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ब्रोकली की खेती - किसानों की आय में लाखो का मुनाफा, जानें उन्नत किस्में

ब्रोकली की खेती - किसानों की आय में लाखो का मुनाफा, जानें उन्नत किस्में
पोस्ट -11 दिसम्बर 2022 शेयर पोस्ट

ब्रोकली की खेती कैसे करें, जानें बुवाई का सही तरीका और उन्नत किस्में

ब्रोकली हरी पत्तेदार एक विदेशी सब्जी है। यह देखने में बिल्कुल फूल गोभी की तरह ही होती है, किन्तु यह हरे रंग की होती है। इसलिए इसे हरी गोभी भी कहा जाता है। ये सब्जी बाजार में तीन किस्मों में मिलती है। ब्रोकली विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर, जैव सक्रिय यौगिक और एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर पोषक तत्वों का खजाना है। इसके फायदों के कारण भारत में भी इसे काफी पसंद किया जाता है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोग इसका जमकर सेवन करते हैं। ब्रोकली का सेवन कच्चे के रूप में सलाद बनाकर अधिक मात्रा में किया जाता है। इसे उबालकर खाना भी मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। ब्रोकली में पाए जाने वाले पोषक तत्व अनेक प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा दिलाने में मदद करते है। यह कैंसर और हृदय रोगो के लिए भी काफी लाभदायक होता है। ब्रोकली काफी गुणकारी सब्जी है। इस कारण इसकी शहरी बाजारों में काफी मांग रहती है। जिस वजह से इसकी खेती करने वाले किसान अच्छी कमाई करते हैं। अगर आप भी ब्रोकली की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से हम आपको इसकी खेती की बुवाई का सही तरीका एंव खेती से संबंधित कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे है।

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एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर ब्रोकली

ब्रोकली काफी गुणकारी सब्जी है। इसके फलो में मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक, कैल्शियम और एंटी ऑक्सीडेंट्स की मात्रा भरपूर पाई जाती है। ब्रोकली में कैल्शियम और विटामिन का उच्च लेवल होता है, जो शरीर की हड्डियों को भी मजबूत करती है। इसके अलावा ब्रोकली में प्रोटीन की मात्रा भी काफी अधिक होती है, जिससे जिम करने वाले लोगो को भी ब्रोकली का सेवन करने के लिए कहा जाता है। ब्रोकली में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी और मिनरल्स जैसे कॉपर, जिंक सेहतमंद स्किन को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा ब्रोकली विटामिन के, एमिनो एसिड और फोलेट से भरपूर होता है. ये सभी सेहतमंद स्किन की इम्यूनिटी में योगदान करते हैं।

ब्रोकली की खेती किस प्रकार की मिट्टी उपयोग में लिया जाता है

ब्रोकली मूल से ठंडे प्रदेशों की एक विदेशी सब्जी फसल हैं। ब्रोकली की खेती के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान बेहतर माना जाता है। इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी मानी जाती है। ब्रोकली कई तरह की मिट्टियों में उग सकता हैं। इसलिए इसकी खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी उपज के लिए थोड़ी अम्लीय मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 7 के बीच हो ऐसी मिट्टी में इसकी खेती सबसे अच्छी तरह से होती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसे थोड़ी क्षारीय मिट्टियों में उगाने की भी सलाह दी जाती है। उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली रेतीली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बेहतर मानी जाती है। 

ब्रोकली की खेती का उपयुक्त समय

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रोकली की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार की जाती है और पौध तैयार हो जाने पर इसकी रोपाई की जाती है। सितंबर और अक्टूबर का महीना पौधशाला में इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त समय माना जाता है। बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती है।

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ब्रोकली की उन्नत किस्में

भारत में उगाई जाने वाली ब्रोकली की प्रमुख प्रजातियां है, जो निम्न है- पूसा ब्रोकली, केटीएस01, पालम समृद्धि, पालम कंचन और पालम विचित्रा जैसी ब्रोकली की प्रमुख प्रजातियां हैं। आप चाहें तो संकर किस्म की खेती भी कर सकते हैं। वर्तमान में, बाजारों में ब्रोकली की संकर किस्में मौजूद हैं, जो आनुवंशिक रूप से 37 डिग्री  तक का तापमान सहन कर सकती हैं। इसमें पाईरेट पेक में, प्रिमिय क्रॉप, क्लीपर, क्रुसेर, स्टिक व ग्रीन सर्फ मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके अलावा ब्रोकली की नाइन स्टार, पेरिनियल, इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग या केलेब्रस, बाथम 29 और ग्रीन हेड ब्रोकली की मुख्य किस्में हैं।

ब्रोकली की पौध की रोपाई

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इसके खेत की रोपाई से कुछ हफ्ते पहले खेत तैयार करना चाहिए। खेत तैयार करने के लिए पहले इसके खेत को ट्रैक्टर की सहायता से अच्छे जुताई करके पुरानी फसल अवशेष को नष्ट कर ले। इसके बाद खेत में 30 से 40 टन पुरानी गोबर की खाद को डाल कर कल्टीवेटर द्वारा दो से तीन तिरछी जुताई कर के मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिला लें। अगर ज्यादा पैदावार चाहते हैं, तो मिट्टी की जांच जरूर करवा लें। जांच में अगर किसी पोषक तत्व की कमी नजर आए तो उसे पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाए। ब्रोकली की अच्छी पैदावार के लिए एक हेक्टेयर खेत के लिए 80 से 100 किलो नाइट्रोजन और 30 से 50 किलो फॉस्फोरस की मात्रा में रासायनिक खाद की जरूरत होती है। नाइट्रोजन की खाद को 2 या 3 भागों में बांटकर प्रयोग करना चाहिए। रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर एवं पौध से पौध के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखना चाहिए। एक हेक्टेयर खेत में ब्रोकली बोने के लिए 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। 

ब्रोकली के पौधों की सिंचाई

ब्रोकली का पौधा ठंडे मौसम का पौधा है। इसका पौधा सूखा सहन नहीं कर सकता है। इसके पौधे को अच्छे से विकास करने के लिए नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए इन्हे अधिक सिंचाई की जरूर होती हैं। इसलिए, ज्यादातर उत्पादक सर्दियों के दौरान भी अपने पौधों को नियमित रूप से सींचना पसंद करते हैं। पहली बार बीजों के अंकुरित होने तक शुरुआती चरण के दौरान और दूसरी बार ब्रोकली का फूल बनने के दौरान ब्रोकली की सिंचाई करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। गर्मियों के दौरान, हर दिन एक बार पानी देने की जरूरत पड़ सकती है। सर्दियों में इसके खेत की सिंचाई 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। ब्रोकली की खेती में ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस लिए इस प्रणाली का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

ब्रोकली की खेती में खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान

ब्रोकली की खेती में शुरुआती चरण के दौरान, ब्रोकली के पौधे को खरपतवार मुक्त रखा होता है। इसके लिए ब्रोकोली उत्पादकों के पास खरपतवार नियंत्रण की एक अच्छी रणनीति होनी चाहिए। ब्रोकली की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि से समय समय पर निराई गुड़ाई करते रहें। किन्तु पौधों की गुड़ाई अधिक गहराई से नहीं करनी चाहिए, क्योकि इससे पौधों के नष्ट होने का खतरा होता है। जैविक उत्पादन में हर हफ्ते हाथ से खरपतवार हटाना लगभग जरूरी होता है। पौधों की पहली गुड़ाई को पौध रोपाई के तकरीबन 20 से 25 दिन बाद कर दें। जब ब्रोकोली पर्याप्त बड़ा हो जाता है, तब खरपतवार से कोई खास परेशानी नहीं होती। इसके अलाव रासायनिक विधि से पौधों पर खरपतवार नियंत्रण पाने के लिए ट्राईफ्लूरेलिन या टोक ई-25 की उचित मात्रा का छिड़काव करें। 

ब्रोकली की फसल कटाई एवं पैदावार

ब्रोकली की फसल कटाई का समय मुख्य रूप से उनकी किस्म, साथ ही साथ उनकी पर्यावरणीय परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। ब्रोकली रोपाई के 60-90 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। किस्म के आधार पर ब्रोकली के फूल का मुख्य गुच्छा उपयुक्त आकार का होने के बाद ब्रोकोली की कटाई कर सकते हैं। ब्रोकोली की फसल की कटाई शाम के समय करनी चाहिए। ब्रोकोली का वजन इसकी किस्म और विकास की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। ब्रोकली की अच्छी फसल से करीब 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त हो सकती है। कृषि वैज्ञानिक की सलाह हैं कि जिस खेत में पिछले साल ब्रोकली लगा चुके हैं, उसमें इस साल इसे न लगाए। ब्रोकोली की खेती, मुश्किल होने के बावजूद, बहुत फायदेमंद हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में दक्षिणी यूरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्र के देशों में ब्रोकली की मांग बढ़ी है। 

ब्रोकली की खेती से संबंधित प्रश्न

Ques.1 ब्रोकली की खेती कौनसे महीने में की जाती है 

Ans. ब्रोकली की खेती सितंबर के बाद फरवरी में की जाती है।

Ques. 2 ब्रोकली की खेती किस प्रकार की मिट्टी उपयोग में लिया जाता है 

Ans. ब्रोकली की खेती के लिए अच्छी उपज के लिए थोड़ी अम्लीय मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 7 के बीच हो।

Ques. 3 ब्रोकली की उन्नत किस्में कौन - कौनसी है। 

Ans. ब्रोकली की 5 प्रकार उन्नत किस्में है 1. पूसा ब्रोकली, 2. केटीएस 01, 3.पालम समृद्धि, 4. पालम कंचन, 5. पालम विचित्रा

Ques. 4 ब्रोकली उगाने में कितने दिन का समय लगता हैं?

Ans. गर्मी के मौसम ( 50 से 60 दिनों ) पतझड़ के मौसम में 60 से 85 दिनों के समय लगता है 

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