सरकार के फैसले से किसानों को मिलेगी राहत, सिंचाई के लिए नहरों से मिलेगा पानी

पोस्ट -11 सितम्बर 2023 शेयर पोस्ट

सरकार ने लिया राहत बड़ा फैसला, किसानों को सिंचाई के लिए नहरों में छोड़ने जा रही पानी 

Crop Irrigation :  मध्यप्रदेश सरकार ने नहरों में पानी छोड़ने का फैसला लिया है। इसके तहत सबसे पहले नर्मदापुरम संभाग के तवा डैम से नहरों में छोड़ा जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से  लिया गया यह फैसला किसानों को बहुत बड़ी राहत प्रदान करने वाला है। क्योंकि इस वक्त अच्छी बारिश न होने और तेज गर्मी पड़ने के कारण किसानों द्वारा बोई गई धान, सोयाबीन समेत अन्य खरीफ फसलें सूखने के कगार पर है। 

फसल सिंचाई : सिंचाई के लिए नहरों में पानी देने जा रही सरकार, किसानों को मिलेगा लाभ

Madhya Pradesh Government : देश में अभी तक 11 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, देश में 1 जून से 8 सितंबर के बीच 754.5 मिमी बरसात होती है, जबकि इस बार 675.2 मिमी बारिश ही हुई है। जिसके चलते, देश के कई राज्यों में सितंबर के महीने में भी मई-जून जैसी भीषण गर्मी पड़ रही है। उधर, मानूसन सीजन के बावजूद भी महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में औसत से भी कम बरसात हुई, जिसके चलते यहां बाेई गई खरीफ फसलों को नुकसान होना आरंभ हो चुका है। आशंका लगाई जा रही है कि इस बार इन राज्यों में धान और सोयाबीन के उत्पादन में कमी हो सकती है। जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। राज्य के किसानों को राहत देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने नहरों में पानी छोड़ने का फैसला किया है। इससे राज्य के किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। किसान इस पानी से अपने द्वारा बोई गई फसलों की सिंचाई कर फसल उत्पादन को प्रभावित होने से बचाव कर पाएंगे। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए नहरों में पानी देने की शुरुआत नर्मदापुरम संभाग के तवा डैम से पानी छोड़कर की जाएगी। 

कृषि मंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने 3 सितंबर को एक ट्वीट के जरिये यह जानकारी दी कि सरकार राज्य में किसानों को सिंचाई के लिए नहरों में पानी छोड़ने जा रही है। इसकी शुरूआत नर्मदापुरम संभाग के तवा डैम से पानी छोड़कर की जाएगी। तवा डैम से पानी छोड़े जाने से अभी नर्मदापुरम और इटारसी तहसील के किसानों को लाभ होगा। इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब राज्य में किसानों के लिए ऐसे राहत भरा फैसला लिया है। ट्वीट कर जानकारी देते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि बारिश की कमी के चलते नर्मदापुरम और इटारसी तहसील के किसानों के हित में धान की फसलों के लिए 3 सितंबर के दिन तवा डैम से 700 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, बरसात से नहरों में उपलब्ध पानी को मिलाकर करीब 1050 क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए किसान भाईयों को मिलेगा। तवा डैम से 20 किलोमीटर लंबाई के क्षेत्र तक धान की फसलों की सिंचाई के लिए अभी पानी छोड़ा गया है।

सूखे की स्थिति से निपटने के लिए आयोजित की बैठक

मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने अपने ट्वीट में कहा कि राज्य में सूखे की स्थिति से निटपने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक आयोजित की। इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल उपयोगिता समिति की बैठक जल्द आयोजित की जाए। जहां पानी उपलब्ध है, वहां डेम से नहरों में पानी छोड़ने की व्यवस्था करें। डैमों का परीक्षण कर लें। डैमों में अभी कितना पानी उपलब्ध है, इसकी सही जानकारी भी लें। जिला प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए जाए। इसके अलावा, किसानों को सिंचाई के संबंध में जरूरी एडवाइजरी भी जारी की जाए। 

फसलों के सर्वे का काम जल्द से जल्द आरंभ किया जाए

ट्वीट में उन्होंने कहा कि इस वर्ष राज्य के कई जिलों में औसत से बहुत कम बारिश हुई है। इन जिलों में सितंबर के महीने में अप्रैल जैसी गर्मी पड़ रही है। इसका असर धान की फसलों पर साफ नजर आ रहा है। तेज पड़ रही धूप से इन जिलों में धान के खेतों में पड़ रही दरारों से किसान चिंतित है। जिसके चलते अब प्रभावित जिलों के किसानों एवं जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग की जा रही है। किसानों और जन प्रतिनिधियों द्वारा यह मांग की जा रही है, प्रशासन द्वारा जल्द से जल्द फसलों के सर्वे का काम आरंभ किया जाए और उन्हें प्रभावित फसलों का उचित मुआवजा दिया जाए। 

इस साल धान के उत्पादन में आ सकती है गिरावट 

वहीं, मध्य प्रदेश के रायसेन में अगस्त महीने में बारिश न होने के कारण धान की फसल सूख रही। किसान धान की फसलों की सिंचाई महंगे भाव के डीजल से करने को मजबूर है। जिसके कारण फसल उत्पादन लागत भी बढ़ रही है। इससे किसानों का मुनाफा भी प्रभावित हो रहा है। वही, सितंबर के महीने में भी अच्छी बारिश न होने के कारण क्षेत्र में बोई गई धान की फसल सूख रही है। प्रभावित किसान खूद अपने खेतों में खड़ी धान की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर रहे हैं। रायसेन मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा धान उत्पादक जिला है। जिले में इस साल करीब 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों द्वारा धान की बुवाई की गई है। मौसम की बेरूखी के कारण इस साल धान के उत्पादन में गिरावट आने आशंका है। जिसका प्रभाव आम लोगों की जेबों पर पड़ सकता है। क्योंकि उत्पादन घटने से मंहगाई बढ़ना संभव है। 

किसानों को हो रहा है भारी नुकसान

उधर, रायसेन जिले के मोहनियाखेड़ी गांव के किसान अपने धान के खेतों में पड़ रही दरारों से चिंतित हैं। स्थानीय निवासी किसान चंद्रेश शर्मा बताते हैं कि उन्होंने अपने 25 एकड़ खेत में लगभग 7 लाख रुपए की लागत से धान फसल की बुवाई की थी। क्षेत्र में पिछले एक महीने से बारिश नहीं होने के कारण खेतों में दरारें पड़ गई हैं। नीचे से धान की फसल पीली पड़ने लगी है। सरकार सिर्फ 4-6 घंटे बिजली दे पा रही है। जिसके कारण खेतों में खड़ी धान की फसलों की सही से सिंचाई नहीं हो पा रही है। खेतों में तैयार खड़ी फसलों को सूखते देख किसान सीने पर पत्थर रखकर अपने खेतों में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला रहे हैं। ऐसी स्थिति में जिले के किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।  

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