भारत में किसानों के सामने कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं, कभी ओलावृष्टि, कभी भारी बारिश के कारण बाढ़ तो कभी आंधी-तूफान आदि के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है। इससे अन्नदाता की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। फसल बीमा के रूप में दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि से किसानों को फसल के नुकसान की पूरी भरपाई नहीं हो सकती। वहीं सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ता है सो अलग। अचानक मौसम कब खराब हो जाए इसका सही अनुमान लगाना अब तक लगभग कठिन था लेकिन अब मौसम का मिजाज बिगड़ने की सूचना किसानों को पहले ही मिल जाएगी। सरकार ने हर ग्राम पंचायत में रेनगेज मशीन लगाने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। यह मशीन किस तरह से काम करेगी और किसानों को इससे क्या फायदा होगा, इसकी पूरी जानकारी आपको यहां ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में दी जा रही है। इसे लाइक और शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों तक सरकार की यह अनूठी योजना पहुंच सके।
झारखंड सरकार ने किसानों की मदद के लिए बड़ा कदम उठाते हुए रेनगेज मशीनें हर ग्राम पंचायत में स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसको अंजाम देने के लिए 48 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार रेनगेज मशीनों को लगाने और इस पूरे सिस्टम को लागू करने में मौसम विभाग और कृषि विभाग प्लानिंग कर रहे हैं। पूरे प्रदेश में 25 हजार मौसम केंद्र भी बनाए जाएंगे। इनकी सहायता से दिन में तीन बार मौसम की रिपोर्ट ली जाएगी। इसके उपरांत इस रिपोर्ट को सीनियर अफसरों को भेजा जाएगा। अंत में फाइनल रिपोर्ट कॉमन सर्विस सेंटर से जारी की जाएगी।
बता दें कि रेनगेज मशीन वर्षा मापी यंत्र होता है। इससे हवा की नमी, तापमान, बारिश का प्रेशर, पाला, सूर्योदय से लेकर सूरज छिपने तक की जानकारी मिल सकती है। इसका उपयोग अब मौसम की सटीक जानकारी जुटाने के लिए किया जा सकेगा।
बता दें कि रेनगेज मशीन किसी प्रकार के खराब मौसम की समय रहते सूचना देगी। यह सूचना जैसे ही किसानों तक पहुंचेगी तो वे अपनी कटी हुई फसल को खेत से हटा कर कहीं सुरक्षित रख सकते हैं। वर्तमान में देश के अनेक हिस्सों में करोड़ों रुपये की सरसों, गेहूं एवं अन्य कीमती फसलें ओलावृष्टि या अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से खराब हो जाती हैं। यदि झारखंड सरकार की तरह ही अन्य राज्य सरकारें भी रेनगेज मशीनें लगाने के लिए जल्द योजना बना लें तो उन क्षेत्रों के किसानों को भी अपनी फसलों को बर्बाद होने से बचाने में सुविधा होगी।
झारखंड सरकार की रेनगेज स्कीम के तहत हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर लगाई जाने वाली रेनगेज मशीन संभावित खराब मौसम के बारे में पहले से ही जानकारी देगी लेकिन इसकी सूचना किसानों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने दो ऐप तैयार किए हैं। इनमें पहला है सचेत ऐप और दूसरा है दामिनी ऐप। बारिश और आंधी की सूचना सचेत ऐप देगा जबकि ओलावृष्टि या बिजली गिरने की सूचना दामिनी ऐप से मिलेगी। मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि झारखंड में पहली बार इस प्रकार की तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जो सरकार की खास कामयाबी मानी जा रही है। यह एक तरह से मौसम के बारे में अलर्ट होगा।
मौसम के बारे में रेनगेज पर उपलब्ध जानकारी को विभाग की ओर से दामिनी और सचेत ऐप पर अपलोड किया जाएगा। इसके बाद किसान इन दोनों ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। इससे मोबाइल पर भी किसानों को खराब मौसम की पूरी जानकारी मिल सकेगी। इसके बाद किसान अपनी फसलों को बचाने में जुट सकते हैं।
झारखंड सरकार के मौसम विभाग ने किसानों को रेनगेज के आधार पर मिलने वाली जानकारी सही समय पर उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के करीब 35 लाख किसानों का डाटा तैयार किया है। यह काम अभी लगातार जारी रहेगा। इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस नई तकनीक का लाभ प्रदान करना है ताकि किसान अपनी फसल को प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकें।
झारखंड सरकार ने किसानों की फसलों को खराब मौसम से बचाने के लिए हर ग्राम पंचायत पर रेनगेज मशीनें लगाने का निश्चय किया है। वहीं रेनगेज पर उपलब्ध होने वाली सूचनाओं को अपलोड कर कॉमन सर्विस सेंटर्स तक भेजा जाएगा। इसके लिए सरकार ने 25,000 केंद्रों को चिह्नित कर लिया है।
झारखंड मौसम विभाग की ओर से किसानों को मौसम के पूर्वानुमान की रिपोर्ट दिन में तीन बार उपलब्ध कराई जाएगी। यह रिपोर्ट विभाग दामिनी और सचेत ऐप के जरिए जारी करेगा। इन ऐप्स से किसानों को जानकारी मिल पाएगी। दामिनी से वज्रपात होने और सचेत ऐप से मौसम का अलर्ट मिलेगा।
झारखंड सरकार के प्रयास से किसानों को मौसम विभाग रेनगेज मशीन के आधार पर खराब मौसम के बारे में सटीक जानकारी देगा। वहीं ऐसे में किसानों को क्या कदम उठाने चाहिए, कैसे अपनी फसलों को समय रहते मौसम की मार से बचाया जाए, इसकी उचित सलाह भी किसान भाइयों को दी जाएगी। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के प्रभारी अभिषेक आनंद के अनुसार विभाग का यह प्रयास रहेगा कि किसानों को उनकी अपनी भाषा में परामर्श दिया जाए जिससे किसान आसानी से बात समझ सकें। यही नहीं किसानों को वाइस मैसेज भी किए जाएंगे। इसके अलावा किसान कॉल सेंटर्स भी जानकारी मिल सकेगी।
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