PMFBY 2025 : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में बड़ा सुधार किया गया है। केंद्र सरकार ने फसल नुकसान आकलन में सुधार लाने और किसानों को समय पर बीमा दावों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) पर आधारित उपज आकलन के साथ प्रौद्योगिकी आधारित उपज आकलन को लागू किया है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) के माध्यम से विभिन्न सरकारी और निजी एजेंसियों को शामिल करके सैटेलाइट यानी रिमोट सेंसिंग डेटा सहित प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पीएमएफबीवाई के तहत समय पर और पारदर्शी उपज अनुमान के लिए पायलट अध्ययन किया था, जिसके निष्कर्षों के आधार पर और हितधारकों और तकनीकी परामर्श के साथ चर्चा के बाद खरीफ 2023 से धान और गेहूं की फसलों के लिए यस-टेक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली) शुरू की गई है। इससे पहले सरकार ने फैसला लिया है कि डीबीटी के माध्यम से उचित समय पर राशि हस्तांतरित की जाएगी, यदि कोई बीमा कंपनी बीमा दावों का भुगतान देने में विलंब करेगी, तो उसे राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा।
पीएम फसल बीमा योजना में अब तक फसल हानि आकलन के लिए परंपरागत फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) किए जाते थे, लेकिन इसमें समय ज्यादा लगता था और कई बार पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते थे। नए मॉडल में क्रांप कटिंग मैन्युअल (सीसीई) आधारित उपज आकलन के साथ-साथ सैटेलाइट बेस्ड यानी रिमोट सेंसिंग तकनीक-आधारित उपज आकलन को भी लागू किया गया है। इसके तहत उपज अनुमान में 30 प्रतिशत भारांश अनिवार्य रूप से ‘यस-टेक’ आधारित उपज आकलन को दिया जाएगा, जिससे उपज आकलन ज्यादा सटीक और तेज होगी। रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ 2023 में सभी कार्यान्वयन करने वाले राज्यों ने यस-टेक का उपयोग कर बीमा दावों की गणना की और भुगतान सफलतापूर्वक पूरा किया गया। अब तक किसी भी हितधारक से कोई विवाद रिपोर्ट सामने नहीं आई है। इस प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बताया गया है, जिससे किसानों को समय पर मुआवजा मिलने की संभावना बढ़ गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) मुख्य रूप से ‘क्षेत्र दृष्टिकोण’ के आधार पर लागू की जाती है और किसानों को फसलों की बुवाई से लेकर सभी गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक जोखिमों के खिलाफ व्यापक जोखिम कवरेज प्रदान करती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को फसलों की कटाई के बाद के चरणों में न्यूनतम प्रीमियम पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियां जैसे- ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलप्लावन, बादल फटने और प्राकृतिक आग के स्थानीय जोखिमों के कारण होने वाले नुकसान और चक्रवात, चक्रवाती हवा/ बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल के बाद होने वाले नुकसान की गणना व्यक्तिगत बीमित खेत के आधार पर की जाती है। इसके अलावा, एजेंसियों द्वारा खरीद न किए जाने या खरीद में देरी के कारण फसलों को होने वाले नुकसान को पीएमएफबीवाई के तहत कवर नहीं किया जाता है।
केंद्र सरकार का कहना है कि फसल बीमा योजनाओं की समीक्षा/संशोधन/युक्तिकरण और सुधार एक सतत प्रक्रिया है। हितधारकों, अध्ययनों के सुझावों और अनुभवों के आधार पर सरकार समय-समय पर पीएमएफबीवाई के परिचालन दिशा-निर्देशों में व्यापक संशोधन कर रही है, जिससे बेहतर पारदर्शिता, जवाबदेही, किसानों को तेजी से दावों का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में यह जानकारी दी। वहीं, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा फसल बीमा योजना पर दी गई जानकारी के अनुसार, फसल बीमा योजना में अब सैटेलाइट बेसड यानी रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल के नुकसान का सही व सटीक आकलन होगा और डीबीटी के माध्यम से उचित समय पर राशि हस्तांतरित की जाएगी, अगर कोई बीमा कंपनी क्लेम देने में विलंब करेगी तो उसे राशि पर 12% ब्याज देना होगा। उन्होंने बताया कि केंद्र अपने हिस्से की राशि तत्काल देगा और राज्यों से अपील करते हुए कहा कि वह भी ऐसी स्थिति में तत्काल पैसा देने का प्रबंध करें।
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