केंद्र और राज्य सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से कई अलग-अलग योजनाएं चला रही हैं। ये सरकारी योजनाएं महिलाओं को अपना कारोबार शुरू करने का अवसर भी दे रही हैं। ग्रामीण महिलाएं इन योजनाओं का लाभ लेकर बकरी पालन, डेयरी, मुर्गीपालन जैसे कामों से अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। छत्तीसगढ़ के दुलदुला ब्लॉक के ग्राम छेड़ड़ की रहने वाली सविता रजक आज इस दिशा में एक प्रेरणादायक मिसाल बन गई हैं। उनके इस सफर में पीएम मुद्रा लोन और बिहान योजना ने मजबूती का सहारा दिया।
सविता रजक ने इन योजनाओं के तहत लोन लेकर बकरी पालन (Goat Farming) का बिजनेस शुरू किया और अपनी लगन से आज वह न केवल हर महीने ₹10,000 की आय अर्जित कर रही हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं। आइए, जानते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर सविता रजक ने कैसे न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी बल्कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का सपना भी साकार किया।
सविता रजक का सपना था कि वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारें और बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने में सहयोग करें। इस सपने को सकारा करने के उद्देश्य से उन्होंने बिहान योजना (Bihaan Yojana) के तहत महिला ग्राम संगठन से जुड़कर अपने स्वरोजगार की शुरुआत की। महिला ग्राम संगठन के माध्यम से उन्हें बैंक लिंकेज के अंतर्गत ₹50 हजार और पीएम मुद्रा लोन योजना के तहत एक लाख रुपए का वित्तीय सहयोग मिला। इस तरह इन दोनों सरकारी योजनाओं से उन्हें कुल ₹1.50 लाख का लोन प्राप्त हुआ। इस राशि से सविता रजक ने बकरी पालन शुरू किया। अब उन्हें इससे प्रति माह लगभग 10 हजार रुपए की आय हो रही है, जो उनके परिवार की आर्थिक जरूरतों और बच्चों की पढ़ाई में मददगार साबित हो रही है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि सूक्ष्म उद्यमों को बिना गारंटी के ₹10,000 से लेकर ₹10 लाख रुपए तक का लोन मिलता है। इस ऋणों को पीएमएमवाई के तहत वाणिज्यिक बैंकों, आरआरबी, लघु वित्त बैंकों, एमएफआई और एनबीएफसी द्वारा दिया जाता है। इससे उन युवाओं और महिलाओं को विशेष प्रोत्साहन मिलता है, जो छोटे कारोबार शुरू कर आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। इसी प्रकार, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन “बिहान योजना ” महिला ग्राम संगठनों को स्व-रोजगार के लिए बैंक लिंकेज और क्रेडिट की सुविधा प्रदान करती है। समुदाय आधारित संस्थाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई बिहान योजना- छतीसगढ़, गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने का अवसर प्रदान करती है।
सविता रजक का कहना है कि बिहान योजना (छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन) और पीएम मुद्रा लोन योजना (पीएमएमवाई) के बिना यह संभव नहीं था। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार का आभार व्यक्त हुए बताया कि उन्हें इसके अलावा, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत गैस सिलेंडर, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत पक्का घर और महतारी वंदना योजना के माध्यम से हर महीने ₹1000 की वित्तीय सहायता भी मिली हैं। सरकार की इन योजनाओं से मजूबत सहारा मिला है और जीवन स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सविता रजक का कहना है कि वे इस व्यवसाय को और आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं ताकि और अधिक मुनाफा अर्जित कर सकें।
बकरी पालन कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें कम निवेश पर बकरियों की पालन इकाई स्थापित कर खुद का स्वरोजार बनाया जा सकता है। बकरियों से दूध, मांस और जैविक खाद आदि मिलते है, जिनकी बाजार में मांग अधिक होती है। यह विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत है। बकरी पालन कम जगह से शुरू किया जा सकता है। यह व्यवसाय ग्रामीण महिलाओं और युवा किसानों के लिए रोजगार का साधन बन सकता है। अच्छी वेंटिलेशन वाला पशु शेड, फीड (चारा), साफ पानी की सुविधा, चिकित्सा सुविधा और टीकाकरण जैसे जरूरी संसाधन की आवश्यकता बकरी पालन के लिए पड़ती है।
खास बात यह है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत बकरी पालन यूनिट स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी यूनिट क्षमता और लाभार्थी वर्ग के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राज्य में पशुधन मिशन चलाया जा रहा है, जिसमें बकरी पालन योजना का लाभ उठाकर पशुपालक स्व-रोजगार स्थापित कर सकते हैं। सरकार बकरी पालन के लिए सामान्य वर्ग को 25 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लाभार्थी को 33% अनुदान देती है।
प्रमुख सरकारी बैंक जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और कोऑपरेटिव बैंक, बकरी पालन के लिए आसान शर्तों पर लोन देते हैं। इसके अलावा, नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) की योजनाओं के अंतर्गत भी बकरी पालन के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध होती है। संबंधित बैंक की नजदीकी शाखा या उनके एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से संपर्क करें और लोन योजना की सभी जरूरी जानकारी हासिल करें। शुरुआत छोटे पैमाने पर 15-20 बकरियों से करना समझदारी भरा होता है, क्योंकि इससे लागत और जोखिम दोनों को संतुलित किया जा सकता है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरा जा सकता है। इसके साथ आधार कार्ड, बैंक पासबुक, भूमि का प्रमाण जैसे आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी स्थानीय पशुपालन विभाग या ग्राम पंचायत विकास अधिकारी से भी प्राप्त की जा सकती है।
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