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फसल बीमा योजना : बीमा क्लेम में देरी पर किसानों को मिलेगा 12 प्रतिशत ब्याज

फसल बीमा योजना : बीमा क्लेम में देरी पर किसानों को मिलेगा 12 प्रतिशत ब्याज
पोस्ट -07 जनवरी 2025 शेयर पोस्ट

फसल बीमा योजना में अपडेट, किसानों को समय पर बीमा राशि नहीं देने पर बीमा कंपनी को देना होगा 12 प्रतिशत का ब्याज

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में दो फसल बीमा योजनाओं पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस को वर्ष 2025-26 तक के लिए बढ़ाया गया है। इसके साथ ही प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए 824.77 करोड़ रुपए का एक अलग कोष भी बनाया गया है। इस कड़ी में केंद्र ने किसानों के लिए एक और बड़ा फैसला लिया है। अब फसल नुकसान का आंकलन सैटेलाइट बेस्ड यानी रिमोट सेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा। इतना ही नहीं, बीमा कंपनी द्वारा फसल बीमा की क्लेम राशि समय पर नहीं देने पर किसानों को ब्याज के रूप में अतिरिक्त राशि भी देनी होगी। विदिशा सांसद और केंद्रीय किसान कल्याण व कृषि विकास मंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसकी जानकारी दी। 

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उन्होंने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है। इसमें ऋणी आवेदन 876 लाख हैं और गैर-ऋणी आवेदन 552 लाख हैं। कुल 14.28 करोड़ (14 करोड़ 28 लाख) किसानों ने इसके तहत आवेदन किया है, 602 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बीमित है और सकल बीमित राशि 2,73,049 करोड़ रुपए (2 लाख 73 हजार 049 करोड़ रुपये) है। 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा योजना से लाभ मिला है। योजना के प्रारंभ से अब तक 17 हजार करोड़ रुपए बीमा क्लेम के रूप में किसान भाइयों को दिया जा चुका है। राज्यों के कृषि मंत्रियों से वर्चुअल संवाद करते कृषि मंत्री ने पीएम फसल बीमा योजना को विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बताते हुए कहा कि इसे और कारगर बनाया जा रहा है।

रिमोट सेंसिग के माध्यम से फसल का आंकलन (Crop assessment through remote sensing)

आगामी केंद्रीय बजट के लिए विशेषज्ञों के साथ ही राज्य सरकारों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत कृषि से संबंधित सुझाव लेने के लिए केंद्रीय किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से वर्चुअल बातचीत की। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि फसल बीमा योजना में फसल के नुकसान का सटीक आंकलन करने के लिए अब सैटेलाइट बेस्ड यानी रिमोट सेंसिंग का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा अभी तक इस योजना में क्रॉप कटिंग मैन्युअल से नुकसान का आकलन होता था, जिसकी कई शिकायतें आती थीं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने सैटेलाइट आधारित यानी रिमोट सेंसिंग के माध्यम से नुकसान का आंकलन करने का फैसला लिया है।

किसानों को मिलेगा 12 प्रतिशत ब्याज भी (Farmers will also get 12 percent interest)

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इस संबंध में आगे बताया कि अब अगर किसी बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित समय पर क्लेम की राशि नहीं दी जाती है तो उसे किसानों को राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।  क्लेम राशि डीबीटी से उचित समय पर हस्तांतरित की जाएगी। उन्होंने बताया कि केंद्र फसल बीमा योजना के लिए अपने हिस्से की राशि तत्काल देगा। उन्होंने राज्यों से अपील करते हुए कहा कि वह भी ऐसी स्थिति में तत्काल पैसा देने का प्रबंध करें। किसानों के हितों में मौसम आधारित फसल के लिए भी कई इंतजाम किए जा रहे हैं और किसानों के हितों में पिछले दिनों में कई फैसले किए गए हैं। 

बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को 15वें वित्त आयोग की अवधि के अनुरूप विस्तारित करने के लिए बढ़ा दिया गया है। योजनाओं के लिए कुल परिव्यय वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए 69,515.71 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो 2020-21 से 2024-25 के लिए 66,550 करोड़ रुपये से अधिक है। मंत्रिमंडल द्वारा बीते दिनों फसल बीमा योजनाओं के कार्यान्वयन में नवोन्मेषण और प्रौद्योगिकी (एफआईएटी) के लिए 824.77 करोड़ रुपये का एक अलग कोष बनाने को भी मंजूरी दी है। 

4 करोड़ किसान हो चुके हैं योजना से लाभान्वित (4 crore farmers have benefited from the scheme)

कृषि मंत्री ने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है। देशभर में अभी तक इस योजना से 4 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं। किसानों को अब तक क्लेम के रूप में कुल 17 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों में मौसम आधारित फसल के लिए भी कई इंतजाम किए जा रहे हैं। किसानों के हित में कई फैसले लिए गए हैं। टॉप (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में कटाई के समय उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच मूल्य का अंतर पाटने के लिए सरकार ने केंद्रीय नोडल एजेंसियों के कामों के लिए परिवहन और भंडारण का खर्च वहन करने का फैसला लिया है। तिलहनों के विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य आगे आए।  इसके लिए कवरेज को तिलहनों के राज्य उत्पादन के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया गया है। अवधि को भी तीन महीने से चार महीने किया गया है। वर्ष  2024-25 के लिए सोयाबीन में मॉइश्चर सीमा 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है। 6 राज्यों से अब तक लगभग 11.41 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदी गई है और यह अब भी जारी है। 

6 सूत्रीय रणनीति पर किया जा रहा काम (Work is being done on 6-point strategy)

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस वर्ष कृषि क्षेत्र व संबद्ध क्षेत्र की विकास दर साढ़े 3 प्रतिशत से 4 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किसान कल्याण और कृषि क्षेत्र में विकास की हमारी 6 सूत्रीय रणनीति है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उत्पादन बढ़ाना - प्रति हेक्टेयर या प्रति एकड़ उत्पादन कैसे बढ़ सकता है यह सरकार की रणनीति है, उसके लिए आईसीएआर लगातार रिसर्च करके उन्नत बीजों की किस्म को जारी करता है। सूक्ष्म सिंचाई योजना, मैकेनाइजेशन, तकनीक का प्रयोग, नई कृषि पद्धतियां आदि अनेकों दिशा में केंद्र काम कर रहा है। उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन की लागत कैसे घटे? आय को तेजी से बढ़ाने के लिए उत्पादन की लागत कम करनी होगी आदि पर हम काम कर रहे हैं। 

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