बिरसा सिंचाई कूप योजना के माध्यम से झारखंड राज्य सरकार ने 1 लाख कुएं बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए कुल 500 करोड़ रुपए का बजट भी राज्य सरकार ने जारी किया है।
खास बात यह है कि इस योजना के तहत ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार भी दिया जाएगा। आईये, झारखंड राज्य सरकार की इस खास योजना के बारे में विस्तार से जानें।
सिंचाई कूप योजना : किसानों को पैसाें के साथ रोजगार भी दे रही है सरकार
Birsa Irrigation Well Scheme Jharkhand : झारखंड राज्य सरकार सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास अपने स्तर पर कर रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पूरे राज्यभर में कुओं का निर्माण करने का फैसला लिया है। जिसके तहत सरकार बिरसा सिंचाई कूप योजना के माध्यम से राज्यभर में 1 लाख कुआं का निर्माण कराएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपए की राशि के बजट को स्वीकृत किया है। राज्य सरकार और मनरेगा के तहत चलने वाले बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन योजना के तहत एक लाख सिंचाई कूपों का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में 50-50 हजार कुओं के निर्माण का लक्ष्य तय किया है, जिसके तहत बोल्डर सिंचाई कूप निर्माण के लिए 50 हजार रुपए एवं ईंट सामग्री से कूप निर्माण के लिए 1 लाख रुपए प्रति कूप लाभार्थियों को प्रदान किए जाएंगे।
योजना के तहत खर्च होंगे 500 करोड़ रुपए
झारखंड में किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने और भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा बिरसा सिंचाई कूप योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत राज्यभर में 1 लाख कुओं का निर्माण राज्य सरकार करवा रही है, जिसके लिए राज्य के हजारों किसानों को मंजूरी भी दे दी गई है। झारखंड सरकार इस योजना के तहत विभिन्न चरणों में 1 लाख सिंचाई कूपों के निर्माण पर कुल 500 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 में 250 करोड़ तथा 2024-25 में 250 करोड़ रुपए खर्च होंगे। राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने ग्रामीण विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि जल्द से जल्द योजना का लाभ ग्रामीणों को दिया जाए। इस योजना की शुरुआत इस वित्तीय वर्ष 2023-24 से ही की गई है, जिससे भूमिगत जल संरक्षण को बल मिल सकेगा और वर्षा जल संग्रहण के प्रति लोग जागरूक हो सकेंगे।
दो चरणों में किया जाएगा 1 लाख कुओं का निर्माण
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग एवं मनरेगा से चलने वाले बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन मिशन के तहत राज्यभर में एक लाख कूपों का निर्माण दो चरणों में किया जाना है। इसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 में पहले प्रथम चरण में 50 हजार एवं द्वितीय चरण में 50 हजार सिंचाई कूप का निर्माण सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में कराया जाना है। इससे संबंधित संकल्प ग्रामीण विकास विभाग ने जारी कर दिया है। जिसमें कहा गया है कि राज्य में मनरेगा के तहत क्रियान्वित बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत पौधों की सिंचाई में यह योजना सहायक सिद्ध होने के साथ ही एक फसली खेती को दो फसली खेती में परिवर्तित करने में अत्यधिक उपयोगी साबित हुई है। जिसे देखते हुए दो वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में एक लाख सिंचाई कूप बनाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार ने सिंचाई कूपों के निर्माण की डेटलाइन तय करते हुए 15 नवंबर 2024 तक 1 लाख कुओं का निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है।
इन लाभार्थी को दी जाएगी प्राथमिकता
झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन योजना के तहत मनरेगा अधिनियम 2005 के अंतर्गत कृषि कार्य से संबंधित लाभार्थी, बाबा साहेब आंबेडकर आवास योजना के लाभुक, बिरसा हरित ग्राम योजना के लाभार्थी को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, अनुसूचित जाति-जनजाति, अधिसूचना में से निकाली गयी जनजाति, घुमंतु जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे अन्य कुटुम्ब भूमि सुधारों के लाभुक और शारीरिक रूप से विकलांगों को भी योजना का लाभ मिलेगा।
मनरेगा के तहत ग्रामीण स्तर पर ही मिलेगी रोजगार गारंट
मनरेगा के तहत क्रियान्वित बिरसा सिंचाई कूप योजना के तहत राज्य के सभी जिलों में सिंचाई कूपों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, बनाए गए सिंचाई कूपों की स्थिरता एवं उपयोगिता बनाए रखने के लिए कूप के आसपास जल संचयन और जल संरक्षण एवं मृदा संरक्षण के कार्य बड़े पैमाने पर किया जाएगा। इन कार्यों को पूरा कराने के लिए ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा के तहत ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन की रोजगार गारंटी देगा। मनरेगा के तहत मजदूरों को वित्तीय वर्ष में मांग के अनुसार ग्रामीण स्तर पर ही गारंटी रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा। जिससे ग्रामीण स्तर ही मजदूरों को काम उपलब्ध होने से शहरों की ओर पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या कम होगी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
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