकम को कई गुना बढ़ा दिया है। वे सब्जी बेचकर सालाना 10 से 12 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। हम जिस प्रगतिशील किसान के बारे में बात कर रहे हैं वे राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले हैं। उनका नाम रामेश्वर सुथार है। उन्होंने हाल ही में सब्जियों की खेती से 10 से 12 लाख रुपए का बढ़िया मुनाफा कमाने का उदाहरण पेश किया है। रामेश्वर सुथार अब 4 साल से अपनी छह बीघा जमीन में सब्जियों की खेती से सभी लागत निकालकर सालाना 10 से 12 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। वे कहते हैं कि पहले सब्जियों से लाख-दो लाख रुपए की ही इनकम होती थी, लेकिन खेती में आधुनिकीरण करने से उन्हें सब्जियों का उत्पादन पहले के मुकाबले ज्यादा मिल रहा है। इससे उनकी इनकम भी अब कई गना बढ़ गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान रामेश्वर सुथार ज्यादा पढ़े- लिखे नहीं हैं। उन्होंने हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई छोड़कर इलेक्ट्रिक मोटर रीवाइडिंग का काम कई साल तक किया, लेकिन इस काम में उनका मन नहीं लगा। इसके बाद सुथार महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान उमेश गाडे के संपर्क में आए। वो कहते हैं कि उन्होंने उमेश गाडे को 5 साल के लिए अपने गांव के आसपास 65 बीघा जमीन लीज पर दिलाई थी। इस जमीन पर गाडे ने स्ट्रॉबेरी की फसल लगाकर 2 साल तक लाखों का मुनाफा कमाया। इसे देख किसान रामेश्वर सुथार के दिमाग में खेती करने का ख्याल आया। इसके बाद उन्होंने किसान उमेश गाडे से खेती-बाड़ी के बारे में बारीकी से जानकर खुद खेती शुरू कर दी।
प्रगतिशील किसान सुथार कहते हैं कि उनके पास खुद की 10 से 12 बीघा जमीन है। उन्होंने कुल छह बीघा जमीन में सब्जियों की तीन फसलों की खेती शुरू की, जिसमें उन्होंने शिमला मिर्च, टमाटर, पीले रंग की मिर्च और पिकाडोर मिर्च की फसल खेतों में लगाई। वे बताते हैं कि इससे अब उन्हें रोजाना अच्छा मुनाफा हो रहा है। इस समय पिकाडोर मिर्च का 10 से 12 भाव रुपये प्रति किलो है। लेकिन सीजन के दौरान उन्होंने पिकाडोर मिर्च को 38 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचा था। किसान रामेश्वर बताते हैं कि, वे अपने खेतों में सालभर में तीन फसल लगाते हैं, जिसमें वे डेढ़ बीघा जमीन में शिमला मिर्च, दो बीघा में पीली मिर्च, एक बीघा में टमाटर और बाकि बेचे खेत में गोभी की फसल लगाते हैं।
रामेश्वर सुथार के मुताबिक, वे अपने खेतों से साल में तीन फसल लेता हैं, जिसमें गोभी की फसल बुआई के बाद 90 दिन मे तैयार हो जाती है। टमाटर की फसल 6 से 7 महीने तक उत्पादन देती है। वहीं, शिमला मिर्च और पीली मिर्च 6 से 7 महीने तक अच्छा उत्पादन देती है। इसके बाद खेत खाली हो जाता है, जिसमें वे अच्छा मुनाफा कमाने के लिए फिर से फसलों की बुवाई कर देते हैं।
किसान रामेश्वर सुथार बताते हैं कि पहले उन्हें मजदूरों की कमी के कारण टमाटर की पैकिंग में काफी परेशानियां उठानी पड़ती थी। मजदूरों की कमी को देेखते हुए उन्होंने खुद से एक टमाटर ग्रेडिंग मशीन तैयार की। इस मशीन से टमाटर साइज के अनुसार अलग-अलग होकर ऑटोमेटिक कैरेट में पैक हो जाता है। इसके बाद इन पैक टमाटर को वे शहर की मंडियों में बेचने के लिए भेज देते है। वे बताते हैं कि अब इस मशीन से उनका लेबर खर्च पहले से आधा हो गया है, जिससे उन्हें अब मुनाफा भी अच्छा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि वे टमाटर ग्रेडिंग मशीन को मध्य प्रदेश और पुणे जैसे शहरों में भी बेच चुके हैं। उनका कहना है कि गई टमाटर ग्रेडिंग मशीन कुल लंबाई 28 फीट है वे अब स्प्रे मशीन बनाने में जुटे हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, रामेश्वर सुथार कहते हैं कि खेती में यदि कुदरत साथ दे, मौसम की प्रतिकूल मार ना हो और जानकारी पूरी हो तो नौकरी से दोगुनी इनकम खेती से हो जाती है। वे कहते हैं पानी की बचत के लिए फसलों की सिंचाई ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से करते हैं। वहीं, सब्जियों की खेती के साथ-साथ खेतों से गेहूं, जौ, सोयाबीन आदि फसलों का उत्पादन भी लेते हैं। वे कहते है उन्होंने हमेशा अपना ध्यान कम समय में अधिक पैदावार देने वाली सब्जी फसलों पर ही केंद्रित किया है। उन्होंने सब्जी फसल से पहले खेतों में दो दर्जन नींबू के पेड़ लगाए थे, जिससे उन्होंने 8 साल में काफी बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा, सुथार खेती के साथ-साथ अब पशुपालन भी करने लग गए हैं। वे कहते हैं कि अभी उनके पास 3 भैंस और 2 गाय हैं, जिससे वे प्रतिदिन 15 से 20 लीटर दूध का उत्पादन लेते हैं। वही, पशु अपशिष्ट से कंपोस्ट खाद और जैव काढ़ा तैयार कर खेती में इस्तेमाल करते हैं। इसके अतिरिक्त वे अब वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने की भी तैयारी कर रहे हैं।
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