आलू कुफरी सिंदूरी किस्म: आलू की इस अगेती फसल से 80 दिन में मिलेगी बंपर पैदावार

Posted -28 August 2023 Share Post

Potato crop Variety : आलू की अगेती खेती के लिए सबसे अच्छी किस्म, 80 दिनों में 300 क्विंटल का उत्पादन

उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक जनपद के किसानों को आलू की अगेती फसल (Potato early crop)  के लिए कुफरी सिंदूरी आलू  (Kufri Sindhuri Potato) उगाने की सलाह दे रहा है। आलू की यह किस्म बहुत कम समय में तैयार हो जाती है। किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आलू की कुफरी सिंदूरी किस्म की अगेती फसल तैयार कर सकते हैं। 

आलू की कुफरी सिंदूरी किस्म : किसानों को मात्र 80 दिनों में मिलेगी 300 क्विंटल की पैदावार

Kufri Sindhuri Potato crop Variety : अब तक के मानूसन सीजन में उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हुई है। जिसके चलते प्रदेश के कई जिलों में सूखा पड़ने जैसी स्थिति पैदा होने का अनुमान है। राज्य में हो रही कम बारिश से किसानों को खरीफ फसलों में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रदेश के बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक जनपद में इन दिनों अच्छी बारिश नहीं होने से किसान काफी ज्यादा परेशान है। किसानों की परेशानियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग किसानों को कुफरी सिंदूरी आलू (Kufri Sindhuri Potato) की खेती करने की सलाह दे रहा है। आलू की अगेती खेती के लिए कुफरी सिंदूरी सबसे बेस्ट किस्म है। किसान इस किस्म का प्रयोग आलू की अगेती फसल (Potato early crop) के लिए कर सकते हैं। आलू की कुफरी सिंदूरी किस्म मात्र 80 से 85 दिनों में 250 से 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक की बंपर पैदावार दे सकती है। इस समय मानसून की अनिश्चियताओं के कारण किसानों को काफी आर्थिक हानि हुई है। ऐसे में आलू की कुफरी सिंदूरी किस्म (Kufri Sindhuri Potato crop Variety) की अगेती फसल  (early crop) किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगी। जानकारी के लिए बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्र उत्तर प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने सितंबर महीने के शुरूआत से ही आलू की अगेती खेती तैयार करने की सलाह किसानों को दी है।

कुफरी सिंदूरी किस्म : आलू की अगेती फसल के लिए किसानों की पहली पंसद 

उद्यान विभाग के अधिकारी प्रमोद यादव ने बताया कि प्रदेश के कई इलाकों में किसान बड़े पैमाने पर आलू की फसल लगाते हैं। लेकिन इस बार प्रदेश के कई इलाकों में बारिश न होने से सूखे का खतरा बना हुआ है। इसके कारण आलू की खेती करने वाले किसान आलू की अगेती फसल तैयार करने में संकोच कर रहे हैं। लेकिन आलू की खेती करने वाले किसानों को उद्यान विभाग आलू की कुफरी सिंदूरी किस्म की अगेती फसल लगाने की सलाह दे रहा है। उद्यान विभाग के अधिकारी प्रमोद यादव का कहना है कि कुफरी सिंदूरी आलू की किस्म (Kufri Sindhuri Variety) की फसल 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाती है और किसानों को बाजार में उपज का अच्छा भाव भी दिलवाती है। आलू की अगेती खेती के लिए कुफरी सिंदूरी किस्म (Kufri Sindhuri Variety) किसानों की पहली पसंद है। इस किस्म की फसल से औसत उपज प्रति हैक्टेयर 250 से 300 क्विंटल तक प्राप्त होती है। किसान इसको आलू की अगेती फसल के लिए इस्तेमाल कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं।

अमेठी जनपद के जिला उद्यान से प्राप्त कर सकते हैं आलू बीज

एक रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेठी जनपद के जिला उद्यान अधिकारी संजय यादव का कहना है कि आलू की खेती करने वाले किसानों को हर साल कुफरी सिंदूरी किस्म के आलू (Kufri Sindhuri Variety) के बीज सस्ती दर पर जिला उद्यान विभाग उपलब्ध कराता है। अमेठी जनपद के किसानों ने जिला उद्यान विभाग से आलू के बीज की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। जनपद में करीब 5 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में आलू की फसल किसानों द्वारा तैयार की जाती है। अगर काेई किसान आलू की अगेती फसल लगाना चाहते हैं, तो वे आलू के बीज जिला उद्यान विभाग, अमेठी से प्राप्त कर सकते हैं।

आलू की अगेती फसल तैयार करना चाहते हैं, तो ऐसे करें खेती

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि आलू की खेती हमेशा से नकदी फसल के रूप में की जाती है। किसानों द्वारा आलू की खेती पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है। प्रदेश के कई इलाकों के किसान आलू की अगेती फसल तैयार करते हैं। इसके लिए सिंतबर महीने के मध्य यानी 15 सिंतबर से 25 सिंतबर तक आलू की अगेती फसल की बुवाई की जाती है। वहीं, पिछेती फसल के लिए आलू की बुवाई 15 से 25 अक्टूबर तक की जाती है। उन्होंने कहा कि अगेती फसल से अच्छी उपज लेने के लिए किसानों को उचित जल निकासी वाली, दोमट मिट्टी (sandy loam soil) वाली भूमि का चयन करना चाहिए जिसका pH मान 5.5-6.8 के बीच हो।

फसल लगाने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करने के लिए किसान कल्टीवेटर या देसी हल (cultivator or country plow) की मदद से खेत की तीन से चार आड़ी-सीधी गहरी जुताई करें। इसके बाद खेत में जैविक खाद के रूप में सड़े हुए गोबर की 25-30 टन गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद (vermicompost Fertilizer) डालकर रोटावेटर (rotavate) की मदद से खेत की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। 

इसके बाद तैयार खेत में एक लाइन से दूसरी लाइन की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखते हुए मेड़ तैयार करें। क्योंकि आलू जमीन के अंदर वाली फसल है। आलू के बीज की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। आलू के एक एकड़ खेत में आलू की बुवाई करने लिए 14 क्विंटल तक आलू के बीज की आवश्यकता होती है। किसान आलू की बुवाई के समय रासायनिक खाद के तौर पर 60 से 70 किलो नाइट्रोजन, 30 से 35 किलोग्राम फास्फेट और 30 से 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते हैं। 

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