Wheat farming : दिसंबर के आखिरी हफ्ते में देश के उत्तर पश्चिम और मध्य राज्यों के कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश और ओलावृष्टि हुई। इससे गलन और सर्दी बढ़ गई। वहीं, ठंड बढ़ने और शीतलहर चलने के कारण इस समय रबी मौसम की प्रमुख फसल गेहूं अच्छी स्थिति में है। फसलों का तेजी से विकास भी हो रहा है। लेकिन कई स्थानों के किसानों की समस्या है कि गेहूं की फसल में समय पर खाद एवं सिंचाई करने के बाद भी गेहूं के कल्ले में वृद्धि नहीं हो रही है और फुटाव भी कम हो रहा है। किसानों का कहना है कि गेहूं में सब कुछ डालने के बाद भी कल्ले नहीं बन रहे हैं। गेहूं की फसल में कल्ले नहीं बढ़ने एवं फुटाव कम होने का सीधा असर गेहूं की पैदावार पर पड़ेगा।
बता दें कि गेंहू की फसल में कल्लों का फुटाव और बढ़वार गेहूं की पैदावार को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। गेहूं में अधिक कल्ले का मतलब है अधिक बालियां बनेगी, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी है। गेहूं में सही उर्वरकों के साथ-साथ समय पर उचित मात्रा में सिंचाई करने से कल्लों का फुटाव और बढ़वार को बढ़ाया जा सकता है। कल्ले की संख्या को बढ़ाने के लिए खादों और न्यूट्रिशन को समय पर प्रयोग करना भी उतना ही जरूरी होता है जितना कि उन्हें खेत में डालना। यदि समय पर खादों और न्यूट्रिशन का प्रयोग नहीं करोगे, तो वह पूरी तरह से फसल में कार्य नहीं करेंगे। हालांकि, फसल में यह सब करने के बाद भी गेहूं में कल्लों का फुटाव नहीं हो रहा है, तो इसके लिए किसान भाई नीचे बताए जा रहे कुछ खास फॉर्मूला को अपनाकर कल्लों की संख्या और फुटाव को बढ़ा सकते हैं।
गेहूं की खेती में अधिक सिंचाई करने की वजह से, पोषक तत्वों की कमी से या फिर मिट्टी की संरचना बिगड़ने की वजह से पीलापन आता है जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ता है। कल्लों का फुटाव कम होना और फसल में पीलापन आ जाना यह लक्षण तब दिखाई देते हैं, जब पौधों की जड़ों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। ऐसे में सही समय में उपाय कर लेने से कल्लों की ग्रोथ में अधिक असर नहीं पड़ता है। गेहूं में कल्ले बढ़ने के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन है। फसल में इसकी पहली खुराक बुवाई के समय और दूसरी खुराक बुवाई के 21 दिन पश्चात पहली सिंचाई के साथ दें। जड़ों और पौधों की अच्छी ग्रोथ व मजबूती के लिए फॉस्फोरस और पोटाश का सही अनुपात में इस्तेमाल करें। एनपीके 19:19:19 अनुपात को 120 से 130 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। किसान 250 एमएल नैनो डीएपी का छिड़काव भी इस समस्या के लिए कर सकते हैं। इसके अलावा 250 एमएल ह्यूमिक एसिड का 120 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल में छिड़काव करने से भी कल्ले का फुटाव तेजी से होगा और पौधे हरे-भरे हो जाएंगे।
पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी कई बार गेहूं की फसल में पीलापन या फिर कल्ले का फुटाव कम होने की समस्या आ जाती है। इस समस्या से निजात के लिए किसान भाई 100 से 125 ग्राम चिलेटेड जिंक को 120 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ फसल में छिड़काव कर दें। यदि चिलेटेड जिंक ना मिले तो 700 ग्राम जिंक सल्फेट को बालू रेत या फिर यूरिया में मिलाकर एक एकड़ फसल में छिड़क दें। गेहूं के पौधों के विकास और ज्यादा उपज के लिए जिंक की कमी को दूर करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, मैग्नीशियम सल्फेट 100 से 125 ग्राम की मात्रा 120 लीटर पानी में घोल बनाकर गेहूं की एक एकड़ फसल में छिड़काव कर दें। साथ ही 1 किलो यूरिया लेकर 120 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। ऐसा करने से कल्लों का फुटाव बढ़ेगा, पौधों से पीलापन की समस्या दूर होगी तथा गेहूं की फसल हरी-भरी हो जाएगी।
गेहूं में कल्ले बढ़ाने के लिए बीजों को 20 सेमी की दूरी पर बोएं, जिससे पौधों को फैलाव के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। बीजों को 4 से 5 सेमी की गहराई पर ही बोना चाहिए। सही गहराई होने से पौधे की जड़ें मजबूत होती हैं। बीजों की बुवाई के वक्त वर्मी कंपोस्ट और गोबर की खाद का प्रयोग करें, इससे मिट्टी की संरचना सुधारने में मदद मिलती है। पौधों में कल्लों के फुटाव और बढ़वार के लिए ग्रोथ रेगुलेटर जैसे कात्यायनी फास्ट का उपयोग करें। उन्नत तकनीकी आधारित नैनो यूरिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्प्रे फसल में कल्ले की गुणवत्ता में सुधार करता है। फसल में जड़ गलन, पत्ती झुलसा रोग और कीटों से बचाव के लिए कवकनाशी जैसे कार्बेन्डाजिम दवाओं एवं कीटनाशकों का उपयोग करें।
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