देशभर में खरीफ फसलों की खरीद-बिक्री का सिललिसा शुरू हो चुका है। ज्यादातर राज्यों में खरीफ फसलों की बाजार में आवक शुरू हो गई है। ऐसे में केंद्र एवं राज्य की सरकारें किसानों से खरीफ फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद कर रही है। इस बीच नवंबर माह की शुरूआत हो चुकी है। ऐसे में रबी सीजन फसलों की बुवाई की तैयारी किसान भाईयों ने शुरू कर दी है। गेहूं, चना एवं सरसों सहित अन्य रबी फसलों की बुवाई समय पर हो सके इसके लिए किसानों ने खेत की जुताई, खेत तैयारी, उन्नत बीज-खाद, खरपतवारनाशी, कीटनाशी आदि की व्यवस्था में लगे है। रबी फसलों की बुवाई समय पर हो सके इसके लिए कई राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य में किसानों को निशुल्क बीजों की मिनी किट भी दे रही है। इसी बीच कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एनके सिंह रबी फसलों की बुवाई के लिए किसानों कोे कुछ अहम सुझाव दिए है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एनके सिंह बताते हैं कि नवंबर माह रबी फसलों के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही वह समय है जब किसान रबी फसल का चुनाव कर उसे खेतों में लगाता है एवं खरीफ की कटाई कर उसे बेचना भी होता है। बता दें कि भारतीय कृषि में फसल उत्पादन में मौसम का अहम योगदान है। मौसम का सीधा प्रभाव किसानों की जिंदगी पर पड़ता है। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एनके सिंह द्वारा विभिन्न फसलों के लिए इस माह किए जाने वाले कामों की विस्तृत जानकारी व सुझाव के बारे में जानते है।
गेहूं - अक्टूबर माह के अंत तक खरीफ फसलों की कटाई और बाजार में आवक शुरू हो जाती हैं। इसके साथ ही रबी फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू हो जाती है। रबी सीजन की फसल में मुख्य रूप से गेहूं, चना और सरसों सहित कई अन्य फसलों की बुवाई होती है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक किसानों के बताते हैं कि खरीफ फसलों की कटाई के बाद रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं के लिए खेत की तैयारी तत्काल कर लें। खेत की अच्छे से दो या तीन जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना ले। ध्यान रहे कि मिट्टी भुरभुरी हो जाये और ढेले न रहने पायें। खेत में गेहूं बोने का सबसे अच्छा समय 30 नवंबर तक का माना गया है। इस बीच किसान गेहूं की बुवाई हर हालत में पूरी कर लें। खेत की बुवाई के लिए प्रमाणित और शोधित बीज का ही प्रयोग करें। बीज को बोने से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से शोधित कर लें। बुवाई 3-4 से. मी. गहराई पर करें। गेहूं- में प्रथम सिंचाई शीर्ष जड़ निकलने की अवस्था पर करें एवं नत्रजन उर्वरक की आधी मात्रा भी दे। प्रथम सिंचाई के 10-15 दिन के अंदर एक निंदाई-गुड़ाई कर खरपतवार निकालें या सिफारिश के अनुसार चौड़ी पत्ती खरपतवारनाशी दवा का छिडकाव 30 दिन के अंदर करें।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक चने व सरसों की मिश्रित फसल बोयें। बारानी क्षेत्रों में प्रारंभिक उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें। जीरो टिलेज तकनीक का इस्तेमाल बोआई के समय काफी लाभदायक और कारगर तकनीक मानी जाती है। जीरो ड्रिल मशीन से ही गेहूं, चना व सरसों की बोआई करनी चाहिए। इस तकनीक में धान की तकनीक के समय जमीन की संरक्षित नमी को उपयोग में लाया जाता है। इस मशीन का इस्तेमाल काफी लाभदायक साबित होगा। चना बीज को राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से टीकाकरण व ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर बुवाई करें। बुवाई के 25-30 दिन पर निंदाई करें। जौ की बुवाई के लिए उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज का प्रयोग करें एवं बीजोपचार करें। सिंचित क्षेत्रों में गेहूं को अनुशंसित और अधिक उपज देने वाली की बुवाई करें। गेहूं की बीज उपचारित कर बुवाई करें। मसूर, अलसी एवं दूसरे फली हेतु मटर की बोनी करें।
सरसों - सरसों देश की प्रमुख तिलहनी फसल है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्य में काफी बड़े स्तर पर की जाती है। इन राज्यों में खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही रबी फसलों में सरसों की बुवाई का काम शुरू कर दिया है। पिछले दिनों हुई बरसात के बाद किसानों ने खेतों में सरसों बुवाई भी कर दी है। बारानी क्षेत्र में सरसों की बुवाई अक्टूबर के अंत तक और सिंचित क्षेत्र में नवंबर माह के शुरूआती हफ्तों में करे लें। सरसों को बोनी के लिये क्षेत्र में उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का प्रयोग करें। घटिया किस्म के बीजों की बुवाई न करें। यदि पलेवा करके खेत तैयार कर रहे है, तो प्याजी की रोकथाम हेतु पेंडीमिथालीन 1 लीटर/एकड़ बुवाई से पूर्व खेत में मिला दें। सरसों उपचारित बीज को 30 से. मी. कतारों में 5 से.मी. गहराइ में बोएं। प्रारंभिक अवस्था मे सिफारिश के अनुसार उर्वरक एवं पोषक तत्वों का प्रयोग करें। बीज अंकुरण के 10 से 15 दिनों के अंदर आरा-मक्खी, पेंटेड बग के नियंत्रण के उपाय करें। समय-समस पर खेत की निंदाई एवं छटाई करे। बोआई के 15-20 दिन के बाद घने पौधों की छंटनी करके पौधों की आपसी दूरी 15 सेमी कर लें। बोआई के 5 सप्ताह के बाद पहली सिंचाई और फिर ओट आने पर प्रति हेक्टेयर 75 किग्रा नाइट्रोजन का छिड़काव करें।
इस माह रबी सीजन की प्रमुख सब्जी फसलों में टमाटर, बैगन, भिन्डी, आलू, तोरई, लौकी, करेला, सेम, फूलगोभी, पत्ता-गोभी, गाठ-गोभी, मूली, गाजर, शलजम, मटर, चुकंदर, पालक, मेंथी, प्याज, आलू, शकरकंद आदि सब्जियों बुवाई की जाती है। उद्यानिकी फसलों के लिए यह माह काफी महत्वपूर्ण होती है। जिन किसान भाईयों ने अभी तक आलू की बुवाई नहीं की है वो अब जल्दी से पूरी कर लें। आलू की कुफरी बहार, कुफरी बादशाह, कुफरी अशोका, कुफरी सतलज, कुफरी आनंद तथा लाल छिलके वाली कुफरी सिंदूरी और कुफरी लालिमा मुख्य प्रजातियां हैं। इस माह नींबू वर्गीय फल के पौधों में कैंकर रोग की रोकथाम करें।
लहसुन की बुवाई इस माह में करें। प्याज की उपयुक्त किस्मों की पौध तैयार करें। तैयार प्याज के पौध की खेत में बुवाई करें। टमाटर की बसन्त/ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बोआई कर दें। साथ ही प्याज के बीज भी तैयार करें। गोभी की गोल्डन एकर व प्राईड ऑफ इंडिया प्रजाति की पौध की रोपाई तैयार खेत में करें।
फलों की बागवानी में इस माह बगीचों में निराई-गुड़ाई करें। यदि आप बेर की बागवानी कर रहे हैं, तो इस माह बेर के पेड़ में कच्चे छोटे-छोटे फल आना शुरू हो जाते है। बेर से अच्छी उपज प्राप्त हो इसके लिए इस समय बेर के पौधों को उचित मात्रा में नत्रजन उर्वरक दें।
बंसत/ग्रीष्म कालीन बैंगन की खेती के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई करे। टमाटर की फसल में निंदाई-गुड़ाई को एवं खरपतवार निकालें। शरदकालीन गन्ने में प्याज, लहसुन, आलू की सह-फसली बुवाई करें।
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