Animal Husbandry : पशुपालन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स से मिलेगा रोजगार के अवसर

पोस्ट -05 नवम्बर 2024 शेयर पोस्ट

Animal Husbandry : पशुपालन डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स से मिलेगा रोजगार के अवसर, मुफ्त मिलेगा प्रशिक्षण

Para-Veterinary : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। अब राज्य में पशुपालन और परा-पशुचिकित्सा के क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स की नीति बनाई गई है। इस कदम का उद्देश्य न केवल पशु चिकित्सा सेवाओं को सशक्त बनाना है, बल्कि प्रदेश के ग्रामीण युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करना है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और युवाओं के कौशल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स की नीति से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। इस पहल से यूपी के युवाओं के लिए रोजगार के बंपर अवसर खुलेंगे, और वे गांवों में ही रहकर अपनी आजीविका चला सकेंगे।

पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स की अत्यधिक जरूरत है क्योंकि यहां पशु चिकित्सकों की संख्या सीमित है। इस पहल से पैरावेट्स का प्रशिक्षण बेहतर होगा और वे आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में और भी सक्षम बन सकेंगे।

डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षण

योगी सरकार ने पैरावेट्स को पेशेवर प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स की नीति तैयार की है। इन कोर्स के माध्यम से पैरावेट्स को टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, घावों की देखभाल, और पशु स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अन्य जरूरी पहलुओं में कुशल बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस नीति के लागू होने के बाद प्रशिक्षित पैरावेट्स ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होंगे। इन कोर्स के दौरान पैरावेट्स को आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और पशु देखभाल की लेटेस्ट जानकारियां भी उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे वे पशु चिकित्सा सेवाओं में बेहतरीन योगदान दे सकें।

निजी क्षेत्र को मिलेगा प्रोत्साहन

पशुपालन मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह नीति केवल सरकारी संस्थानों तक ही सीमित नहीं रहेगी। निजी संस्थानों में भी इन कोर्स का संचालन संभव होगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा संख्या में पैरावेट्स को प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रशिक्षित पैरावेट्स की उपलब्धता बढ़ेगी। निजी क्षेत्र में इन कोर्स की शुरुआत से युवाओं को नौकरी के बेहतर अवसर मिलेंगे और वे अपने गांवों में ही रहकर काम कर सकेंगे। इस कदम से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि राज्य के पशुपालन और कृषि क्षेत्र को भी एक नई दिशा मिलेगी।

प्रमुख संस्थानों की भूमिका और मान्यता

प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में कार्यरत कुछ प्रमुख संस्थान, जैसे पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा; आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज; और सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ जैसे विश्वविद्यालय भी इस नीति के तहत अहम भूमिका निभाएंगे। ये संस्थान अब निजी महाविद्यालयों को सम्बद्धता प्रदान करने के मानक तय करेंगे, जिससे निजी क्षेत्र में भी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किए जा सकें। इस नीति के माध्यम से न केवल सरकारी बल्कि निजी महाविद्यालयों में भी पैरावेट्स के प्रशिक्षण को लेकर एकरूपता सुनिश्चित की जाएगी।

पैरावेट्स की भूमिका क्यों है महत्वपूर्ण

पैरावेट्स, यानी वे लोग जो पशु चिकित्सकों की सहायता करते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। पूरे देश में जहां करीब 34,500 पशु चिकित्सक हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में मात्र 8,193 पशु चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इस कमी को पूरा करने में पैरावेट्स का महत्वपूर्ण योगदान है, जो टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, घावों की देखभाल और पशु स्वास्थ्य सेवाओं के अन्य कार्यों में सहायता करते हैं। कई ग्रामीण इलाकों में जब किसी पशु के स्वास्थ्य में गड़बड़ी होती है, तो ये पैरावेट्स सबसे पहले पहुंचकर उपचार प्रारंभ कर सकते हैं। पशुधन मंत्री ने इसे ध्यान में रखते हुए ही पैरावेट्स के प्रशिक्षण और कौशल में वृद्धि की जरूरत बताई है, जिससे वे और भी कुशल बन सकें।

रोजगार के नए अवसर और ग्रामीण क्षेत्रों की विकास

इस नीति के लागू होने से ग्रामीण इलाकों के युवाओं को अपने क्षेत्र में ही रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। यह कदम उत्तर प्रदेश में पशुपालन और परा-पशुचिकित्सा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत है। अब ग्रामीण युवा जो इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं, उन्हें बाहर जाकर प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस नीति के अंतर्गत प्रशिक्षित पैरावेट्स राज्य के पशुपालन और कृषि क्षेत्र में अहम योगदान देंगे, जिससे प्रदेश में पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार होगा।

विशेषज्ञ समिति द्वारा नीति का क्रियान्वयन

इस नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए योगी सरकार ने विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया है। इस चार सदस्यों वाली समिति का नेतृत्व पशुधन विभाग के विशेष सचिव करेंगे। समिति ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं की जरूरतों का विस्तृत अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स की नीति बनाई गई है। इसके तहत पाठ्यक्रमों की सिमिलैरिटी पर भी ध्यान दिया जाएगा।

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