आज के समय में किसान पारंपरिक खेती-किसानी करने के साथ ही अन्य व्यापारिक फसलों की खेती करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इसी कड़ी में आज हम ऐसी ही व्यापारिक फसल सोड घास की खेती पर चर्चा करेंगे। सोड घास जिसे टर्फ के रूप में भी जाना जाता है, मिट्टी की ऊपरी परत होती है, जिस पर घास उगती है जिस घास की कटाई अक्सर रोल में की जाती हैं। सोड आमतौर पर दुनिया भर के लॉन, गोल्फ कोर्स और खेल स्टेडियमों के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन आजकल आवास का निर्माण करते समय पार्क व बगीचों में इस घास का उपयोग करके कम समय में अपने पार्क में घास उगा सकते हैं व ये घास मिट्टी के कटाव को रोकने में भी उपयोगी होती है। अपने देश में भी इस सोड घास की बाजार में मांग अधिक हैं व इसकी खेती कम रकबे में की जाती हैं। जिसके कारण इसकी खेती करके किसान अच्छा लाभ व मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाइयों आज ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ सोड घास की खेती से जुड़ी सभी जानकारियां साझा करेंगे।
सोड घास की खेती करते समय इसकी फसल को अच्छे से विकसित करने के लिए रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। सोड घास की खेती समतल भूमि पर उगाई जाती है, इसकी फसल की कटाई करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि यह घास गीली होने पर वजन में काफी भारी हो जाती है और सूखने पर बहुत ही सख्त हो जाती है। इसीलिए इसकी खेती करने करने के लिए भूमि समतल या लहरदार होनी चाहिए।
सोड घास की खेती करने से पहले खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई करके खेत से कंकड़ व वनस्पतियों को साफ कर देना चाहिए। इसके लिए हल या कल्टीवेटर की मदद से खेत की 3 से 4 बार अच्छे से जुताई करनी चाहिए। टर्फ (घास) के अच्छे से विकास करने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के साथ मिट्टी को उर्वरित करने के लिए खाद की एक परत फैलाई जाती है। जमीन को फिर से खाद को अच्छी तरह से मिलाने के लिए जुताई की जाती है और मौजूदा मिट्टी को और भी ढीला करके भुरभुरा किया जाता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इसकी खेती समतल खेत में ही करें। यदि आप एक असमान सतह पर सोड घास की खेती करने का प्रयास करते हैं, तो जब आप घास की सिंचाई करते समय यह समस्याएं पैदा करेगा, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में पूलिंग होगी, जिससे घास में अत्यधिक पानी जमा हो जाएगा जिससे घास के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
सोड घास की बुवाई बीजों के माध्यम से करते हैं। इसकी रोपाई हाइब्रिड स्प्रिंग्स विधि से होती है। एक बार बीज की बुवाई करने के बाद, इसकी फसल तैयार होने से पहले टर्फ की खेती करने में 10 महीने से लेकर दो साल तक का समय लग सकता है। इसकी फसल में नियमित अंतराल पर पौधे को पानी देना होता है व घास की छंटाई भी समय-समय पर करनी पड़ती है। इसकी खेती करते समय खेत में पौधे के अच्छे से विकास करने के लिए उर्वरक प्रबंधन भी करना होता है।
सोड घास की खेती करने के लिए फार्म शुरू करने के लिए एक अच्छे निवेश की आवश्यकता होती है। सोड फार्म को बनाने के लिए खेत को तैयार करने के लिए अच्छे उपकरण की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। सोड घास की खेती करने के लिए आवश्यक उपकरण सोड कटर, ट्रैक्टर, हल, स्किड स्टीयर लोडर, रोपण ड्रिल, घास काटने की मशीन, उर्वरक स्प्रेडर, रोलर और डिलीवरी करने वाले ट्रक की आवश्यकता होती है। फसल की सिंचाई करने के लिए स्प्रिंकलर जैसे उपकरण की भी आवश्यकता होती है। इसकी खेती व्यापारिक दृष्टि से करने के लिए विशेषज्ञों और कुशल श्रमिकों की भी आवश्यकता होती है।
सोड घास की खेती करने से कई फायदे हैं। इसकी फसल को गहन सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। सोड घास को किसी भी मौसम में में किसी भी समय प्रत्यारोपित किया जा सकता है। सीधे खेत में बोई गई घास की तुलना में इसका विकास जल्दी होता हैं व घास के खराब होने की संभावना बहुत कम होती है। इसकी कटी हुई घास सांपों और अन्य छोटे कीटों द्वारा होने वाले संक्रमण को भी रोकती है। इस घास से पर्यावरणीय लाभ यह है कि यह टर्फ घास एक मिट्टी का आवरण बनाती है, जो हवा और पानी दोनों से क्षरण को रोकने में मिट्टी की मदद करती है। इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण करने के दौरान, यह बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन गैस छोड़ती है।
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