ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें बेशुमार योजनाओं के माध्यम से लोगों को फायदा पहुंचा रही है। इस कार्य में सरकारें काफी हद तक सफल भी हुई है। गांवों में बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, खेती, डेयरी, बागवानी, औषधीय फसलों की खेती, मछली पालन आदि को प्रोत्साहित कर रही है ताकि ग्रामीण लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। अब सरकार की एक योजना से 10वीं पास बेरोजगार युवा भी 3.75 लाख रुपए की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं और मात्र 1.25 लाख रुपए से अपने गांव में मिट्टी जांच केंद्र (Soil Testing Center) खोलकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट से जानें कि बेरोजगार युवा अपने गांव में मिट्टी जांच केंद्र कैसे खोल सकते हैं और मिट्टी जांच केंद्र से हर महीने कितनी कमाई कर सकते हैं।
खेती में अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मिट्टी में 17 प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो समय-समय पर कम या ज्यादा हो सकते हैं। अगर कोई पोषक तत्व कम हो जाता है तो इससे पैदावार पर प्रभाव पड़ता है। जिस प्रकार स्वस्थ शरीर के लिए अच्छा खान-पान जरूरी है, उसी प्रकार खेती में अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी में पोषक तत्व होना चाहिए। मिट्टी की जांच से पता चलता है कि किस पोषक तत्व की कमी और किस तत्व की अधिकता है। किसानों को 2 या 3 साल में मिट्टी की जांच करानी चाहिए। मिट्टी की जांच का सबसे उचित समय बीज की बुवाई या रोपाई से एक महीने पहले माना गया है। अगर किसान मिट़्टी की जांच करवाता है तो उसे पता चलता है कि कौनसी फसल से उसे ज्यादा पैदावार मिल सकती है। मिट्टी की जांच में भूमि के अमलीय और क्षारीय गुणों की पहचान होती है।
देश का किसान अब वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने लगा है। खेती में ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, ड्रोन, उन्नत खाद-बीज, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आदि का उपयोग करता है। अभी भी किसान मिट्टी की जांच के फायदों से अनभिज्ञ है और मिट्टी की जांच लंबे समय तक नहीं करवाता है। सरकार भी मिट्टी की जांच कराने के लिए किसानों को जागरूक कर रही है और मिट़्टी की जांच के लिए प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) योजना भी संचालित कर रखी है। धीरे-धीरे किसान मिट्टी जांच के महत्वत को समझ रहे हैं और मिट्टी की जांच कराना चाहते हैं लेकिन अभी भी देश के लाखों गांवों में मिट्टी जांच केंद्र नहीं है। अगर बेरोजगार युवा अपने गांव में मृदा जांच केंद्र खोलते हैं तो हर महीनें 20 से 25 हजार रुपए आसानी से करा सकते हैं। मिट्टी के एक सैंपल की जांच 300 रुपए में होती है।
केंद्र सरकार अपनी सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के माध्यम से पंचायत स्तर पर मिनी मिट्टी जांच केंद्र खोलने में बेरोजगार युवाओं की मदद कर रही है। 18 से 40 साल की उम्र के युवा अपनी पंचायत में मिट्टी जांच केंद्र खोल सकते हैं। इसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है। मिट्टी जांच लैब भी दो प्रकार की होती है जिसमें पहला है इममोवबल सॉयल टेस्टिंग लैबोरेट्री। इसमें किराए की दुकान पर मिट्टी जांच केंद्र शुरू करना होता है। यह लैब आप अपने गांव में शुरू कर सकते हैं। वहीं दूसरा है मोबाइल सॉयल टेस्टिंग लैबोरेट्री। इममें आप एक गाड़ी में सॉइल टेस्टिंग लैब खोल सकते हैं। इस गाड़ी से गांव-गांव घूमकर खेतों की मिट़्टी जांच कर सकते हैं और मोटा मुनाफा कमा कमा सकते हैं।
मिट्टी जांच केंद्र की लागत करीब 5 लाख रुपए आती है। सॉइल हेल्थ कार्ड योजना में मिट्टी जांच केंद्र खोलने पर 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। यानी आपको सरकार से 3.75 लाख रुपए की सब्सिडी मिलेगी, शेष 1.25 लाख रुपए आपको अपनी जेब से खर्च करने होंगे।
अगर आप अपनी पंचायत में मिट़्टी जांच केंद्र खोलना चाहते हैं तो आपका किसान परिवार से जुड़ा होना आवश्यक है। किसान परिवार से जुड़ा युवा ही खेती से जुड़ी हर बात को बारिकी से समझता है और मिट़्टी की जांच के बाद किसानों को सही सलाह दे सकता है। मिनी मिट्टी जांच केंद्र खोलने के लिए आप अपने जिले के कृषि विभाग कार्यालय में जाकर संबंधित अधिकारियों से मिल सकते हैं। इसके अलावा agricoop . nic . in और soilhealth . dac . gov . in वेबसाइट पर जाकर मिट्टी जांच केंद्र खोलने के लिए संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर भी कॉल कर सकते हैं।
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