सफल किसान (successful farmer) : पुणे जिले के सिंगापुरा गांव के निवासी अभिजीत गोपाल लवांडे की नौकरी कोरोना महामारी काल के दौरान छूट गई। इस कठिन समय में कोई कामकाज नहीं होने पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खेती पर ध्यान दिया। अभिजीत ने अंजीर की फसल से सालाना 10 लाख रुपए का मुनाफा कमाया। इसके साथ ही वह मुश्किल दौर में हताश होकर बैठने वाले युवाओं के लिए मिसाल भी बन गए हैं। सिंगापुरा गांव के सफल युवा किसान अभिजीत गोपाल लवांडे बताते हैं कि नौकरी छूटने के बाद उन्होंने अंजीर की खेती शुरू, जिसका लाभ उन्हें अब हर साल मिलना शुरू हो गया है। वह अंजीर फसल के उत्पादन से सालाना लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा, वे अपने आस-पास के इलाकों के किसानों को अंजीर की खेती की जानकारी भी दे रहे हैं, तो चलिए ट्रैक्टर गुरू के इस लेख के माध्यम से इस प्रगतिशील युवा किसान की सफलता की पूरी कहानी के बारे में जानते हैं।
महाराष्ट्र का पुणे जिला कृषि के लिए पूरे देश में मशहूर है। पुणे जिले का पुरंदर तालुका अंजीर व सीताफल की खेती के लिए देशभर में अग्रणी माना जाता है। पुरंदर तालुका के सिंगापुर गांव के निवासी प्रगतिशील युवा किसान अभिजीत गोपाल लवांडे ने इसी खेती का मुनाफा लिया। अभिजीत लवांडे ने 30 बीघा जमीन पर अंजीर की खेती से 14 टन अंजीर उत्पादन किया। इस उत्पादन से उन्होंने 10 लाख रुपये का मुनाफा कमाया। इसके बाद अभिजीत की गिनती इलाके के सफल किसानों में होने लगी है। अभिजीत लवांडे पुणे के पास सासवड में एक कंपनी में काम करता था तथा उनके पिता और चाचा के पास नौ एकड़ पुश्तैनी खेत है। कोरोना महामारी में जब अभिजीत की नौकरी चली गई, इसके बाद उन्होंने खेती पर ध्यान लगाया। आधुनिक तकनीक की मदद से अभिजीत ने बारहमासी बागवानी की खेती की। इसके लिए कृषि विभाग से उन्हें खेत के लिए 3.30 लाख रुपए का अनुदान भी मिला था।
कोरोना महामारी के कठिन समय में अभिजीत ने अपनी नौकरी गंवा दी। इसके बाद उन्होंने पारंपरिक खेती के स्थान पर आधुनिक तकनीक से खेती करने की ओर ध्यान दिया। अभिजीत ने चार एकड़ जमीन पर अंजीर, तीन एकड़ जमीन पर सीताफल और पांच एकड़ जमीन पर जामुनी फलों के पेड़ लगाए। उन्होंने इन पेड़ों में रासायनिक खाद के स्थान पर ऑर्गेनिक खाद (organic Fertilizer) का उपयोग किया। उन्होंने चार एकड़ जमीन पर पुना पुरंदर प्रजाति के 600 अंजीर के पेड़ लगाए और खट्ट बहार किस्म के लिए 30 बीघा जमीन पर अंजीर के पेड़ लगाए। इनमें युवा किसान अभिजीत ने कड़ी मेहनत कि उनकी मेहनत रंग लाई। खट्ट बहार के लिए 30 बीघा जमीन में लगाए गए पेड़ों ने उनकी किस्मत चमा दी। अंजीर के इन पेड़ों की जून महीने में छंटाई करने के बाद करीब साढ़े चार महीने बाद फलों की तुड़ाई शुरू हो गई। जिसमें हर पेड़ से अभिजीत को 100 से 120 किलोग्राम अंजीर उत्पादन मिला।
अभिजीत और उनके परिवार वालों को 30 बीघा जमीन से 14 टन खट्ट बाहर अंजीर का उत्पादन मिला, जिसे उन्होंने पुणे, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में 100 रुपए प्रति किलो के भाव से बेचा। इससे अभिजीत के परिवार को साल में लगभग 10 लाख से अधिक का मुनाफा हुआ। इस सीजन में अंजीर का भाव 80 से 100 रुपए प्रति किलो था। मीठा बहार का फल 85 रुपए प्रति किलो भाव तक बिका।
अभिजीत और उनके परिवार वालों के पास नौ एकड़ की पुश्तैनी जमीन है, जिसमें उनके परिवार वाले पारंपरिक तरीके से टमाटर, बैंगन, पावटा और अलग-अलग तरीके की सब्जियों की खेती करते थे। अतिवृष्टि और अकाल के कारण लवांडे परिवार को सब्जियों की खेती में कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेनिक जब से अभिजीत ने खेती में ध्यान दिया तब से वे सिर्फ अंजीर की खेती कर रहे हैं, जिससे उनके परिवार को काफी फायदा हो रहा है।
अभिजीत और उनके परिवार वालों की कड़ी मेहनत अब रंग ला रही है। अंजीर मीठे होने की वजह से उनके रिश्तेदार अंजीर के पौधे मांगने लगे। रिश्तेदारों की मांग पर जब उन्होंने अंजीर पौधे तैयार किया तो आसपास के किसान भी उनसे पौधों की मांग करने लगे। इससे अभिजीत लवांडे के परिवार को नए कारोबार की तरकीब सूझी। उन्होंने अंजीर के पेड़ों की कटाई करने के बाद उसकी शाखाओं से नए पौधे तैयार करने का नया करोबार शुरू कर दिया और आसपास के किसानों को पौधे बेचने लगे। अब उनके पास लगभग 10 हजार से अधिक तैयार अंजीर के पौधे हैं।
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