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गाय-भैंस दुग्ध उत्पादन इकाई पर पशुपालकों को ₹42 लाख तक की सब्सिडी

गाय-भैंस दुग्ध उत्पादन इकाई पर पशुपालकों को ₹42 लाख तक की सब्सिडी
पोस्ट -12 अप्रैल 2025 शेयर पोस्ट

पशुपालकों के लिए खुशखबरी, गाय या भैंस की दुग्ध उत्पादन इकाई स्थापित के लिए सरकार देगी 42 लाख रुपए तक की सब्सिडी

Subsidy on raising cows and buffaloes 2025 :  दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। पशुपालन क्षेत्र के लिए पहले से क्रियान्वित योजनाओं को नए रूप में लागू कर गाय-भैंस पालने वाले पशुपालकों को लाभान्वित किया जा रहा है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के पशुपालकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए “डॉ. भीमराव आंबेडकर दुग्ध उत्पादन योजना” को मंजूरी दी है। यह योजना पहले “मुख्यमंत्री पशुपालन योजना” के नाम से संचालित थी। वहीं, सरकार ने गौशाला की गायों के लिए दी जाने वाली राशि 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए प्रतिदिन कर दी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने पशुपालन योजना को नए स्वरूप में लागू करने का फैसला किया। गौशाला में प्रति गाय दी जाने वाली राशि 20 की बजाय अब 40 रुपए होगी। साथ ही पूरे राज्य में पीपीपी मोड पर गौ विहार का निर्माण किया जाएगा। सरकार की इस नई योजना से प्रदेश में गाय-भैंस पालने वाले पशुपालकों को बड़ा फायदा होगा। सरकार इस योजना के तहत पशुपालकों को 42 लाख रुपए तक की सब्सिडी देगी।  

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पशुपालकों को कितना मिलेगा अनुदान? (How much subsidy will livestock farmers get?)

प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग की “पशु विकास योजना” (pashu vikas yojana) का नाम बदलकर डॉ. अंबेडकर के नाम पर किया है। इस नई योजना के तहत प्रदेश में 25 गाय या भैंस पालकर दुग्ध उत्पादन इकाई स्थापित करने वाले पशुपालकों को अनुदान दिया जाएगा। इसके तहत एससी और एसटी वर्ग के लाभार्थियों को 33 प्रतिशत, जबकि अन्य वर्गों के पशुपालकों को 25 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। योजना के तहत एक इकाई की अनुमानित लागत 42 लाख रुपए और एक व्यक्ति अधिकतम आठ इकाइयां यानी 200 पशु रख सकता है। इसके साथ ही, गोशालाओं के लिए प्रति गाय दैनिक सहायता राशि 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए कर दी गई है। 

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुबंध (Contracts of National Dairy Development Board)

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि यह फैसला 13 अप्रैल को भोपाल में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में होने वाले सहकारी दुग्ध उत्पादक गोपाल सम्मेलन से पहले लिया गया है। आगामी 13 अप्रैल को अमित शाह की उपस्थिति में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और राज्य शासन एवं दुग्ध संघों के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर होंगे। मुख्यमंत्री और अधिकारियों ने बताया कि गोशालाओं को आत्मनिर्भरता बनाने के लिए 30 दुधारू नस्ल के गोवंश रखने की अनुमति दी जाएगी। 

स्वावलंबी गोशाला स्थापना नीति को भी मंजूरी (Self-reliant cowshed establishment policy also approved)

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कैबिनेट ने निराश्रित गोवंश के लिए स्वावलंबी गोशाला स्थापना नीति 2025 को भी मंजूरी प्रदान की है। प्रदेश में 8.54 लाख निराश्रित गोवंश हैं, जिनके प्रबंधन के लिए निजी निवेश से बड़ी गोशालाएं बनाई जाएंगी। 5 हजार से अधिक गोवंश के लिए शासकीय भूमि उपलब्ध होगी और एक हजार से अधिक गोवंश की क्षमता बढ़ाने पर 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन दी जाएगी। गोपालक संस्थाएं 30 प्रतिशत से अधिक दुधारू गोवंश (मवेशी) रख सकेंगी। 50 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली संस्थाओं के साथ अनुबंध किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि केंद्र की ओर से मध्यप्रदेश को 4 हजार करोड़ से अधिक की सौगातें मिलीं। इस राशि को प्रदेश में पशुपालन क्षेत्र एव अन्य विकास कार्य के लिए खर्च किया जाएगा। 

दुधारू पशु प्रदाय योजना (Dairy cattle supply scheme)

गरीब एवं कमजोर वर्ग के लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में दुधारू पशु प्रदाय योजना संचालित कर रही है। इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को अनुदान पर दुधारू पशु (गाय या भैंस) उपलब्ध कराए जाते हैं। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवारों को लाभ मिलता है। प्रत्येक हितग्राही को अधिकतम 2 गाय की खरीद के लिए कुल 1,89,250/- रूपये में से 1,70,325/- रपये सरकार द्वारा अनुदान स्वरुप दिए जाएंगे। 2 भैंस की खरीद के लिए कुल 2,43,000/- रूपये में से 2,18,700/- रूपये सरकार द्वारा अनुदान स्वरुप दिए जायेंगे। बाकि बची धनराशि लाभार्थी को खुद से वहन करनी होगी। पशु की नस्ल एवं आयु के अनुसार अनुदान राशि निर्धारित की जाती है। हितग्राहियों को पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण भी इस योजना के तहत दिया जाता है।

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