Crop insurance fraud : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत ऋणी, गैर-ऋणी किसान या बटाईदार काश्तकार न्यूनतम प्रीमियम देकर प्राकृतिक आपदाओं से अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। महाराष्ट्र, ओडिशा, मेघालय, पुडुचेरी समेत कई अन्य राज्यों में यह योजना संचालित है। इसके तहत किसानों की रबी और खरीफ मौसम फसलों का बीमा किया जाता है। इस योजना में फर्जीवाड़ा रोकने और दावों का भुगतान आसानी से करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा कई बड़े कदम भी उठाए जा रहे हैं। इन सब के बीच महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Crop Insurance Scheme) में बड़ी संख्या में फर्जी दावों का मामला सामने आया हैं। इसके बाद जांच समिति ने सरकार से कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि कृषि आयुक्तालय (Agricultural Commissionerate) द्वारा सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें फर्जी आवेदन दाखिल करने वालें किसानों के आधार नंबर को डीबीटी पोर्टल पर ब्लॉक करने का सुझाव दिया है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो 4 लाख से अधिक आवेदक किसानों को भविष्य में फसल बीमा सहित अन्य किसी भी कृषि योजना का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, अधिकारियों ने साफ किया है कि उच्च कार्यालय से अभी तक कोई अंतिम आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
पिछले माह महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने बताया था कि पीएम फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत वर्ष 2024 के लिए किसानों द्वारा प्रस्तुत किए गए कम से कम 4 लाख से अधिक दावे फर्जी पाए गए। इसके बाद राज्य कृषि आयुक्त रावसाहेब भागड़े के नेतृत्व में 25 सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया था। इसके बाद, राज्य भर में जांच की गई और राज्यभर में इस तरह के फर्जीवाड़े के करीब 4.14 लाख मामलों का खुलासा हुआ। इसके बाद समिति ने सुझाव दिया है कि इन किसानों पर पांच साल के लिए किसी भी सरकारी सब्सिडी का लाभ लेने पर रोक लगाई जाए और फसल बीमा प्रीमियम को कम से कम 100 रुपए किया जाए।
महाराष्ट्र कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच समिति ने इस के फर्जीवाड़े को रोकरने के लिए सरकार से कुछ कठोर सिफारिशें की हैं। जिनमें इन किसानों पर पांच साल की अवधि के लिए किसी भी सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाने पर प्रतिबंध लगाना और फसल बीमा योजना के दुरुपयोग को बढ़ावा देने में शामिल कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालकों को ब्लैकलिस्ट करने तथा उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की मांग की शामिल है। अधिकारी ने बताया कि समिति ने मौजूदा फसल बीमा योजना को बंद करने और इसके तहत नई शर्तें और मानदंड तय करने का भी सुझाव दिया है। सभी फसलों के लिए कवरेज राशि को एक समान रखना और किसानों को 2 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र का बीमा करने से प्रतिबंधित करने की सिफारिशें की हैं।
अधिकारी ने बताया कि पीएम फसल बीमा केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक किसानों के सुरक्षा उपाय के रूप में शुरू की गई थी। ऐसे में बिना केंद्र की मंजूरी के राज्य सरकार इसमें कोई बदलाव नहीं कर पाएगी। हालांकि, फर्जी फसल बीमा के मामलों पर रोक लगाने के लिए समिति की सिफारिशों को समीक्षा के लिए केंद्र को भेजा जा सकता है। पीएमएफबीवाई केंद्र की फसल बीमा योजना है और यह किसानों को एक रुपए के सब्सिडी वाले प्रीमियम पर फसलों का बीमा करने की अनुमति देती है। लेकिन, कुछ लोगों ने इस फसल बीमा योजना का फायदा उठाकर सरकारी प्रणाली (Government system) को धोखा देने की कोशिश की। ऐसे में सरकार अब 100 रुपए से अधिक का प्रीमियम वसूलने पर विचार कर रही है। भविष्य में ऐसी फर्जीवाड़े की जांच के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यक है। किसानों को भी गलत रास्ते पर चलने से बचना चाहिए और पारदर्शी योजना का लाभ उठाना चाहिए, अन्यथा उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
फर्जी आवेदकों को कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ लेने से रोकने हेतु सरकार उनके आधार नंबर को डीबीटी पोर्टल पर ब्लॉक करने की तैयारी कर रही है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो ऐसे किसान भविष्य में किसी भी सरकारी योजना में भाग नहीं ले पाएंगे। अधिकारी का कहना है कि योजना में पारदर्शिता के लिए यह फैसला आवश्यक है। हालांकि, यह ध्यान रखना होगा कि इससे कुछ वास्तविक किसानों को समस्या न हो।
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