Animal husbandry and fish farming : पशुपालन क्षेत्र के विकास हेतु केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं लागू की जा रही है। इन सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर पशुपालक किसान बिना किसी परेशानी के पशुपालन को और अधिक बेहतर बनाकर अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं। ऐसे में अगर आप भी गांव से है और पशुपालन के लिए उन्नत नस्ल के पशुओं को खरीदना और बेचना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके पास 12 फरवरी से अच्छा अवसर है। क्योंकि इस दिन से राजस्थान के करौली जिले में पशु मेले का आयोजन होने जा रहा है। माना जा रहा है इस पशु मेले का लाभ केवल राजस्थान क्षेत्र के ही किसानों ही उठा सकेंगे, क्योंकि अन्य राज्यों से किसानों का यहां आना थोड़ा मुश्किल ही होगा। इसके अलावा, आगामी 22 से 24 फरवरी तक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा “पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025” आयोजित किया जाएगा, जो नई दिल्ली के पूसा परिसर में आयोजित होगा। इस वर्ष का मुख्य विषय “उन्नत कृषि – विकसित भारत” है। यह कृषि विज्ञान मेला कृषि तकनीक, योजनाओं और नवाचारों को कृषकों तक पहुंचाने के लिए एक आदर्श माध्यम बनेगा।
हर साल की तरह इस साल भी 12 से 20 फरवरी तक राजस्थान के करौली जिले में श्री शिवरात्रि पशु मेला आयोजित किया जाएगा। पशुपालन के लिए इच्छुक किसान यहां से अपने लिए उन्नत नस्लों के पशु खरीद सकते हैं। मेले में पशु खरीदने जा रहे किसानों को कुछ नियमों का पालन करना होगा, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पशु मेले में पशु खरीदने के लिए आवश्यक दस्तावेज (Required Documents) प्रस्तुत करना अवश्यक है। इनमें जमाबंदी की नकल, पहचान पत्र की कॉपी, क्रय किए गए पशु को कृषि कार्य या दुग्ध उत्पादन में उपयोग लेने का शपथ पत्र आदि कागजात (डॉक्यूमेंट) शामिल हैं।
मेले में पशु की खरीद करने वाले को पशु को ईयरटेक (EarTech) लगवाना एवं पशु स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (Health Certificate) भी जारी करवाना आवश्यक किया गया है। इसके अलावा, पशु के परिवहन (Transportation) के लिए बड़े ट्रक (142 इंच व्हील बेस) में 6 बड़े पशुओं से अधिक पशु नहीं होने चाहिए और वाहन में इन मवेशियों के पैरों के नीचे कुशन तथा साईड में बोरी अथवा टाट लटकाने होंगे ताकि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान उनकी खाल नहीं छिले।
पशु परिवहन (Animal Transportation) के समय वाहन के साथ मवेशियों की देखभाल व चारा पानी के लिए श्रमिक सहायक भी होना अनिवार्य है। पशुओं का लदान एवं उतार–चढ़ाव ढलान वाले रैम्प पर करना होगा। साथ ही तीन वर्ष से कम आयु के गौवंश को राज्य से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा आयोजित “पूसा कृषि विज्ञान मेला 2025” अब 22-24 फरवरी तक नई दिल्ली के पूसा परिसर में आयोजित किया जाएगा। यह स्थान कृषि क्षेत्र से जुड़े कार्यक्रमों के लिए एक प्रमुख केंद्र है। मेले में कृषि तकनीक, योजनाओं और नवाचारों को प्रमुखता दी जाएगी। ऐसे में 22-24 फरवरी 2025 को नई दिल्ली स्थिति पूसा मेला ग्राउंड में आयोजित इस कृषि विज्ञान मेला का हिस्सा बनें एवं कृषि के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक कदम बढ़ाएं।
“पूसा कृषि विज्ञान मेला” किसानों और कृषि विशेषज्ञों के बीच संवाद और नवाचार का सेतु है। इस मेले में कृषि योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इससे किसान सरकार की नवीनतम नीतियों और योजनाओं का अधिकतम फायदा उठा पाएंगे। खास तौर से फसल बीमा योजना, सब्सिडी और कृषि ऋण से जुड़ी जानकारियां प्रदान की जाएंगी। मेले में फसल विविधीकरण और जलवायु अनुकूल कृषि पर सत्र आयोजित किए जाएंगे, यहां किसानों को सिखाया जाएगा कि वे बदलते मौसम और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अपनी खेती के तरीकों को कैसे अनुकूलित कर सकते हैं।
मेले में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जल संसाधन प्रबंधन, सूखा प्रतिरोधी फसलों और ऑर्गेनिक फार्मिंग पर भी चर्चा होगी। कृषि सेक्टर में युवा और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष सत्र आयोजित होंगे, जहां महिला किसानों और युवा उद्यमियों को स्टार्टअप शुरू करने, जैविक खेती, एग्री-प्रोसेसिंग तथा कृषि व्यापार से जुड़ने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में नई संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
आधुनिक कृषि को लेकर इस मेले में आधुनिक तकनीकों का लाइव प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें सबसे एडवांस्ड ड्रोन तकनीक, स्मार्ट सिंचाई प्रणाली, सटीक खेती और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रदर्शित किया जाएगा। इससे खेती को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाया जा सके। कृषि विपणन और किसान संगठन पर खास चर्चा होगी। इसमें किसानों को अवगत कराया जाएगा कि वे अपनी उत्पादन को सीधे मार्केट तक कैसे पहुंचा सकते हैं। कृषि ई-मार्केटप्लेस एवं कोऑपरेटिव संगठन से जुड़कर अपनी आय में वृद्धि कैसे कर सकते हैं। साथ ही इस मेले में किसानों के नवाचार को भी प्रमुखता दी जाएगी, जहां प्रगतिशील किसान अपने खुद के विकसित किए गए कृषि उपकरण, तकनीक तथा खेती के नए तरीके प्रस्तुत करेंगे।
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