kharif crop : किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर मिलेंगे धान के प्रमाणित बीज

पोस्ट -17 जून 2024 शेयर पोस्ट

किसानों को इस खरीफ सीजन में 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर दिए जा रहे धान के प्रमाणित बीज

Subsidy on certified paddy seeds : कृषि उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है, जिनमें किसानों को कृषि मशीनरी से लेकर बीज, उर्वरक, कीटनाशक और अन्य इनपुट खरीदने के लिए अनुदान दिया जाता है। आज कई राज्यों में किसानों को उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज (Certified Seeds) उपलब्ध कराये जा रहे हैं, ताकि किसान फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त कर आय बढ़ा सके। ऐसे में झारखंड सरकार किसानों को प्रमुख फसल धान के बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है, ताकि किसान इन प्रमाणित बीजों की बुवाई कर उत्पादन और उत्पादकता बढ़ा सके। झारखंड के गिरिडीह जिले में इस वर्ष 88 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके एवज में 8800 हेक्टेयर भूमि में धान का बिचड़ा किसानों द्वारा तैयार किया जाएगा। जिले के किसान खरीफ मौसम में धान, मक्का, मोटा अनाज, दलहन, तिलहन आदि फसलों की खेती करते हैं।

खेतों को तैयार करने में जुट गए किसान (Farmers are busy preparing the fields)

25 मई को रोहिणी नक्षत्र शुरू हो गया था, पर इस नक्षत्र में खेती-बाड़ी के लिए किसान खेतों को तैयार नहीं कर पाये। चार दिन पहले रोहिणी नक्षत्र खत्म हुआ और मृगशीरा नक्षत्र शुरू हो रहा है, जिसके बाद किसान हल-बैल से तो कहीं ट्रैक्टर की मदद से फसलों की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करने में जुट गए। अगले कुछ दिनों के दौरान राज्य में मानसून के आगमन की प्रबल संभावना है। इसे लेकर किसानों ने अपने खेतों की जुताई शुरू कर दी है। यहां आपको बता दें कि इस जिले में सिंचाई सुविधा नहीं है, खेती पूर्ण रूप से मानसून पर ही निर्भर है। बारिश के साथ ही किसान खेतों में बिचड़ा (नर्सरी) डालने का कार्य शुरू कर देंगे।

50 फीसदी अनुदान पर मिलेंगे बीज (Seeds will be available at 50% subsidy)

राज्य कृषि विभाग द्वारा किसानों को अनुदान पर उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा बीज वितरण का काम शुरू कर दिया गया है। गिरिडीह जिले के कृषि अधिकारी के मुताबिक, कृषि निदेशालय रांची द्वारा किसानों के बीच 50 प्रतिशत अनुदान पर 3300 क्विंटल धान के उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज वितरण का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि मडुआ, मूंगफली व अरहर के बीज वितरण का लक्ष्य 100-100 क्विंटल रख गया है। अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा 4400 क्विंटल धान बीज (Paddy Seed) उपलब्ध कराया जा चुका है। नोडल पैक्सों की मदद से किसानों के बीच इन बीजों का वितरण शुरू भी किया जा चुका है। जल्द ही मडुआ, मूंगफली और अरहर के बीज भी जिले को उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसके बाद किसानों को उन बीजों का वितरण किया जाएगा।

धान की नर्सरी (बिचड़ा) डालने का उपयुक्त समय (Suitable time for sowing paddy nursery)

कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (पूसा) के अनुसार, देश के कई राज्यों में मानसून की बारिश शुरू हो चुकी है, जिसके साथ ही किसानों ने धान सहित अन्य खरीफ फसलों की खेती की तैयारी भी शुरू कर दी है। किसान धान की बुवाई /रोपाई के लिए अपने खाली खेतों में इसकी नर्सरी (बिचडा) डालने का काम कर रहे हैं। संस्थान के अधिकारियों के अनुसार, धान की खेती (Paddy farming) करने धान की नर्सरी (Rice Nursery) डालने का उपयुक्त समय है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे धान की नर्सरी डाल सकते हैं। अपने क्षेत्रों के अनुसार, धान का बिचड़ा डालने के लिए किसान अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत धान किस्म (improved rice variety) जैसे- पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1985, पूसा बासमती 1979,  पूसा बासमती 1401, पूसा सुगंध 5, पूसा सुगंध 4 (पूसा 1121), पंत धान 4, पंत धान 10, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1637, पूसा 44, पूसा 1718 धान का उपयोग कर सकते हैं।  

किसी तरह डाले धान की नर्सरी (Somehow put paddy nursery)

पूसा के अनुसार, एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई हेतु लगभग 800 से 1000 वर्गमीटर क्षेत्र धान की नर्सरी  तैयार करना पर्याप्त होता है। नर्सरी तैयार करने के लिए 1.25 से 1.5 मीटर चौड़ी तथा सुविधानुसार लम्बी क्यारियां तैयार करें। बीज की बुआई (seed sowing) से पहले बीजोपचार (Seed Treatment) के लिए बावस्टिन 10 से 12 ग्राम और 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन 5 किलोग्राम बीज दर से 10 लीटर पानी घोल तैयार करें। इस घोल को में 12 से 15 घण्टे के लिए बीज को भिगोकर रखें।  इसके बाद बीज को बाहर निकालकर किसी छायादार स्थान में 24 से 36 घण्टे के लिए ढककर रखें और पानी का हल्का-हल्का छिड़काव करते रहें। बीज में अंकुर निकलने के बाद इन्हें तैयार क्यारियों में छिड़क दें। 

अरहर, मूंग, उड़द समेत खरीफ सब्जियों के लिए जारी सलाह (Advisory issued for Kharif vegetables including Arhar, Moong, Urad)

संस्थान द्वारा जारी सलाह के अनुसार, जो किसान अरहर की खेती (Arhar cultivation) करना चाहते हैं वे इस सप्ताह से बुआई कर सकते हैं। बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बुवाई के लिए प्रमाणित किस्मों के बीज ही उपयोग करें। बीजों को बोने से पहले उपयुक्त राईजोबियम तथा फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं (पीएसबी) फँफूद के टीकों से उपचार कर लें। अधिक उत्पादन देने वाली अरहर किस्में जैसे – पारस, मानक, पूसा अरहर-16, पूसा 992, पूसा 2001, पूसा 2002 और पूसा 991 बीज लगाने की सलाह दी गई है। मूंग और उड़द की खेती करने वाले किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें। पूसा-1431, पूसा-1641, पूसा विशाल, पूसा-5931, एस एम एल-668, सम्राट तथा उड़द की उन्नत किस्में उड़द-टाईप-9, टी-31, टी-39 किस्मों की बुवाई करें। यह कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली किस्में है। यह समय अगेती फूलगोभी, टमाटर, हरी मिर्च और बैंगन की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है। अतः किसान इन सब्जियों की बुवाई कर सकते हैं। कीट अवरोधी नाईलोन की जाली के प्रयोग से रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचाया जा सकता है। 

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