बकरी पालन किसानों की साइड इनकम का सबसे बेहतर बिजनेस है। इस क्षेत्र से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) के सहयोग और केंद्र प्रायोजित "राष्ट्रीय पशुधन मिशन" (National Livestock Mission) से बकरी पालन (bakri palan) पहले से अधिक मुनाफेदार व्यवसाय बनता जा रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में किसान इसे बिजनेस के रूप में अपना रहे हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश में। यहां की सरकार "राष्ट्रीय पशुधन मिशन" योजना के तहत बकरी पालन के लिए किसानों को 10- 50 लाख रुपए तक की सब्सिडी दे रही है, तो वहीं राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल द्वारा बकरी के दूध से कई हेल्दी प्रोडक्ट्स भी बनाए जा रहे हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं। ऐसे में किसान अब बकरी पालन कर उसके दूध के बिजनेस से लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकेंगे। NDRI की पहल और NLM योजना का उद्देश्य लोगों को बकरी पालन से जोड़कर, बकरियों के दूध से बने उत्पादों को एक नया मार्ग प्रदान करना है।
बकरी पालन कम लागत पर अधिक मुनाफा देने वाला बिजनेस है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश में अब न केवल किसान, बल्कि पढ़े-लिखे युवा भी इससे जुड़ रहे हैं। बकरियां के दूध और इसके मांस की डिमांड बाजारों में हमेशा बनी रहती है। लेकिन अब इसके दूध से बने उत्पाद भी बाजार में मिलेंगे, क्योंकि आईसीएआर-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के डेयरी प्रोद्योगिकी विभाग में कार्यरत वैज्ञानिक अब बकरी के दूध से कई ऐसे डेयरी प्रोडक्ट्स बना रहे हैं। यह प्रोडक्ट्स सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। आईसीएआर-एनडीआरआई संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. संगीता गांगुली का कहना है कि बकरी का दूध पचाने में आसान होता है, इसमें इम्युनिटी बढ़ाने वाले तत्व उपलब्ध होते हैं। महिलाओं के हार्मोन संतुलन में भी बकरी का दूध काफी मददगार पाया गया है, जिसके चलते अब संस्थान के वैज्ञानिक बकरी के दूध से कई खास डेयरी प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं।
डॉ. संगीता गांगुली ने बताया कि इस बार विश्व दूध दिवस पर संस्था ने गोट मिल्क कोटी चीज, गोट मिल्क फेटा चीज और जोहा राइस मिल्क जैसे नए प्रोडक्ट्स प्रदर्शित किए। बकरी के दूध से तैयार ये प्रोडक्ट्स बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होता और इन्हें घर पर बनाना भी मुश्किल होता है। उन्होंने कहा, संस्थान की इस पहल से बकरी पालन अब केवल मांस और दूध तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे डेयरी बिजनेस के रूप में विकसित किया जा सकेगा। बकरी पालन बहुत ही कम खर्च में शुरू किया जा सकता है। इसे छोटे और सीमांत किसान भी आसानी से कर सकते हैं। सरकार किसानों को बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी भी प्रदान कर रही है, जिसके चलते अब यह बिजनेस पहले से अधिक मुनाफेदार होने वाला है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission) के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को बकरी पालन यूनिट पर 10 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक अनुदान देने की व्यवस्था की गई। इसमें 100 बकरियों के पालन (सबसे छोटी यूनिट) के लिए इकाई लागत लगभग 20 लाख रुपए निर्धारित की गई है, जिस पर योजना के तहत सरकार 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख की सब्सिडी दे रही है। अगर कोई किसान 500 बकरियों की पालन यूनिट शुरू करता है, उसे योजना के तहत 50 लाख तक की सब्सिडी मिल सकती है। 100 बकरियों की फार्म इकाई के लिए 5 बीजू बकरा होना अनिवार्य है। 100 बकरियों की यूनिट के लिए 5 बीजू (breeding) बकरियां होना अनिवार्य है। इस योजना के लाभ हर वर्ग के लाभार्थी को मिलेगा। यूपी सरकार की इस योजना का लाभ केवल प्रदेश के नागरिकों दिया जाएगा। इसके लिए आपके पास न्यूनतम 1 एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। इसके अलावा, आपकी फार्मर रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट्स प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के अंतर्गत बकरी पालन इकाई के लिए मिलने वाले अनुदान का लाभ किसान पांच श्रेणियों में ले सकते हैं। लाभार्थी को इसके लिए अपने जिला के पशु चिकित्सा केंद्र या जिले के विकास भवन में स्थित मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से संपर्क कर आवेदन फॉर्म भरना होगा। यहां आपको योजना के लिए जानकारी और आवेदन प्रक्रिया से संबंधित सभी सहायता मिलती है। अगर आप यूपी से हैं और अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो यह योजना आपके लिए अच्छा मौका है। सरकारी अनुदान पर बकरी पालन का व्यवसाय शुरू करके आप न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं बल्कि क्षेत्र में अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। वहीं, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. धीर ने बताया कि संस्थान का उद्देश्य केवल सेहतमंद उत्पाद नहीं, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाना है। बकरी से मिलने वाला दूध कम मात्रा में होता है (लगभग 4-5 प्रतिशत), हालांकि इसकी गुणवत्ता बहुत बेहतर होती है। वैज्ञानिकों का फोकस इस दूध से बने उत्पादों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और इसके जरिए बकरी पालन करने वाले किसानों को एक नया बाजार देना है।
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