शरबती गेहूं की खेती : रबी सीजन में शरबती गेहूं से होगा दोगुना फायदा

पोस्ट -16 सितम्बर 2022 शेयर पोस्ट

जानें, रबी सीजन में कैसे की जाती है शरबती गेहूं की खेती

खरीफ सीजन के बाद फसलों का रबी सीजन आ रहा है। रबी की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में गेहूं की फसल मुख्य है। इसके अलावा धान, चना, मटर, जौ, मसूर, अरहर आदि फसलें इस सीजन में होती है। सरसों इस सीजन की प्रमुख व्यापारिक फसल है। गेहूं एक ऐसी फसल है जो भारत के हर राज्य में की जाती है लेकिन इसकी सबसे अधिक मुनाफा प्रदान करने वाली किस्म है शरबती गेहूं। जी हां, यह किस्म किसानों को गेहूं की सामान्य फसलों से कई गुना मुनाफा दिलाती है। अभी गेहूं की फसल की बुआई शुरू नहीं हुई है लेकिन आने वाले दिनों में जब गेहूं खेतों में बोया जाएगा तो उससे पहले किसान भाई अभी से तय कर लें कि उन्हे इस बार शरबती गेहूं ही बोना है। शरबती गेहूं की यह किस्म 306 नाम से भी जानी जाती है। इसकी खेती सबसे अधिक मध्यप्रदेश में होती है। आमतौर पर गेहूं का भाव 2,000 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल होता है लेकिन शरबती गेहूं के दाम 3,500 से 4,000 रुपये तक होता है। यहां ट्रैक्टरगुरु की इस पोस्ट में आपको शरबती गेहूं की खेती के गुण बताने के साथ इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। हमारे साथ ट्रैक्टरगुरु पर बने रहें।

एडवांस बुकिंग में बोया जाता है शरबती गेहूं

गेहूं की परंपरागत खेती से अलग हटकर इसकी प्रीमियम किस्म शरबती की खेती एडवांस बुकिंग पद्धति से भी होती है। एडवांस बुकिंग के तहत किसान बाजार मांग के अनुसार शरबती गेहूं की खेती करते हैं। इससे किसानों को गेहूं की सामान्य किस्मों के मुकाबले शरबती गेहूं का भाव 4000 रुपये से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल जाता है। शरबती गेहूं का मंडी में न्यूनतम भाव 2800 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक होता है। शरबती गेहूं की कम आवक होने से मंडी में इसके भावों में तेजी बनी रहती है। वहीं एडवांस बुकिंग का गेहूं किसान मंडियों के बाहर ही अच्छे दामों पर बेच देते हैं। सच पूछो तो शरबती गेहूं की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

शरबती गेहूं के दानों की पहचान

वैसे तो शरबती गेहूं की विशेष किस्म का खास ट्रेडमार्क होता है लेकिन यदि इसके दानों की पहचान की बात करें तो इस किस्म के दानों में अलग ही चमक दिखाई देती है। इसके दाने गोल एवं चमकदार होते हैं। यह चमक रासायनिक पोटाश गुण के कारण होती है। शरबती गेहूं खाने में स्वादिष्ट होता है। इस गेहूं में ग्लूकोज और सुक्रोज जैसे सरल शर्करा की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा सभी दाने समान आकार के होते हैं। इसे द गोल्डन ग्रेन और एमपी के गेहूं के नाम से भी जाना जाता है। शरबती गेहूं की खेती मध्यप्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में भी की जाती है।

शरबती गेहूं की खेती कैसे करें?

शरबती गेहूं की खेती के कुछ खास तरीके हैं। इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेत में चार-पांच जुताई कर पाटा लगाएं और मिट्टी भुरभुरी होने के बाद गेहूं की बिजाई करें। नमी के लिए पहले पलेवा के रूप में सिंचाई कर दें। ध्यान रहे कि इस किस्म के गेहूं की खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग बिल्कुल नहीं करे। यह गेहूं असिंचिंत क्षेत्र में भी पैदा किया जा सकता है। इसमें सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। इसके लिए दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त रहती है। सामान्यता तीन से चार सिंचाई में यह गेहूं तैयार हो जाता है। इसकी हाइट करीब 5 फीट तक बढ़ जाती है। गेहूं की बुआई नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू हो जाती है।

देश के इन हिस्सों में होता है शरबती गेहूं का अधिक उत्पादन

आपको बता दें कि शरबती गेहूं का उत्पादन भारत में मध्यप्रदेश में सबसे अधिक होता है। इसके बाद उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा इसके ज्यादा उत्पादक राज्य हैं। मध्यप्रदेश में शरबती गेहूं की खेती सबसे ज्यादा सीहोर जिले के अलावा विदिशा, होशंगाबाद, नरसिंहपुरा, हरदा, अशोक नगर, भोपाल और मालवा क्षेत्र के जिलों में होती है। शरबती गेहूं की पैदावार गेहूं की अन्य किस्मों के मुकाबले कम होती है, इसलिए लोग कम जमीन पर इस गेहूं की खेती करते हैं। जहां पहले अच्छी बारिश के कारण चने का रकबा ज्यादा था वहां भी अब शरबती गेहूं की खेती की जाती है। सीहोर जिले में शरबती गेहूं की खेती 40390 हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जाता है और वार्षिक उत्पादन 109053 मिट्रिक टन है। वहीं अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो इसका उत्पादन 8 से 12 क्विंटल प्रति बीघा यानि 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होता है। अन्य गेहूं की किस्मों  की तुलना में शरबती गेहूं का उत्पादन थोड़ा कम होता है, क्योंकि जैविक खेती की तरह ही इसकी खेती होती है।

सात राज्यों में होती है शरबती गेहूं की सप्लाई

यहां बता दें कि शरबती गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में होता है। इसके साथ ही नरसिंहपुरा, होशंगाबाद, हरदा, अशोक नगर, भोपाल और मालवा क्षेत्र के जिलों में इसकी खेती  व्यापक रूप से होती है। सीहोर का शरबती गेहूं भारत के सात राज्यों तमिलनाडु, गुजरात, चैन्नई, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लिए भेजा जाता है। यहां की कंपनियां स्वयं आकर यहां गेहूं खरीदती हैं।

अनेक विशेषताओं से भरपूर है शरबती गेहूं

शरबती गेहूं की अनेक विशेषताएं हैं जो इसे गुणवत्ता प्रदान करती हैं। यहां इसकी विशेषताएं इस प्रकार हैं :

  • शरबती गेहूं गोल और चमकदार होता है। इसका स्वाद मीठा होता है।

  • इसका दाना ठोस और वजनदार होता है। इसमें पोटाश की मात्रा अधिक होने के कारण होता है।

  • सी 306 शरबती गेहूं में ग्लूकोज सर्करा, सुक्रोज की मात्रा अधिक पाई जाती है।

  • शरबती गेहूं की रोटियां मुलायम बनी रहती हैं।

  • शरबती गेहूं का दाना 99 प्रतिशत सूखा होता है।

  • बाजार में मिलने वाला महंगा चक्की का आटा शरबती गेहूं का ही होता है।

कुल मिलाकर, गेहूं की उन्नत किस्म शरबती गेहूं अन्य किस्मों से कई गुना अधिक उत्पादन देने वाली है। इसका बाजार भाव भी करीब दोगुना रहता है। ऐसे में किसानों को इस किस्म के गेहूं की खेती करना काफी लाभदायक  हो सकता है।

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