केंद्र और राज्य सरकारें कृषि क्षेत्र में तकनीकी विकास के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही है। इन तमाम योजनाओं के माध्यम से सरकार किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है। जिसके लिए किसानों को अच्छी-खासी सब्सिडी भी देती है। जिससे कृषि की लागत भी कम हो जाती है, साथ ही किसानों की आय में वृद्धि होती है और रोजगार के अवसर भी खुलते है। इसी कड़ी में बिहार राज्य की सरकार ने दीवाली त्यौहार को देखते हुए मखाने की खेती करने वाले किसानों के हित में एक अहम घोषणा की है। जिसके तहत बिहार सरकार किसानों को मखाने की प्रोसेंसिंग करने वाली पॉपिंग मशीन पर 50 प्रतिशत तक की भारी सब्सिडी दे रही है। यानि मखाने की खेती करने वाले किसानों को आधे खर्च पर प्रोसेंसिंग वाली पॉपिंग मशीन को खरीदने का अवसर दे रही है। यदि आप भी मखाने की खेती करने वाले किसान है, तो ट्रैक्टरगुरू की यह पोस्ट आपके लिए बहुत खास हो सकती है। इस पोस्ट में हम आपको मखाने की प्रोसेंसिंग वाली पॉपिंग मशीन पर सब्सिडी योजना से संबंधित सभी जानकारी देगे। साथ ही योजना में आवेदन प्रक्रिया के बारे में भी बताएंगे।
बिहार सरकार द्वारा राज्य में मखाना खेती करने वालें किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए बिहार सरकार ने मखाना किसानों को राहत देते हुए उन्हें मखाने की प्रोसेस करने जैसे दुष्कर और चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए मखाने प्रोसेंसिंग वाली पॉपिंग मशीन पर 50-60 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है। बिहार सरकार कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत मखाना पॉपिंग मशीन की खरीद पर सामान्य वर्ग के किसानों को इकाई लागत पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी यानी अधिकतम 1 लाख रुपए तक की सब्सिडी दे रही है, तो वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति के किसान मखाना पॉपिंग मशीन की खरीद पर 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी यानी अधिकतम 1.5 लाख रुपए का अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।
बिहार को मखाने का गढ़ कहा जाता है। इसकी खेती बिहार के दरभंगा जिला से आरंभ हुई थी। बिहार के अधिकतर जिलों में इसकी खेती किसानों की मुख्य आजीविका बनी हुई है। पिछले एक दशक से सहरसा, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिले में मखाना की खेती से किसान आमदनी कमा रहे है। पानी में उगे फूल और पत्तों सा दिखने वाला मखाना साल में 3 से 4 लाख रूपये की कमाई करा देता है। इसकी खास बात यह है कि मखाना निकालने के बाद स्थानीय बजारों में इसके कंद और डंठल की भी भारी मांग होती है, जिसे किसान बेचकर अतिरिक्त पैसा कमाते हैं।
मखाना ड्राईफ्रूट्स में आता है। बिहार में पैदा होने वाले मखाने की दुनियाभार में धूम है। पूरे भारत में तकरीबन 15 हजार हेक्टेयर के खेत में मखाने की खेती की जाती है। जिसमें अकेले बिहार राज्य में ही तकरीबन 80 से 90 फीसदी मखाने का उत्पादन किया जाता है, तथा उत्पादन का 70 प्रतिशत भाग मिथिलांचल का है। तकरीबन 1 लाख 20 हजार टन मखाना बीज का उत्पादन किया जाता है, जिसमे से मखाने के लावे की मात्रा 40 हजार टन होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मखाने के साथ बिहार और मिथिलांचल का नाम प्रमुखता से जुड़ गया है। जिसके तहत बिहार सरकार के प्रयासों से मिथिलांचल मखाना को भौगौलिक संकेतक (जीआई) टैग से नवाजा गया है। कुल मिलाकर किसानों को मखाना के बेहतर दाम मिलने का रास्ता साफ हो गया है। टैग मिलने के बाद मखाने का अंतरराष्ट्रीय कारोबार 10 गुना तक बढ़ सकता है।
यहां किसान पारंपरिक तरीकों से मखाना की खेती करते हैं और साथ ही पुराने तरीके से ही प्रोसेसिंग करके आमदनी कमाते हैं। असल में छोटे-छोटे सफेद से दिखाई देने वाले मखाने में जितनी पौष्टिकता होती है, उससे अधिक खतरा इसके खेती से लेकर प्रोसेस कार्य में बना रहता है। मखाना प्रोसेसिंग के पारंपरिक तरीकों से लावा निकालने में समय और मेहनत बहुत लगती है। यहां तक बीज से लावा निकालने जैसी प्रोसेसिंग के दौरान बेहद चुनौतीपूर्ण खतरों का सामना करना पड़ता है। मखाना प्रोसेसिंग में किसानों की मेहनत एवं लागत को कम करने के उद्देश्य से बिहार सरकार किसान और मजदूरों को मखाना पॉपिंग मशीन को अपनाने के लिये प्रेरित कर रही है। सरकार का मानना है कि मखाना की खेती में पॉपिंग मशीन बेहद ही जरूरी है। किसान पॉपिंग मशीन के माध्यम से मखाने का लावा कम समय और कम मेहनत में निकाल सकते है। बिहार सरकार इसकी खरीद पर सब्सिडी भी दे रही है। मखाना किसान व्यक्तिगत तौर पर या फिर किसान उत्पादक समूह बनाकर भी मखाना पॉपिंग मशीन को सब्सिडी पर खरीद सकते हैं।
बिहार सरकार राज्य में किसानों को कृषि प्रशिक्षण से लेकर आधुनिकी तकनीक के कृषि यंत्रों पर अनुदान देने के कृषि यंत्रीरण योजना को संचालित कर रही है। योजना के तहत कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी प्रदान कर रही है। बिहार सरकार राज्य में मखाना के प्रोसेसिंग में पॉपिंग मशीन आवश्यकता को देखते हुए कृषि यंत्रीरण योजना के तहत मखाना उत्पादक किसानों को पॉपिंग मशीन पर सब्सिडी देने का की घोषण की है। इच्छुक किसान बिहार कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर पॉपिंग मशीन पर सब्सिडी लेने के लिए आवेदन कर सकते है। योजना की विस्तृत दिशा-निर्देश एवं अन्य शर्ते विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है तथा अधिक जानकारी के लिए अपने जिला के उपनिदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 1800-3456-214 पर संपर्क कर सकते हैं।
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