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सर्दियों में बछड़ा-बछिया का ऐसे रखें ख्याल, जानें किन बातों रखना है ध्यान

सर्दियों में बछड़ा-बछिया का ऐसे रखें ख्याल, जानें किन बातों रखना है ध्यान
पोस्ट -01 दिसम्बर 2023 शेयर पोस्ट

सर्दियों में होने वाले बीमारियों से बछड़े-बछियों को बचाने के लिए ध्यान रखे ये बात

Animal Husbandry : देश के गांवों में रहने वाले लोग खेती-बाड़ी के साथ पशुपालन से अच्छी-खासी कमाई कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। आज पशुपालन व्यवसाय में अच्छी नस्ल के बछड़ा-बछियां का पालन विभिन्न उद्देश्य से किया जा रहा है। जहां बछियां का पालन दुध उत्पादन के लिए किया जाता है, तो वहीं, बछड़े का पालन खेती संबंधित कामों को पूरा करने के लिए किया जाता है। ऐसे में इनके खान-पान और रहन-सहन का विशेष ध्यान रखना बेहद जरुरी हो जाता है। क्योंकि बदलते मौसम का प्रभाव खेती के साथ-साथ इन पर भी पड़ता है। इसी बीच ठंड ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है। पहाड़ी राज्यों में रूक-रूक के हो रही बारिश और बर्फबारी के चलते कई इलाकों में ठंड बढ़ गई है। जिससे  किसानों और पशुपालकों की चिंता बढ़ा गई है। क्योंकि बढ़ती ठंड के बीच मवेशियाें और उनके बछड़ा और बछिया का सही से ध्यान नहीं रखा गया, तो पशुपालकों को बड़ी हानि भी हो सकती है। किसान सर्दियों में बछड़ों और बछियों के खान-पान का उचित ध्यान रखकर उन्हें कई बीमारियों और कुपोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। अगर उन्होंने इस दौरान बछड़ा-बछिया के खान-पान और रहने की व्यवस्था पर शुरू से ध्यान नहीं दिया तो उनके पशु कुपोषण का शिकार हो सकते हैं, जो आगे चलकर करोबार को प्रभावित कर सकते  हैं।  

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बछड़ों-बछियों को ठंड से बचाने के लिए उपाय

सर्दियों में दुधारू पशुओं को ठंड लगने से वे बीमार हो जाते है, जिससे उनकी दूध उत्पादन की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। वहीं, छोटे बछड़ा-बछिया ठंड के चलते निमोनिया रोग समेत अन्य कई बीमारियों के शिकार हो जाते है और मौत के मुंह में चले जाते हैं। सर्दियों के मौसम में इनकी विशेष देखभाल करे और उनके खिलाई-पिलाई का भी विशेष ध्यान रखें। ठंड से बछिया और बछड़े को ठंड से बचाने के लिए पशुशाला के बड़े को रोगाणुमुक्त और सूखा रखने के लिए रखा और चुना का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा, बड़े की साफ-सफाई कर फिनायल या अन्य जीवाणु और परजीवी संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का छिड़काव करे। पशुशाला के खिड़की- दरवाजे को टाट या तिरपाल से घेरा बंदी करें, जिससे ठंडी हवा अंदर न जा सकें। बडे़ में उचित तापमान की व्यवस्था के लिए फर्श पर सूखे पुआल, घास-फूस, रखा और टाट का बिछावन करे। सर्दियों के दिनों में नवजात बछड़ा और बछिया का समय-समय पर चिकित्सक को दिखाना चाहिए और उनकी सलाह पर गाय-भैंस के बच्चे एवं छोटे पशुओं को कृमिनाशक दवाएं अल्बोमार, बैनामिन्थ, निलवर्म, जानिल आदि देते रहना चाहिए। 

नवजात बछड़े और बछिया के खान पान का प्रबंधन

पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी पशुपालन करोबार की सफलता उसके बछड़ों एवं बछियों के उचित प्रबंधन पर निर्भर करता है। नवजात बछड़ों-बछियों के प्रारंभिक जीवन में बेहतर खान पान उनके तेजी से विकास के लिए अच्छा होता है। उनके पूर्ण विकसित होने के समयावधि के दौरान उन्हें सावधानी से पाला जाना चाहिए। नवजात एवं छोटे बछड़ों और बछियों को पोषण आहर खिलाने से उन्हें कपोषण का शिकार होने बचाया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक नवजात बछड़ों-बछियों में जन्म से अपने यौवन की परिपक्क समयावधि के दौरान उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। इस लिए बछड़े/ बछियों के जन्म के आधे घंटे के अंदर कोलोस्ट्रम (खीस) पिलाना चाहिए। बछड़ो एवं बछियों मां से रोग प्रतिरोधक क्षमता पहुंचाने के लिए प्राकृतिक तरीका से नवजात बच्चे को दूध/ दुग्ध प्रतिस्थापक (milk replacer) पिलाना चाहिए ,क्योंक पशु को प्रकृति द्वारा दिया गया एक अमूल्य आहार है। बछड़ों/बछियों को जन्म के दूसरे हफ्ते से ही अच्छी गुणवत्ता वाला दाना देना चाहिए। इसके अलावा,  बछड़ो/ बछियों को अच्छी गुणवत्ता वाली सूखी घास भी आहार में देनी चाहिए। रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए कृमिनाशक व टीकाकरण समय पर करवाना चाहिए।

नवजात बछड़े-बछिया को आहार देने का तरीका 

जन्म से पहले बच्चे को माँ के गर्भाशय में संपूर्ण षोषण आहार मिलता रहता है, लेकिन जन्म के बाद नवजात की संपूर्ण पोषण आहार की आवश्यकता, अधिक हो जाती है। बछड़े या बछिया को जन्म के बाद एक या दो दिनों तक डेढ़ से दो किलो खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाना चाहिए। तीन से चार दिनों के बाद डेढ़ से दो किलो दूध पिलाए। चार से  14 दिनों के बाद  उन्हें प्रतिदिन डेढ़ किलो दूध और 100 ग्राम हरा चारा और 100 ग्राम अच्छी क्वालिटी वाली सूखी घास(हे) खिला चाहिए। बछड़े-बछिया तीन सप्ताह की होने पर उन्हें प्रतिदिन एक किलो दूध, दो सौ ग्राम दाना, 150 ग्राम सूखी घास और 750 ग्राम हरा चारा देना चाहिए। वहीं  बछड़े या बछिया के 16 सप्ताह की होने तक हर रोज 500 ग्राम दूध, 150 से 200 दाना, 200 ग्राम घास और 750 ग्राम से 1 किलों तक हरा चारा बढ़ते हुए वजन के  हिसाब से खिलाना चाहिए।

बछड़े-बछिया का ऐसे रखे ख्याल

नवजात बछड़े-बछिया की देखभाल करने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि इस दौरान इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। ऐसे में जन्म के तुरंत बाद बछड़े-बछिया की नाक, मुंह और उसका पूरा शरीर अच्छे से साफ करें। बछड़े-बछिया की छाती पर धीरे-धीरे मालिश करना चाहिए, ताकि उन्हें सांस लेने में आसानी हो सके। नवजात बछड़े-बछिया के मुंह में उंगलियां डालकर उन्हें उसकी जीभ रखें। नाभिनाल को दो इंच की दूरी पर धागे के साथ बांध कर शेष बची नाल को विसंक्रमित कैंची या नई ब्लेड के प्रयोग से काटकर उस पर टिंक्चर आयोडीन लगाए। बछड़े-बछिया को उचित विकास समय तक कम से कम दो महीने तक दूध पिलाना चाहिए। बछड़े-बछिया को चार से पांच माह के बाद दुध पिलाना बद कर देना चाहिए और उसके स्थान पर 1 किलो 750 ग्राम दाना, डेढ़ किलो सूखी घास और 7 से 10 किलो हरा चारा खिलाना चाहिए। उसके बाद जब बछड़े-बछिया 6 से 8 माह बड़े हो जाए तब उन्हें महीने में एक बार पेट के कीड़े मारने की दवा अवश्य पिलाना चाहिए। इससे आपके बछड़े-बछिया के स्वास्थ्य बेहतर होगा और भविष्य में अपका डेयरी फार्म अच्छा मुनाफा भी देगा। 

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