Rabi season 2025-26 : राज्यों में आगामी रबी सीजन 2025-26 के लिए गेहूं, चना और सरसों सहित अन्य फसलों की खरीद के लिए सभी तैयारियां शुरू हो चुकी है। खरीद केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) पर फसल बेचने के लिए किसान रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी चालू है। इस बीच मध्यप्रदेश सरकार ने उपार्जन नीति से जुड़ी व्यवस्था पर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने के लिए इस बार रबी सीजन (Rabi season 2025-26) में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी (MSP) पर गेहूं खरीदी में महिलाओं की सीधी भागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रावधान किया है। इसके तहत, महिला स्व-सहायता समूहों (Women Self Help Groups) और ग्राम संगठनों (Village Organizations) से जुड़ी महिलाओं को समर्थन मूल्य (support price) पर गेहूं का उपार्जन कार्य दिया जाएगा। सरकार ने नई उपार्जन नीति (procurement policy) व्यवस्था तैयार कर, नियम और शर्तें भी निर्धारित कर दी है।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया है कि सरकार ने फैसला किया है कि मध्यप्रदेश में इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी कार्य में महिलाओं की सीधी भागीदारी होगी। नई उपार्जन नीति (Procurement Policy) में महिला स्व-सहायता समूहों और ग्राम संगठनों को उपार्जन कार्य दिया जाएगा। इसके लिए नियम और शर्तें तय कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि यह पहल प्रदेश की महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है।
खाद्य मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि मध्यप्रदेश में 15 मार्च से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है, जो 5 मई 2025 तक चलेगी। गेहूं बेचने के लिए किसान अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य करा लें। बिना पंजीयन के खरीद नहीं होगी। उन्होंने बताया कि गेहूं की खरीद करने के लिए सरकार द्वारा 2648 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर बिक्री के लिए करीब 10 लाख 20 हजार 224 किसानों ने पंजीयन कराया है। खाद्य मंत्री ने जानकारी दी कि इस बार किसानों को गेहूं की खरीद के लिए प्रति क्विंटल 2600 रुपए का भाव दिया जा रहा है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए है और राज्य सरकार की ओर से 175 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया जा रहा है।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ने बताया कि सरकार ने महिला स्व-सहायता समूहों और ग्राम संगठकों को उपार्जन का काम देने के लिए नियम और शर्तें तय कर निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत लाभ केवल उन्हीं महिला समूहों को मिलेगा, जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) के तहत रजिस्टर्ड और एक जनवरी 2025 तक कम से कम 1 वर्ष पुराने हैं। समूह या संगठकों के बैंक खाते में कम से कम 2 लाख रुपये जमा होना अनिवार्य है। बीते एक साल में नियमित बैठकें हुई हों और समूह का संचालन पूरी तरह महिलाओं के हाथ में हो। इसके अलावा, पहले के किसी उपार्जन कार्य में अनियमितता नहीं हुई हो।
निर्धारित नियम के अनुसार, महिला समूहों को आवेदन के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे, जैसे—
खाद्य मंत्री ने बताया है कि महिला स्व-सहायता समूहों, ग्राम संगठकों को उपार्जन का कार्य देने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की सिफारिश अनिवार्य होगी। समूहों का चयन तय प्रक्रिया के अनुसार ही किया जाएगा। महिला स्व-सहायता समूहों (Women Self Help Groups) को उपार्जन कार्य के लिए सरकार की ओर से कंप्यूटर ऑपरेटर का मानदेय मिलेगा। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार द्वारा तय कमीशन और अन्य खर्चों की भरपाई भी की जाएगी।
खाद्य , नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि यदि यह योजना सही ढंग से लागू हुई, तो इसका सीधा फायदा ग्रामीण महिलाओं को मिलेगा। वे उपार्जन (सरकारी खरीद) प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगी, संगठित कामकाज सीखेंगी और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकेंगी। लेकिन, यह देखना अहम होगा कि चयन और क्रियान्वयन में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो, जिससे महिलाओं को इसका पूरा फायदा मिले।
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