New Variety Of Paddy : चावल को देश की दूसरी सबसे बड़ी खाद्यान्न फसल माना जाता है। भारत में इसकी खेती पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु सहित कई अन्य राज्यों में खरीफ मौसम यानी बरसात के समय की जाती है। पूर्वी और दक्षिणी भारत की अधिकांश आबादी का मुख्य भोजन चावल (Rice) है। इन क्षेत्रों में करोड़ों किसान परिवार सीजन के दौरान क्षेत्र की मिट्टी एवं जलवायु के आधार पर धान के विभिन्न किस्मों की खेती करते हैं। हालांकि, बाढ़ और लवणीय मिट्टी धान की खेती को गंभीर खतरा पैदा करते हैं, जिसके कारण धान का बढ़वार रुक जाता है और पौधों की पत्तियां नष्ट हो जाती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। लेकिन धान किसानों को अब इस समस्या से जूझना नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि पुडुचेरी के कराईकल स्थित कृषि संस्थान ने चावल (Rice) की एक नई किस्म विकसित की है। यह किस्म मिट्टी की लवणता (क्षारीयता) और बाढ़ को सहन कर सकती है और सफलतापूर्वक विकसित हो सकती है। यानी किसान चावल की इस नई किस्म की खेती अब बंजर जमीन पर आसानी से कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चावल की नई किस्म, केकेएल (आर) 3 को पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (PAJANCOA और RI) में प्लांट ब्रीडिंग और जेनेटिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. एस. थिरूमेनी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने विकसित किया है। शोध में पाया गया है कि खारा और सामान्य दोनों स्थितियों में केकेएल (आर) 3 के लगातार और उल्लेखनीय प्रदर्शन ने इसे नमक-सहिष्णु चावल किस्म के रूप में एक मजबूत पहचान दिला दी है। खारे और गैर-खारे दोनों तरह की भूमि में केकेएल (आर) 3 पैदावार को अधिकतम करने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और कृषि स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक विश्वसनीय समाधान प्रदान करता है। नमक-सहिष्णु चावल (Rice) की इस किस्म को शोधकर्ताओं ने बंजर भूमि पर कृषि करने के लिए ज्यादा उपयोगी माना है। दक्षिण भारत के राज्यों के लिए केकेएल (आर) 3 किस्म किसानों के बीच एक विश्वसनीय किस्म के रूप में स्थापित हो सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, सांबा / थैलाडी सीजन के दौरान, धान की फसल बारिश से प्रभावित होती है और अल्पकालिक जलमग्नता (बाढ़) से ये फसलें नष्ट हो जाती हैं। संस्थान ने जलमग्नता-सहिष्णु चावल की किस्मों के विकास पर काम कर नई किस्म “केकेएल (आर) 3” को विकसित किया है। इस किस्म को एडीटी 46 और स्वर्ण सब 1 को 'मार्कर असिस्टेड बैकक्रॉस मेथड' के माध्यम से तीन बार क्रॉस करके तैयार किया गया। चावल की यह किस्म 14 दिनों की अवधि के लिए अचानक बाढ़ और जलमग्नता को सहन कर सकती है। केकेएल (आर) 3 चावल (Rice) की नई किस्म 135 दिनों में पक जाती है और सांबा सीजन के लिए उपयुक्त है। शोधकर्ताओं का कहना है कि चावल की नई किस्म केकेएल (आर) 3 लगातार लवणता (3435.6 किलोग्राम / हेक्टेयर) और सामान्य (6421.8 किलोग्राम / हेक्टेयर) दोनों स्थितियों के तहत अधिकतम औसत अनाज उपज दे सकती है। जल्दी पकने वाली, नमक-सहिष्णु राष्ट्रीय जांच किस्म सीएसआर 10 की तुलना में, केकेएल (आर) 3 ने 50 प्रतिशत से अधिक की पर्याप्त उपज वृद्धि प्रदर्शित की।
शोधकर्ताओं ने कहा कि नमक-सहिष्णु चावल की यह नई किस्म, नमक-प्रभावित मिट्टी में पनपने की क्षमता के साथ, लवणता चुनौतियों का सामना करने वाले क्षेत्रों में किसानों के लिए एक विश्वसनीय समाधान प्रदान करती है। इससे भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में किसानों को चावल (Rice) की पैदावार बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा में मदद मिलेगी। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने कहा है कि “केकेएल (आर) 3” की संभावित रिलीज में नमक प्रभावित क्षेत्रों में चावल (Rice) उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है। केकेएल (आर) 3 की पूरी क्षमता को सत्यापित करने और इसे लागू कर अपनाने के लिए, अध्ययन अधिक शोध और नि: शुल्क परीक्षणों की आवश्यकता होगी।
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