आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गुजरात के कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की जल्दी पकने वाली किस्म विकसित की है। सरसों की यह नई किस्म मात्र 94 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। किसान सरसों की इस नई किस्म की बुवाई कर प्रति हेक्टेयर 2791 किलोग्राम की बंपर पैदावार ले सकते हैं। आईए, इस नई किस्म के बारे में जानें।
गुजरात सरसों-8 : सरसों की जल्दी पकने वाली किस्म, सिर्फ 94 दिन में देगी बंपर पैदावार
New Variety of Mustard : सरसों (Mustard) रबी सीजन की एक प्रमुख तिलहनी नकदी फसल है। इसकी बुवाई खाद्य तेल उत्पादन, पशु आहार और ईंधन के उद्देश्य से की जाती है। अक्टूबर से ही देशभर में रबी सीजन फसलों की बुवाई का समय भी शुरू हो चुका है। किसान अपने खेतों को तैयार करके रबी फसलों की बुवाई में जुट जाएंगे। पिछले कुछ सालों से अधिकांश राज्यों में रबी सीजन के दौरान सरसों की बुवाई किसानों द्वारा अधिक की जा रही है। इसके पीछे का मुख्य कारण मंडियों में पिछले रबी सीजन 2022-23 के दौरान सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल था। वहीं बाजार में सरसों का भाव 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। जो आज तक का सर्वाधिक भाव है। इसके अलावा, भारत सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए सरसों की एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। वर्तमान में सरसों का एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरसों की उन्नत किस्म के बीजों की बुवाई कर बंपर उत्पादन लेने की मानो जैसे किसानों के बीच एक होड़ सी लग गई है। किसान कृषि बाजारों में उन्नत किस्म बीजों के लिए जद्दोजहद करते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में हम किसान भाईयों के लिए सरसों की नई किस्म गुजरात सरसों-8 किस्म लेकर आए हैं। इस नई किस्म की बुवाई करके किसान भाई बंपर उत्पादन लेने का सपना पूरा कर सकते हैं। सरसों की नई किस्म गुजरात सरसों-8 (Gujarat Mustard-8) बुवाई के मात्र 94 दिन के अंदर तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई करके किसान भाई 2791 किलोग्राम तक प्रति हेक्टेयर की बंपर पैदावार ले सकते हैं। खास बात यह है कि सरसों की इस उन्नत किस्म में माहू रोग का असर कम होता है। किसान भाई चाहें, तो इस किस्म की बुवाई करके बेहद कम समय में अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
सरसों की नई किस्म गुजरात सरसों-8 (Gujra Mustard-8) की विशेषता
देश में सरसों के तेल की खपत और बढ़ती डिमांड को देखते हुए, किसान सरसों की खेती में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। सरसों की खेती से बेहतर उत्पादन लेने के लिए उन्नत किस्म के बीजों की बुवाई भी करनी होती है। इस बीच गुजरात स्थित आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सरसों की नई किस्म गुजरात सरसों-8 किस्म (Gujarat Mustard-8 Varieties) विकसित की है। इस किस्म को आनंद हेमा या जीएम सरसों-8 (GM Mustard-8) के नाम से भी जाना जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सरसों (Mustard) की यह किस्म (variety) जल्दी पकने वाली है। सामान्य सरसों किस्म (mustard variety) के मुकाबले गुजरात सरसों-8 मात्र 94 दिन में तैयार हो जाती है। सरसों की इस उन्नत किस्म की औसतन पैदावर 2791 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इस बीच देश में सरसों की बुवाई का वक्त शुरू होने वाला है। किसान सरसों की नई किस्म गुजरात सरसों-8 की बुवाई करके सामान्य सरसों के मुकाबले एक महीने पहले इससे बंपर उत्पादन लेकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
गुजरात सरसों-8 किस्म को पिछले साल किया गया रिलीज
यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि सरसों की नई किस्म गुजरात सरसों-8 (Gujarat Mustard-8) को पिछले साल 2022 में खेती के लिए रिलीज किया गया था। यह किस्म बुवाई के 94 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है। सरसों की ये नई किस्म औसतन 2791 किलोग्राम तक बीजों की पैदावार देती है। जीएम सरसों-8 किस्म गुजरात की मिट्टी और जलवायु के लिए अनुकूल है। आणंद कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जल्दी पकने वाली आनंद गुजरात सरसों-8 की बुवाई सिंचित क्षेत्रों में करने की सलाह किसानों दे रहे हैं।
पूसा सरसों-25 और गुजरात सरसों-1 किस्म से अधिक उत्पादन
यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जीएम सरसों-8 (GM Mustard-8) जिसे आनंद हेमा भी कहते हैं का उत्पादन पूसा सरसों-25 (Pusa Mustard-25) से 20.03 प्रतिशत अधिक और गुजरात सरसों-1 (Gujarat Mustard-1) से 18.57 प्रतिशत अधिक होता है। इसके अलावा, इससे पशुओं के लिए चारे का भी इंतजाम हो जाता है। गुजरात सरसों-8 किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 38.39 फीसदी है। वैज्ञानिकों का दावा है जीएम सरसों-8 (GM Mustard-8) में 1071.46 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तेल उत्पादन है, जबकि गुजरात सरसों-1 (GM-1) में 853.69 और पूसा सरसों-25 में तेल का उत्पादन 826.20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहता है। गुजरात देश का छठा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है। इसलिए जीएम सरसों-8 किस्म को ना सिर्फ सरसों के बीज उत्पादन, बल्कि अच्छी क्वालिटी के तेल उत्पादन के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है। सरसों की इस नई किस्मों के माध्यम से किसान गुजरात में सरसों का बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
फफूंदी और माहू (एफिड) का कम होता है असर
आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में गुजरात सरसों-8 किस्म को विकसित करने वाले कृषि वैज्ञानिक टीम के लीडर डॉ. अजय भानवाड़िया का कहना है कि सरसों की इस नई उन्नत किस्म की बुवाई अक्टूबर महीने के मध्य में कर देनी चाहिए। रबी सीजन के सिंचित स्थिति में जल्दी तैयार होने वाली इस किस्म में खस्ता फफूंदी और माहू रोग यानी एफिड का असर कम होता है। इससे लागत कम आती है और उत्पादन भी अधिक होता है। सरसों में लगने वाले ये दोनों रोग सरसों की पैदावार पर अधिक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने कहा कि देश में सरसों की औसत उपज साल 2020-21 में 1524 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जबकि जीएम सरसों-8 की औसतन उपज 2791 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक है। खाद्य तेलों में देश को आत्मर्निभर बनाने के लिए हमें ऐसी ही अधिक उत्पादकता देने वाली सरसों किस्मों पर जोर देना पड़ेगा। हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई आरएच-1424 सरसों किस्म (RH-1424 Mustard variety) की औसतन उपज 2600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। सरसों की यह उन्नत किस्म बुवाई के 130 से 139 दिनों बाद पककर तैयार होती है। वहीं, इसकी दूसरी किस्म आरएच-1706 को तैयार होने में करीब 135 से 140 दिन का समय लगता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जीएम-8, इन दोनों किस्मों से बेस्ट है।
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