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डबल कमाई का फार्मूला फिश राइस फार्मिंग : धान के खेत में भरे पानी में करें मछली पालन

डबल कमाई का फार्मूला फिश राइस फार्मिंग : धान के खेत में भरे पानी में करें मछली पालन
पोस्ट -27 जुलाई 2022 शेयर पोस्ट

जानें, कैसे की जाती है फिश राइस फार्मिंग और क्या हैं इसके फायदे?

किसानों को फसल की अधिक पैदावार कैसे मिले यह सलाह तो अक्सर किसान भाइयों को दी जाती रहती है लेकिन यहां आपको ऐसा नायाब फार्मूला बताया जा रहा है जिससे आपकी कमाई दोगुना हो जाएगी। बिहार सहित जिन प्रदेशों में धान की खेती ज्यादा की जाती है वहां के किसानों के लिए यह तरकीब बेहद लाभदायक साबित होगी। कृषि क्षेत्र में यह नया फार्मूला है फिश राइस फार्मिंग यानि धान की फसल में सिंचाई के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है और इस पानी में मछली पालन कर लिया जाए तो किसानों को डबल फायदा होगा ही। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट में आपको बताएंगे कैसे की जाती है फिश राइस फार्मिंग और क्या हैं इसके फायदे?

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ऐसे करें धान की खेती के बीच मत्स्य पालन

आमतौर पर किसान धान की खेती परंपरागत तरीके से ही करते आ रहे हैं। अगर इस खेती को थोड़ा अलग तकनीक से किया जाए तो इसमें आप धान की पैदावार भी ज्यादा लेंगे और साथ ही मछली उत्पादन से जो आय होगी वह आपकी पूरी तरह से बचत हो सकती है। चूंकि धान की फसल बुआई के समय अधिक सिंचाई की जरूरत होती है इसलिए इसी समय आप धान की पंक्तियों के मध्य भरे पानी में मछलियों के बीज डाल सकते हैं। कुछ ही दिनों में धान की बढ़त के साथ ही मछलियोंं का उत्पादन भी होने लगेगा।

धान की फसल बुआई में देरी की नहीं करें चिंता

इस बार कई राज्यों में मानसून देरी से आने के कारण धान की फसल बुआई देरी से शुरू हो रही है। ऐसे में किसानों को इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है। धान की बुआई के दौरान कई बार बारिश की अधिकता से पानी ज्यादा भर जाता है तो इसे फसल खराब होने के डर से निकालना पड़ता है। इस बार आप एक खेत में इतना पानी रखें कि उसमें मछलियां भी अच्छी तरह से पनप सकें। इसका फायदा यह होगा कि पानी से थोड़ी बहुत फसल खराब भी होगी तो इसकी भरपाई मछलियां कर देंगी।

क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ?

फिश राइस फार्मिंग के बारे में कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इससे धान की फसल को कीटों से बचाया जा सकता है। यह एक इंटीग्रेटेड फार्मिंग का ही एक हिस्सा है। कृषि विशेषज्ञ दयाशंकर कहते हैं कि फिश राइस फार्मिंग तकनीक के तहत धान के खेतों में पानी भर कर मछली पालन का काम किया जाता है। किसान इसके लिए निचले हिस्सों वाली जमीन का उपयोग कर सकते हैं। एक ही खेत में यदि हर साल धान की खेती की जाती है तो धान में कई तरह की बीमारियां लग जाती हैं। यदि धान की खेती के साथ मछली पालन होगा तो फसल में लगने वाले कीटों को मछलियां अपना आहार बना लेंगी और फसल सुरक्षित हो जाएगी।

किसानों को होगी अधिक आमदनी

खरीफ के सीजन में धान की खेती के साथ फिश फार्मिंग भी की जाए तो किसानों को धान की फसल आने से पहले ही आमदनी होना शुरू हो जाएगी। इसे एकीकृत खेती भी कहा जाता है। इससे किसान मछलियां बेच कर धान की लागत निकाल सकते हैं। यही नहीं मछली पालन के कारण धान में उर्वरकों का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। इस तरह से फिश राइस फार्मिंग एक फायदे की खेती है। किसानों को चाहिए कि इस तकनीक को अवश्य अपनाएं।

विदेशों से आई फिश राइस फार्मिंग तकनीक

यहां आपको बता दें कि फिश राइस फार्मिंग भारत के लिए नई बेशक हो सकती है लेकिन यह विदेशों में पहले से ही होती रही है। कई देशों में इससे किसान मोटी कमाई कर रहे हैं। इन देशों में चीन, बांग्लादेश, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, फिलिपींस, थाईलैंड आदि शामिल हैं। ये देश फिश राइस फार्मिंग से अपनी इकानॉमी को मजबूत कर रहे हैं।

चावल मछली भारत में अधिसंख्य लोगों का मुख्य भोजन

यह बता दें कि भारत में अधिसंख्य लोगों का भोजन चावल और मछली ही है। देश के भविष्य का विकास कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। सामाजिक आर्थिक गतिविधियों के रूप में मत्स्य पालन दुनिया में कृषि क्षेत्र में दूसरा स्थान पर है। यही वजह है कि देश के प्रमुख क्षेत्रों में मछली पालन रोजगार के अलावा विदेशी मुद्रा की आय भी प्रदान करता है। इसके अलावा जलाशयों, नदियों, खाइयों एवं झील आदि में मछली पालन के लिए सरकारी अनुमति लेनी होती है लेकिन खुद के खेत में यदि धान के बीच मछली पालन करना हो तो इसमें कोई अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

चावल की खेती के साथ मछली पालन के हैं ये लाभ

बता दें कि फिश राइस फार्मिंग यानि चावल के साथ मछली पैदा करना यह खेती का तरीका किसानों को कई तरह के लाभ प्रदान कर सकता है। यहां इसके लाभ इस प्रकार हैं-:

  • खेत के मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

  • प्रति वर्ग मीटर भूमि पर आर्थिक उत्पादन बढ़ेगा।

  • निर्माण प्रक्रिया में लागत में कटौती होगी।

  • आवश्यक कृषि इनपुट की मात्रा को कम करता है।

  • आय के विविध स्त्रौत बनेंगे।

  • परिवार को वित्तीय सहायता मिलेगी।

  • घरेलू श्रम का कुशल उपयोग होगा।

  • जानवरों को खाने के लिए आवश्यक भोजन की मात्रा में कमी होगी।

  • जितना हो सके रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करें।

  • बायोगैस का उपयोग ऊर्जा संबंधी चिंताओं को हल करने के लिए किया जाता है।

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