भारत में गन्ने की खेती काफी बडे पैमाने पर की जाती है। किसानों को गन्ने की खेती करने में कई तरह के चुनौती पूर्ण कार्य करने होते है। गन्ने की बुुवाई से लेकर कटाई तक में किसानों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। गन्ने की पारंपरिक खेती में ज्यादा समय एवं मजदूरों की आवश्यकता होती है। जिस वजह से गन्ने की खेती में लागत अधिक होती है और उत्पादन कम आता है। लेकिन आज के इस आधुनिक दौर में नई तकनीक की मशीनों से इसकी खेती की लागत में कमी हुई है। नई तकनीक की मशीनों एवं तकनीकों के आने से अब गन्ने की खेती करना आसान हो गया है। अब गन्ने की खेती में बुवाई से लेकर कटाई तक के तमाम कार्य मशीनों से किया जा रहा है। जिस वहज से गन्ना खेती किसानों की मेहनत, समय एवं लागत में बचत हुई है। इन सब के बावजूद भी देश में गन्ना की खेती करने वाले किसान आर्थिक संकट से जूझते दिख जाते हैं। कारण स्पष्ट है- उत्पादन का सही दाम नही मिल पाना और लागत ज्यादा एवं उत्पादन का सही इस्तेमाल न कर पाना। लेकिन हम एक ऐसी मशीन के बारें में बताने जा रहे है, जिससे गन्ना खेती करने वाले किसानों को कम समय एवं लागत में अच्छा लाभ कमा कर दें सकती है। हम बात कर रहे है गन्ने का रस निकालने वाली नई इलेक्ट्रिकल मशीन की। दरअसल इस नई तकनीक की मशीन से आप आसानी से गन्ने का रस निकाल सकते है और उस रस से बनने वाले चीजों को बाजार में बेचकर अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते है। तो चलिए ट्रैक्टरगुरू के इस पोस्ट में इस नई तकनीक रस मशीन के बारे में जानते है।
बता दें कि भारत देसी जुगाड के लिए काफी जाना जाता है। यहां किसी भी प्रकार के काम को आसान बनाने से लेकर समय की बचत करने तक, हर का जुगाड़ तैयार कर लिया जाता है। फिर चाहे गांव हो या शहर, हर जगह अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से जुगाड़ तैयार हो ही जाता हैं। आपने कभी अपने गांव या शहर में गर्मी के सीजन में सड़क के किनारे खड़े जूस के ठेलों पर भीड़ देखी ही होगी। वहा अपने जूस पेरने के लिए दुकानदार को हाथ से जोर लगाते देखा जा सकता है। वहीं, कुछ दुकानों पर जेनरेटर के जरिए चलने वाली मशीन भी देखी जाती है, और भी कई देसी जुगाड़ देखे होगे। वो कहते है ना जुगाड़ से ही नए अविष्कार की शुरुआत होती है। बता दें कि हाल ही में गन्ने का रस निकालने वाली नई मशीन मार्केट में आई है। जिसमें बिना मेहनत के ही गन्ने का जूस कुछ ही सेकंड में निकाल सकते है। सिर्फ गन्ने को नई इलेक्ट्रिकल मशीन में डालना होता है और फिर रस अपने आप निकल आता है। गन्ने का जूस पीने के लिए काफी देर खड़े होने की जरूरत नहीं है। कुछ ही सेकेंड में आपके हाथ में गन्ने का रस होगा।
यह तो हम सभी जानते है कि गन्ना देश की नहीं बल्कि हर राज्य की नगदी फसल है। गन्ना किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यदि किसान गन्ने के उत्पादन का सही इस्तेमाल करे, तो यह उन्हें लाखों तक की कमाई भी दे सकती है। गन्ने से बनने वाले चीजें आपको बाजार में अच्छा लाभ कमा कर देंगी। इसके लिए आपकों सिर्फ थोड़े से इन्वेस्टमेंट करने की आवश्यकता है। आप इस नई इलेक्ट्रिकल मशीन में इन्वेस्टमेंट करके खुद का एक अच्छा सा बिजनेस खड़ा कर सकते है। यह मशीन आपके लिए बड़े काम की साबित हो सकती है। सिर्फ थोड़े से इन्वेस्टमेंट के बदले आपको सीजन में अच्छा मुनाफा हो सकता है। इस मशीन की कीमत करीब 30 से 35 हजार रुपए है। हालांकि, एक सीजन में ही मशीन की लागत निकल आएगी। यदि कोई इस मशीन को खरीदने के बाद बिजनेस करता है तो बिना मेहनत के कमाई की जा सकती है। इस मशीन की खास बात यह है कि इस मशीन से सीधे ठंडा रस निकलता है और बर्फ डालने की जरूरत भी नहीं होती।
किसानों के लिए गन्ने से गुड़ और शक्कर तैयार कर बाजार में अच्छे दाम पर बचे सकते है। देखा जाए तो एक कुंतल गन्ने से 13 किलो तक किसान आसानी से गुड़ तैयार कर सकता हैं। क्योंकि चीनी या उसकी शाखा-प्रशाखाओं को प्राप्त करने का सबसे प्रमुख स्रोत गन्ना ही है।
चीनी उद्योग हमारे देश के प्रमुख उद्योगों में है। हालांकि इस उद्योग को बहुत पुराना नहीं कहा जा सकता चूंकि चौथे दशक के बाद, या दूसरे महायुद्ध के दौरान ही इसका तेजी से विकास हुआ है। किन्तु शक्कर, गुड़, मिश्री आदि के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। हजारों वर्षों से यह उद्योग यहां स्थापित हैं, बल्कि हम अति प्राचीन काल से ही विश्व के प्रायः सभी भागों को इनका निर्यात करते रहे हैं। गुड़, राब, शक्कर, खांड, बूरा, मिश्री, चीनी आदि तैयार करने के लिए आप करीब 10 लाख रूपए की लागत वाली पेराई की मशीन से बिजनेश शुरू कर सकते है। एक बार के इन्वेस्टमेंट करने से किसानों को कई सालों तक इससे लाभ मिलता रहेगा।
देश के सभी राज्यों में गन्ने की खेती होती है। गन्ना उत्पादक प्रमुख राज्यों में उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब , हरियाणा व बिहार आदि शामिल है। इसका सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तरप्रदेश राज्य से होता है, जो कि कुल उत्पादन का करीब 50 प्रतिशत है। संपूर्ण भारत में गन्ने की औसत उत्पादकता लगभग 720 क्विटल/हेक्टेयर है। सामान्य तौर पर कहा जाए तो गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है और इसका नकदी फसल के रूप में एक प्रमुख स्थान है। गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन्हीं वजहों से देश की सभी राज्य सरकारें और केंद्र सरकार गन्ना खेती करने वाले किसानों खाद बीज पर सब्सिडी देना, उपज बेचने के लिए समुचित बाजार की व्यवस्था करना और नई तकनीक मशीनों पर सब्सिडी देना एवं किसानों को बकाया राशि का भुगतान करने जैसी तमाम तरह की सहूलियत देती है।
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