Top Breed of Exotic Goats : देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन तेजी से अपने पैर पसार रहा है। भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसान परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में बकरी पालन अहम समाधान भी साबित हो रहा है। जिसे ध्यान में रखते हुए कई राज्यों में कृषि के साथ-साथ बकरियों के पालन को भी बढ़ावा दिया जाने लगा है। इसके लिए सरकारें विभिन्न योजनाओं में लोगों को बकरी पालन के लिए सहायता भी उपलब्ध कराती है। अब दुर्गम पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाली आबादी द्वारा कई तरह की विदेशी और देशी नस्ल की बकरियों का पालन इनके दूध और मांस से लाभ कमाने के उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। यदि आप भी इसी उद्देश्य से बकरी पालन शुरू करना चाहते है, तो आप इन टॉप 4 विदेशी नस्ल की बकरी का पालन कर सकते हैं। विदेशी बकरी की ये नस्लें देशी गाय के बराबर दूध उत्पादन करती है। इनके मांस, दूध और दूध से बने मक्खन/घी की मांग बाजार में खूब है। ऐसे में आप इन विदेशी नस्लों की बकरी का पालन कर इनसे अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। आइए, इन नस्लों की बकरियों के पालन और दूध उत्पादन क्षमता के बारे में जानते हैं।
कौन सी विदेशी नस्ल की बकरियां सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। यहां नीचे विभिन्न प्रकार की विदेशी बकरियों की सूची दी जा रही है। आइए, देखें :
यह विदेशी नस्ल की बकरी अपने दूध उत्पादन के लिए दुनिया में सबसे लोकप्रिय है। इसे “दूध की रानी” भी कहा जाता है। सानेन बकरी की नस्ल मूलरूप से स्विटजरलैंड की है, जिसे डेयरी उद्देश्य से सबसे ज्यादा पाला जाता है। सफेद कोट पहने यह विदेश नस्ल की बकरी दूध उत्पादन के मामले में अन्य सभी बकरियों की नस्लों से सबसे आगे है। सानेन बकरियां प्रतिदिन 3 से 5 प्रतिशत मक्खनयुक्त 3 से 4 लीटर तक दूध दे सकती है।
इसके दूध में एंटी-ऑक्सीडेटिव गुण होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं, जिसके चलते इसके दूध की बाजारों में मांग अच्छी खासी रहती है, जिससे इसकी कीमत भी काफी अधिक रहती है। हालांकि, इनका मांस अन्य नस्लों की तुलना में उतना स्वादिष्ट नहीं होता है, जिससे ये कम वांछनीय मांस बकरियां बन जाती हैं। यह विदेशी बकरी शांत और मधुर स्वभाव की होती है। यह विभिन्न मौसम स्थितियों के प्रति सहनशील या अनुकूलनशील होने के लिए जानी जाती है।
इनके खुर मजबूत और रोग-प्रतिरोधी होते हैं, और उनके पैर लंबे होते हैं। यही कारण है कि वे उबड़-खाबड़ इलाकों में आसानी से चल सकते हैं। सानेन बकरियां अपनी प्रचुर दूध देने की क्षमता, न्यूनतम लागत और स्थान की आवश्यकता, कठोरता और मैत्रीपूर्ण व्यक्तित्व के कारण, छोटे खेतों और घरों के लिए एकदम उपयुक्त हैं। सानेन नस्ल की मादा की औसत ऊंचाई 30 इंच और नर की औसत ऊंचाई 32 इंच होती है। इस नस्ल की बकरी का रंग पूर्णत: सफेद या हल्का क्रीमी होता है।
अगर आप डेयरी उत्पादन के उद्देश्य से विदेशी नस्ल की बकरी पालन करना चाहते है, तो आप विदेशी नस्ल एंग्लो-न्युबियन बकरी का पालन कर सकते हैं। एंग्लो-न्युबियन नस्ल ब्रिटेन में विकसित की गई थी और यह अफ्रीकी और भारतीय बकरियों का मिश्रण है। इस नस्ल की बकरी की विशेषता इसके रोमन नाक, मिमियाहट, उभरा हुआ चेहरा और लंबे, लटकते कान हैं। विदेशी बकरी की यह नस्ल अपनी अधिक दूध उत्पादन क्षमता और मांस के लिए पहचानी जाती है। यह प्रतिदिन केवल 4 से 5 लीटर दूध दे सकती हैं। बकरी की यह नस्ल 4 प्रतिशत मक्खनयुक्त स्वादिष्ट दूध उत्पादन करती है और मांस की एक सभ्य मात्रा भी प्रदान कर सकती है। इस नस्ल की बकरियों का रंग लाल, भूरा और काला होता है। एंग्लो-न्युबियन नस्ल के बकरे काफी लंबे होते हैं और वजन भी तेजी से बढ़ता है। यह एक बहुउद्देश्यीय नस्ल है जो मांस, दूध और खाल उत्पादन के लिए उपयुक्त है। किसान इस नस्ल का पालन कर इसके दूध और मांस से मोटी कमाई कर सकते हैं।
विदेशी बकरी की नस्ल अल्पाइन बकरी “ग्रेट ब्रिटेन” मूल की है। यह सबसे पुरानी लेकिन शाही दोहरे उद्देश्य वाली नस्लों में से एक है, जिसकी शारीरिक संरचना सानेन और टोगेनबर्ग के कोट चिह्नों के समान है। इस नस्ल के व्यस्क का वजन 99 किलोग्राम तक होता है और यह लगभग 83 से 95 सेंटीमीटर लंबी होती है। छोटे पशुपालक इस नस्ल को सबसे ज्यादा पालना पंसद करते है, क्योंकि इसका मांस अन्य नस्ल की बकरियों की तुलना में कहीं अधिक स्वादिष्ट होता है और इसका वजन भी तेजी से बढ़ता है। इसके अलावा, यह प्रचुर मात्रा में दूध उत्पादक भी हैं, जो वाणिज्यिक डेयरी उद्देश्यों के लिए अच्छा है। इसके दूध में 3.4 प्रतिशत वसा है और अन्य नस्लों की तुलना में इसका दूध अधिक मीठा होता है। यह नस्ल प्रतिदिन 1 गैलन (3.75 लीटर) तक दूध दे सकती है। पर्यावरण और जलवायु के साथ संतुलन बनाए रखने और अनुकूलन करने की अपनी क्षमता के कारण, यह विदेशी नस्ल छोटे किसानों के बीच एक लोकप्रिय नस्ल है। इस नस्ल की बकरी का रंग सफेद, ग्रे और भूरा या काला पाया जाता है।
टोगेनबर्ग बकरी भी स्विस मूल की एक अन्य विदेशी बकरी की नस्ल है। यह सानेन की तरह ही, प्रतिदिन 3 से 4 लीटर तक पर्याप्त मात्रा में दूध का उत्पादन करती है। हालांकि इसके दूध में मक्खन की मात्रा लगभग 3 से 4 प्रतिशत ही होती है। यह विदेशी नस्ल अन्य मांस बकरियों की तरह भारी और बड़ी नहीं होती है। इस नस्ल का पालन केवल डेयरी उद्देश्य से किया जाता है। टोगेनबर्ग का दूध एक मजबूत और विशिष्ट स्वाद देता है। दूध के लिए पाली जाने वाली बकरी की यह विदेशी नस्ल अन्य मांस बकरियों की तरह भारी और बड़ी नहीं होती, लेकिन इसके मांस की गुणवत्ता सानेन से बेहतर है। यह साहसी नस्ल किसी भी वातावरण के अनुकूल ढल सकती है। हालांकि इन्हें पर्याप्त छाया और घास वाले क्षेत्र की आवश्यकता होती है। यह नस्ल सौम्य और मिलनसार हैं, जिसके कारण इसे पालतू जानवर के रूप में मुर्गियों जैसे अन्य पशुओं के साथ बिना किसी समस्या के साथ रख सकते हैं। इसकी खास बात यह है कि टोगेनबर्ग बकरियां स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान होती हैं और यह आदेश सीख सकती हैं। टोगेनबर्ग बकरी का रंग भूरा और सफेद होता है।
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