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गाय के गोबर से करें बिजनेस, बिहार के किसान कमा रहा लाखों रुपए

गाय के गोबर से करें बिजनेस, बिहार के किसान कमा रहा लाखों रुपए
पोस्ट -23 जून 2023 शेयर पोस्ट

गाय के गोबर से लाखों की कमाई, मिलेगी कम मेहनत में लाखों रुपये कमाने का मौका

कीटनाशकों और रसायनिक खादों के ज्यादा उपयोग की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही है। रसायनिक खाद खेतों के जैव विविधता को खत्म करती है। खेतों में मौजूद जीवों को कीटनाशकों से हानि पहुंचती है। यही वजह है कि लगातार इसके उपयोग से खेत बंजर होते चले जाते हैं। यही वजह है कि आज देशभर में किसान जैविक खाद के प्रति सकारात्मक रवैया अपना रहे हैं। देश-विदेश में उपभोक्ता भी अब लगातार जैविक उत्पाद की मांग कर रहे हैं। यही वजह है कि आज देश में हजारों किसान जैविक खेती कर रहे हैं और अपने उत्पाद को ज्यादा रेट में बेचकर काफी मुनाफा कमा रहे हैं। जैविक उत्पाद की बढ़ती मांग को देखते हुए चूंकि बहुत सारे किसान जैविक खेती की ओर अपना रुझान दिखा रहे हैं। यही वजह है कि जैविक खाद की मांग भी बढ़ रही है। बहुत सारे किसान ऐसे हैं जो खेती के साथ जैविक खाद का निर्माण कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

New Holland Tractor

ट्रैक्टर गुरु के इस पोस्ट में आज हम ऐसे किसान की सक्सेस स्टोरी लेकर आए हैं, जो बिहार के बेगूसराय से हैं और उनका नाम मुनिलाल महतो है। किसान मुनिलाल जैविक खाद का उत्पादन कर खेती से अच्छी कमाई तो कर ही रहे हैं, साथ ही खाद बेचकर भी सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं।

कैसे प्रसिद्ध हुए जैविक मैन, क्या है सफलता की कहानी

किसान मुनिलाल महतो को पूरे इलाके में जैविक मैन के नाम से जानते हैं। साल 2013 से ही वे जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक विधि से उत्पादन करने के बाद बाजार में मुनिलाल जी को उनके उत्पाद का अच्छा रेट मिल जाता है। यही वजह है कि आज सैकड़ों किसान उनसे ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग लेने आते हैं और मुनिलाल जी के साथ अपने खेत की मिट्टी को सुरक्षित करते हुए, पोषित रखते हुए अच्छी आमदनी कर पाते हैं। 

कितना हुआ फायदा

जब मुनिलाल रासायनिक खाद से खेती कर रहे थे तो उनकी मिट्टी की उर्वरा शक्ति का काफी ह्रास हुआ। धीरे धीरे उत्पादन बेहद कम होने लगा। जिसके बाद उन्होंने जैविक खेती के बारे में जानकारी जुटाई और अपनी खेती को जैविक खेती की ओर शिफ्ट की। जिसके बाद शुरुआती दिनों में थोड़ा संघर्ष रहा लेकिन 1 साल के बाद उत्पादन अच्छा होने लगा। धीरे धीरे उत्पादन इतना बढ़ा कि रसायनिक खेती से होने वाले उत्पादन के बराबर उत्पादन होने लगा। बाजार में किसान मुनिलाल जी के उत्पाद का रेट सवा गुना से डेढ़ गुना तक मिलने लगा। इस तरह उनकी आमदनी काफी अच्छी होने लगी। इतना ही नहीं इन उत्पादनों का इतना सकारात्मक प्रभाव हुआ कि आसपास के किसान भी मुनिलाल महतो से प्रभावित हुए और उन्होंने भी जैविक विधि से खेती शुरू की। बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के किसान प्रमोद महतो ने बताया कि उन्होंने भी मुनिलाल जी के सफलता से प्रभावित होकर जैविक खेती शुरू की। अभी उनकी भी इनकम पहले से काफी बढ़ गई है। बाजार में उत्पाद के अच्छे दाम मिलते हैं। 

जैविक विधि से खेती के अलावा खाद का भी कर रहे हैं उत्पादन 

किसान मुनिलाल महतो जैविक विधि से खेती के अलावा जैविक खाद का उत्पादन भी बड़े स्तर पर कर रहे हैं। इससे वे अपनी खेती के लिए खाद पैदा करते ही हैं। लेकिन दूसरे किसानों की जरूरत को भी पूरा करते हैं। इससे भी उन्हें काफी फायदा हो रहा है। किसान प्रमोद महतो ने बताया कि आज वे वर्मी कंपोस्ट बड़ी मात्रा में तैयार कर रहे हैं और इसके अलावा वह फ्लाइश खाद का प्रोडक्शन भी बड़ी मात्रा में कर रहे हैं। इससे भी काफी अच्छी इनकम हो पा रही है। चूंकि जैविक किसान लगातार प्रदेश में बढ़ रहे हैं, लोग जैविक खाद के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए आने वाले भविष्य में भी इस खाद का उत्पादन बिजनेस का एक अच्छा स्रोत साबित होने वाला है।

किसानों को कितना होता है फायदा

मुनिलाल महतो के मुताबिक मार्केट में अभी रसायनिक खाद का रेट 40 रुपए प्रति किलोग्राम है। लेकिन जैविक उर्वरक काफी सस्ती है। मात्र 6 रुपए प्रति किलो जैविक उर्वरक मिल जाते हैं। इस तरह किसानों को इस उर्वरक के उपयोग से काफी फायदा है। एक तो ये काफी सस्ता है, वहीं दूसरी ओर इसे बड़ी मात्रा में उपयोग में लाकर खेतों की उर्वरा शक्ति और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा किसानों को जैविक खेती में एक और फायदा ये है कि जहां रसायनिक खाद का उपयोग करने पर फसल में 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है वहीं जैविक खेती में 3 सिंचाई में ही काम हो जाता है। इस तरह खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है। 

अतिरिक्त कमाई

खेती के अलावा प्रगतिशील किसान जैविक उर्वरक का निर्माण बड़े स्तर पर करते हैं। अपनी जरूरत के मुताबिक दो एकड़ जमीन पर वे जैविक खाद का उपयोग करते हैं। बाकी उर्वरकों को वह बेचकर अतिरिक्त आय करते हैं। कीटनाशक के तौर पर गोमूत्र, नीम युक्त जल आदि का उपयोग करते हैं और उन्हें भी सेल कर देते हैं। इस तरह मुनिलाल सालाना 60 हजार रुपए से ज्यादा अतिरिक्त शुद्ध मुनाफा कमा पाते हैं।

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