Urea Subsidy : अंतराष्ट्रीय बाजारों में रासायनिक उर्वरकों और यूरिया (chemical fertilizers and urea) की कीमतों में लगातार वृद्धि के बावजूद भी देश में किसानों को यूरिया और फर्टिलाइजर सस्ते दाम पर ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं। क्योंकि भारत सरकार फर्टिलाइजर कंपनियों को भारी सब्सिडी प्रदान करती है। इस बार खरीफ के सीजन ( kharif season) में सरकार द्वारा किसानों को सस्ती दर पर यूरिया (urea) की उपलब्धता के लिए घोषणा की गई है। इससे किसानों को इस खरीफ सीजन में भी सस्ती दर पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। फिलहाल यूरिया की कीमतों में अभी कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। देश में यूरिया की कीमतों (urea prices) को स्थिर रखने के लिए मोदी सरकार (Modi government) द्वारा 10 लाख करोड़ रुपए की यूरिया सब्सिडी (urea subsidy ) का आवंटन किया गया है। बता दें कि खरीफ और रबी सीजन की सभी फसलों में रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता होती है। जिसमें सबसे अधिक यूरिया का प्रयोग किया जाता है। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सालाना करीब 310 लाख टन यूरिया और अन्य फर्टिलाइजर की जरूरत पड़ती है। आयातित (imported) उर्वरक के दाम अधिक होते हैं, लेकिन सरकार इन उर्वरकों के लिए फर्टिलाइजर कंपनी और किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। ताकि किसानों को यह सस्ती कीमतों पर मिल सके।
सरकार ने खाद सब्सिडी के लिए खर्च किए 10 लाख करोड़ रुपए
15 अगस्त 2023 मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की भाजपा सरकार की अब तक की उपलब्धियां गिनाते हुए विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का वादा भी किया है। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि देश की प्रगति में किसानों का सबसे बड़ा योगदान है। हमारे किसानों का ही प्रयास है कि हमारा देश कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में निरंतर महंगी होती खादों और केमिकल का बोझ किसानों पर न पड़े, इसकी भी गारंटी भाजपा सरकार ने किसानों दी है। उन्होंने कहा कि देश में यूरिया की जो बोरियां कम कीमत पर बिकती हैं। वहीं वैश्विक बाजारों में किसानों को 3,000 रुपये से अधिक में दी जाती है। इसके लिए केंद्र की भाजपा सरकार यूरिया पर 10 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान कर रही है। कुल मिलाकर अगर देखें तो सिर्फ फर्टिलाइजर सब्सिडी पर बीजेपी सरकार 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च कर रही है।
अतंराष्ट्रीय बाजारों में यूरिया की वास्तविक कीमत
फिलहाल, अतंराष्ट्रीय बाजारों में 45 किलो की एक बोरी यूरिया की वास्तविक कीमत करीब 2200 रुपए के आस पास है। लेकिन सरकार द्वारा इस पर सब्सिडी देने के चलते यह किसानों को सिर्फ 267 रुपए प्रति बोरी में उपलब्ध होती है। यह सब्सिडी सीधे किसानों को नहीं देकर फर्टिलाइजर कंपनियों को दी जाती है। सरकार का कहना है कि वैश्विक स्तर पर यूरिया की कीमत 3000 रुपए बोरी से ऊपर है। यूरिया 45 किलो की एक बोरी की कीमत चीन में 2100 रुपए और अमेरिका में 3000 रुपए है। वहीं भारत का किसान 45 किलो की एक बोरी यूरिया खरीदता है, तो उसे 1933 रुपए की सब्सिडी मिलती है। केंद्र की भाजपा सरकार प्रति किसान रासायनिक खाद पर 21,233 रुपए की सब्सिडी दे रही है, जिसमें से अधिकांश यूरिया है।
यूरिया, डीएपी समेत अन्य रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी
केंद्र की भाजपा सरकार किसानों को खाद व उर्वरक सस्ती कीमत पर उपलब्ध करवाने के लिए खाद कंपनियों को भारी सब्सिडी देती है। जिसमें घरेलू बाजार में यूरिया की 45 किलों की एक बोरी की कीमत 266.50 रुपए है, जबकि वैश्विक स्तर पर एक बोरी यूरिया की कीमत 4,000 रुपए है। इस पर सरकार करीब 3,700 रुपए प्रति बोरी की सब्सिडी खाद कंपनियों को देती है। वहीं, डीएपी उर्वरकों की घरेलू बाजार में 50 किलो की एक बोरी की कीमत 1,350 रुपए है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 4,200 रुपए प्रति बोरी है। इस पर भी सरकार करीब 2501 रूपए की सब्सिडी खाद कंपनियों को देती है। इसके अलावा एनपीके की एक बोरी की कीमत घरेलू बाजार में 1470 रुपए है, जबकि वैश्विक बाजारों में इसके एक बोरी की कीमत 3291 रुपये प्रति बैग है। सरकार द्वारा इस पर करीब 1918 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। वहीं एमओपी पर 759 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। जिसके बाद किसानों को एमओपी की 50 किलो की एक बोरी 1700 रुपए पर मिलती है। अंतराष्ट्रीय बाजारों में 50 किलो की एक बोरी की कीमत करीब 2654 रुपए है।
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