Gypsum Fertilizer : किसानों को जिप्सम खाद पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी

पोस्ट -14 अक्टूबर 2024 शेयर पोस्ट

Gypsum Fertilizer : भूमि सुधार एवं फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को जिप्सम पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी

Gypsum fertilizer : रबी सीजन की फसलों की बुवाई का समय अब नजदीक आ चुका है। आने वाले दिनों में गेहूं, राई/सरसों, चना, जौ, मटर आदि की बुवाई की जाएगी। जिसको देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं में किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि, फसलों की अधिक पैदावार के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना जरूरी है, फसलों का उत्पादन भूमि में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों पर निर्भर रहता है। इसलिए भूमि में नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, सल्फर और पोटैशियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा का संतुलित होना आवश्यक है। जिसके चलते सरकार द्वारा किसानों को मिट्टी में आवश्यक प्राथमिक पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए अलग-अलग खाद एवं उर्वरक पर अनुदान (Subsidy) दिया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य में किसानों को जिप्सम पर अनुदान दे रही है, ताकि किसान अनुदान पर जिप्सम लेकर अपने खेतों में इसका छिड़काव कर भूमि के स्वास्थ्य में सुधार कर फसलों की पैदावार बढ़ा सके। 

इन दो योजनाओं के तहत जिप्सम पर दिया जाएगा अनुदान (Subsidy will be given on gypsum under these two schemes)

दरअसल, जिप्सम से न केवल क्षारीय मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह फसलों के उत्पादन बढ़ाने के साथ ही गुणवत्ता भी बढ़ाने में मददगार होता है। जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य मिशन के तहत किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम उपलब्ध करा रही है। वर्ष 2024-25 में इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत राज्य के 20 हजार किसानों को जिप्सम पर अनुदान दिया जाएगा, जो क्षारीय भूमि सुधार एवं दलहनी व गेहूं की फसलों में उपयोगी है। वहीं, कृषि विभाग द्वारा सरसों, चना और तारामीरा की बुआई का समय देखते हुए किसानों को नकली डीएपी (DAP) से सावधान रहने के संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है। क्योंकि कई क्षेत्रों में किसानों को डीएपी खाद मिलने में समस्या हो रही है। 

किसानों को जिप्सम पर कितना मिलेगा अनुदान (How much grant will farmers get on gypsum)

राज्य कृषि विभाग के अनुसार, वर्ष 2024-25 में राजस्थान सरकार द्वारा किसानों को क्षारीय भूमि सुधार के लिए जिप्सम “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर शत प्रतिशत अनुदान पर (निःशुल्क) उपलब्ध कराया जाएगा। प्रति किसान अधिकतम 0.5 हेक्टेयर भूमि के लिए मांग के अनुसार 1.50 मैट्रिक टन जिप्सम दिया जाएगा। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य मिशन के तहत, किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम भी दिया जाएगा। अजमेर जिले के किसानों को भूमि सुधार के लिए 2050 मैट्रिक टन जिप्सम अनुदान पर उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग के अनुसार, राष्ट्रीय खाद्य मिशन अंतर्गत दलहन फसलों में जिप्सम 250 किलो प्रति हेक्टेयर 50 प्रतिशत या अधिकतम 750 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक अनुदान देय है।

जिप्सम पर अनुदान के लिए कहां करें आवेदन? (Where to apply for grant on gypsum?)

कृषि विभाग मुताबिक वर्ष 2024-25 में किसान क्षारीय भूमि सुधार के लिए जिप्सम पर 50 प्रतिशत से लेकर शत प्रतिशत अनुदान पर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए किसान को जिप्सम की मांग के लिए राज किसान साथी-सुविधा एप के माध्यम से आवेदन करना होगा। किसान जनआधार नंबर से लॉगिन कर एप पर अपनी जिप्सम की मांग दे सकेंगे। इस कार्यक्रम के लिए जिप्सम मांग के साथ मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला से प्राप्त जिप्सम मांग रिपोर्ट (6 महीने से अधिक पुरानी ना हो) अपलोड करनी होगी।

क्या होता है जिप्सम? (What is Gypsum)

जिप्सम एक प्राकृतिक द्वितीयक खनिज है। इसे हरसौंठ या सेलखड़ी भी कहते हैं। यह रासायनिक दृष्टि से कैल्शियम सल्फेट  (CaSO42H2O) से मिलकर बना होता है। जिसमें सामान्यतः 23.3 प्रतिशत कैल्शियम एवं 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। जिप्सम कृषि में क्षारीय भूमि के सुधार तथा पोषक तत्व के रूप में उपयोगी है। इसमें मौजूद कैल्शियम और सल्फर क्षारीय भूमि को उपजाऊ बनाकर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है। इसके उपयोग से तिलहन, दलहन और गेहूं फसलों में गुणवत्ता व उत्पादन में वृद्धि होती है। मिट्‌टी की जल निकासी की क्षमता को बेहतर करने के लिए जिप्सम उपयोगी है। मिट्टी में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के अनुपात को बनाए रखने में भी जिप्सम मदद करता है।  

खाद उर्वरक खरीदते समय रहें सावधान (Be careful while buying manure and fertilizer)

कृषि विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि किसान को डीएपी-यूरिया खाद उर्वरक क्रय करते समय सावधान रहने की आवश्यकता है। कोई भी व्यक्ति आपके गांव में आकर अनाधिकृत रूप से उर्वरकों का विक्रय करता है तो उसके नकली होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। किसान ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहें तथा ऐसी स्थिति सामने आने पर इसकी सूचना तत्काल अपने कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी और संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार), जिला परिषद को दें। उर्वरकों का विक्रय-क्रय विक्रय सहकारी समितियों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों और अधिकृत निजी विक्रेताओं द्वारा ही किया जा रहा है। बिना लाइसेंस उर्वरकों का विक्रय उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत दंडनीय अपराध है। कृषि विभाग ने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि रबी फसलों में प्रथम तो डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया अथवा एनपीके उर्वरकों का उपयोग करें, जो कि सस्ते और अधिक लाभकारी होने के साथ आसानी से उपलब्ध भी हैं। 

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