प्राकृतिक खेती और गाय पालन के लिए किसानों को मिलेंगे 30 हजार रुपए

पोस्ट -26 नवम्बर 2024 शेयर पोस्ट

प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का बढ़ेगा मुनाफा, गाय पालने के लिए सरकार दे रही पैसा

कृषि और पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाई जा रही है, जिनके अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। आज केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा पशुपालन क्षेत्र के लिए कई योजनाएं लागू कर किसानों को गाय के पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार के साथ, प्राकृतिक खेती के लिए गोबर की खाद मिल सके। इस कड़ी में हरियाणा राज्य में भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। हरियाणा के किसान पशुपालक, जो पशु पालन की शुरुआत गाय के साथ करना चाहते हैं और जो किसान प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं, उनके लिए हरियाणा सरकार खुशखबरी लेकर आई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन अनुसार गंगा की स्वच्छता, गाय के संवर्धन को लेकर लगतार कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने पंचकूला के इंद्रधनुष ऑडिटोरियम में आयोजित बृज रस कथा के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया कि सरकार ने गौ सेवा का बजट 40 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 400 करोड़ रुपए कर दिया है। इस घोषणा से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि गौ सेवा की परंपरा को भी मजबूती मिलेगी। 

किसानों को 30 हजार रुपए की सहायता (Assistance of Rs 30 thousand to farmers)

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बताया कि गाय पालने की परंपरा को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे आजीविका का साधन बनाने के लिए हरियाणा सरकार ने एक नई योजना की शुरुआत की है। पहले गौ सेवा के लिए केवल 40 करोड़ रुपए का प्रावधान था, जिसे अब बढ़ाकर 400 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस बजट का उपयोग न केवल गायों के चारे और गौशालाओं के रखरखाव में किया जाएगा, बल्कि इससे गाय पालने वालों को भी सीधे लाभ पहुंचेगा। प्रदेश में इस समय 500 से अधिक गौशालाएं संचालित हैं और सरकार ने उनके चारे की व्यवस्था का विशेष प्रावधान किया है। इसके तहत अब जो लोग अपने घरों में गाय का पालन करेंगे उन्हें सरकार की ओर से 30 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।

किसानों के लिए फायदेमंद है प्राकृतिक खेती (Natural farming is beneficial for farmers)

दरअसल, प्राकृतिक खेती बिना रसायनों का इस्तेमाल करके की जाती है, जिसमें देसी गाय का काफी महत्व होता है। इससे खेती की लागत कम होती है। प्राकृतिक खेती में देसी गाय के गोबर से बनी खाद और अन्य प्राकृतिक तरीके से बनाए गए कीटनाशी आदि का उपयोग किया जाता है, जिससे उपजे उत्पाद स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान की तरह माने जाते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से प्राकृतिक उत्पादकों की मांग बहुत अधिक होती है। साथ ही ये काफी महंगे दामों पर भी बिकते हैं। हालांकि अभी प्राकृतिक खेती से उत्पादन बेहद कम होता है। प्राकृतिक खेती (Natural Farming) का आधार देसी गाय इसलिए है, क्योंकि देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ तक सूक्ष्म जीवाणु मौजूद होते हैं।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपने संबोधन क्या कहा? (What did Chief Minister Naib Saini say in his address?)

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि गौशालाओं को और बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं तैयार की हैं। चारे की नियमित आपूर्ति और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष बजट आवंटित किया गया है। सरकार का उद्देश्य है कि हरियाणा की गौशालाएं अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरें। इसके लिए पशुपालन विभाग के सहयोग से कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आध्यात्म और संस्कृति का प्रचार करना हमारी जिम्मेदारी है। गीता, गौ माता, और गंगा तीनों ही भारतीय सभ्यता के मूल स्तंभ हैं। इनका संवर्धन करना समाज को मजबूत बनाने के लिए बेहद जरूरी है।

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