अफीम की खेती : एक लाख से ज्यादा किसानों को मिलेगा लाइसेंस

पोस्ट -17 सितम्बर 2023 शेयर पोस्ट

अफीम की खेती : पिछले साल के मुकाबले 27 हजार किसानों को ज्यादा मिलेंगे अफीम लाइसेंस

Opium Farming license : सांसद सुधीर गुप्ता ने इस बार अफीम की खेती को बढ़ाने और नई लाइसेंसिंग नीति जल्द लागू करने का आग्रह किया था। जिस पर केंद्र सरकार ने अमल करते हुए, गुरूवार को नई अफीम नीति 2023-24 की घोषणा की है। जिसका निश्चित ही लाभ अफीम पोस्त की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा। इस नई लाइसेंसिंग नीति के तहत फसल वर्ष 2023-24 में अफीम पोस्त की खेती के इन तीनों राज्यों में लगभग 1.12 लाख किसानों को लाइसेंस दिए जाएंगे। इसमें पिछले फसल वर्ष की तुलना में इस फसल वर्ष में 27 हजार अतिरिक्त किसानों को अफीम की खेती के लाइसेंस मिलने की उम्मीद है। जिसमें  लाभ मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के उन किसानों को होगा, जो अफीम पोस्त की खेती करने का प्लान बना रहे हैं ।  
 
तीनों राज्यों में लाइसेंस प्राप्त करने वाले किसान की संख्या

मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों को अफीम पोस्त की खेती के लिए फसल वर्ष 2023-24 के लिए वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की। नीति में निहित सामान्य शर्तों के मुताबिक, इन तीन राज्यों में लगभग 1.12 लाख किसानों को अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंस दिए जाने का अनुमान है। जिसमें इस फसल वर्ष 2023-24 में अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंस को प्राप्त करने वाले लगभग 54,500 किसान मध्य प्रदेश से हैं। वहीं, राजस्थान के लगभग 47,000 और उत्तर प्रदेश के 10,500 योग्य अफीम किसान हैं।  यह आंकड़ा वर्ष  2014-15 को समाप्त होने वाली 5 साल की अवधि के दौरान लाइसेंस दिए गए किसानों की औसत संख्या का लगभग 2.5 गुना है।  

लाइसेंसधारी किसानों की संख्या बढकर 1.45 लाख हो जाएगी

मंत्रालय ने कहा कि नई अफीम नीति 2023-24 में पहले की तरह यह प्रावधान शामिल है कि वैसे मौजूदा अफीम किसान, जिन्होंने मॉर्फिन (एमक्यूवाई-एम) की औसत उपज 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बराबर या उससे अधिक की है, उनके लाइसेंस को जारी रखा जाएगा। वहीं, अन्य मौजूदा अफीम की खेती करने वाले किसान, जिन्होंने मॉर्फीन सामग्री उपज (4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) के साथ अफीम पोस्त की खेती की है, अब केवल 5 साल की लाइसेंस वैधता के साथ कंसेंट्रेटेड पॉपी (पोस्त) स्ट्रॉ (खसखस या भूसा) (सीपीएस) आधारित विधि के लिए योग्य होंगे। केंद्र सरकार देश के भीतर मांग और प्रोसेस‍िंग क्षमता बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है। मांग और प्रोसेस‍िंग क्षमता में वृद्धि के साथ यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले 3 वर्षों में अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंसधारी किसानों की संख्या बढ़कर 1.45 लाख हो जाएगी।
 
बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से लिया गया है फैसला

केंद्रीय व‍ित्त मंत्रालय का दावा है कि केंद्र सरकार ने यह वृद्धि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपचार संबंधी देखभाल एवं अन्य चिकित्सा उद्देश्यों के लिए फार्मास्युटिकल तैयारियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से की है। इसमें कहा गया है कि यह आगे सुनिश्चित करेगा कि उत्पादन घरेलू मांग के साथ-साथ भारतीय निर्यात उद्योग की आवश्यकता को भी पूरा करे। सरकार का उद्देश्य अनलांस्ड पोस्त के लिए लाइसेंसिंग को और अधिक विस्तारित करने का है।  जिसके लिए केंद्र ने कंसेंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ के लिए पीपीपी आधार पर 100 मीट्रिक टन क्षमता की एक प्रोसेस‍िंग यून‍िट लगाने का फैसला लिया है। इससे भारत न केवल घरेलू मांग को सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारतीय निर्यात उद्योग की मांग को भी पूरा करेगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि केंद्र ने अपने खुद के अल्केलॉइड कारखानों की क्षमता में बढ़ोतरी की है। इन कारखानों में अच्छे प्रबंधन अभ्यासों को अपनाने के लिए सरकार आगे बढ़ रही है।  

अफीम की खेती की सीपीएस पद्धति

मंत्रालय ने बयान में कहा है कि साल 2022-23 के सभी सीपीएस-आधारित किसान, जिन्होंने सरकार को अफीम की आपूर्ति की है, लेकिन किसी भी आदेश तथा निर्देश के तहत वंचित नहीं किया गया है, उनके लाइसेंस को भी इस साल सीपीएस-आधारित अफीम पोस्त  की खेती के लिए बनाए रखा गया है। इस लाइसेंस नीति के दायरे में आने वाले अफीम किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए सीपीएस पद्धति जारी करने को लेकर सामान्य लाइसेंस शर्तों में और अधिक छूट दी है।  बता दें कि सीपीएस पद्धति Concentrated poppy straw है। इसके तहत अफीम के फल पर चीरा लगाकर उसका दूध एकत्रित नहीं किया जाता है। अफीम के फल (डोडों) को बिना चीरा लगाए सूखने दिया जाता है। जिसे शासकीय खरीद के माध्यम से खरीद कर फार्मास्यूटिकल प्रोसेसर्स के जरिए डोडों से अल्केलाइड न‍िकाला जाता है। 

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