MNREGA Animal Shed Scheme : पशुपालन ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा माध्यम है और यह दैनिक आय का सबसे अच्छा जरिया बनकर उभर रहा है। यहीं वजह है कि आज के समय में बेरोजगार युवाओं और किसान का रूझान पशुपालन की तरफ तेजी से हुआ है। लेकिन पशुपालन में किसानों को सबसे अधिक समस्या पशुओं के आवास को लेकर आती है। क्योंकि पशुधन के रख-रखाव के लिए सुविधायुक्त आश्रय (पशु शेड) बनवाने में सबसे अधिक खर्च आता है, जिसके कारण हर वर्ग के किसान अपने पशुओं के लिए पशु शेड नहीं बनवा पाते हैं। ऐसे में आप भी पशुपालक किसान है और अपने मवेशियों के लिए पशु शेड बनाना चाहते है और पैसों की व्यवस्था नहीं है, तो घबराने की कोई बात नहीं है। इस समस्या का हल हम इस लेख में लेकर आए है। इसमें हम आपको सरकार की उस योजना के बारे में बताएंगे, जिसका लाभ लेकर आप पशु शेड बनवा सकते हैं। इस योजना में आपको सरकार से अच्छी खासी आर्थिक सहायता पशु आवास के लिए मिलेगी। आइए, इस सरकारी योजना और इसमें आवेदन कैसे करें आदि से संबंधित सभी जानकारी के बारे में जानते हैं।
दरअसल, महात्मा गांधी नरेगा योजना (MNREGA Scheme) के तहत अनुमत कार्यों की श्रेणी ‘B’ के तहत पशुपालन के लिए बकरी आश्रय, शूकर आश्रय एवं कुक्कुट आश्रय आदि का निर्माण लाभार्थी की निजी भूमि पर कराए जाने का प्रावधान है। ऐसे में पशुपालन करने वाले किसान मनरेगा योजना (MNREGA Scheme) के अंतर्गत पशु आश्रय स्थल यानी पशु शेड बनवा सकते हैं। इस संबंध में राजस्थान के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने सोमवार को विधानसभा में बताया है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री ने विधानसभा में कहा कि फिलहाल राजस्थान राज्य सरकार द्वारा जनजाति वर्ग के पशुपालकों को पशुधन के रख-रखाव के लिए टीन शेड (animal shelter) निर्माण हेतु आर्थिक (Financial) स्वीकृति देने की कोई योजना राज्य पशुपालन विभाग में संचालित नहीं है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय बजट 2024-25 के लिए की गई घोषणा के तहत प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (Prime Minister's Tribal Advanced Gram Abhiyan) आरंभ किया जाना प्रस्तावित है। इस योजना के तहत पशुपालन विभाग द्वारा वन अधिकार अधिनियम (फॉरेस्ट राइट एक्ट) के माध्यम से जनजाति वर्ग के पट्टा धारकों को भेड़, बकरी, सूअर और मुर्गीपालन विकास के लिए अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा।
विधानसभा में विधायक गोपीचंद मीणा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा जनजाति श्रेणी के पशुपालकों को पशुधन खरीदने और उनके रख-रखाव हेतु शेड निर्माण के लिए जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा नियम प्रावधान बनाकर आर्थिक स्वीकृति देने की वर्तमान में कोई योजना संचालित नहीं है। उन्होंने कहा कि पशुपालकों को पशुधन खरीदने तथा पशुधन के रख-रखाव हेतु टिन शेड निर्माण कराने के लिए प्रस्ताव पशुपालन विभाग के माध्यम से प्राप्त होने पर उनकी जरूरतों को आवश्यकता, बजट की उपलब्धता और उपादेयता के तौर पर परीक्षण कर गुणावगुण के आधार पर चर्चा किया जा सकेगा।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा पशु शेड योजना की शुरुआत की गई है। जिसके माध्यम से किसानों एवं पशुपालकों को पशु शेड निर्माण करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत पशुपालकों की निजी भूमि पर पशुओं के लिए हवादार शेड, यूरिनल टैंक, नाद आदि के निर्माण के लिए 1.60 लाख रुपए की धनराशि वित्तीय सहायता के तौर पर दिए जाने का प्रावधान है। पशुपालक व किसान मनरेगा योजना के तहत शेड बनाने के लिए सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए पशुपालकों को योजना में आवेदन करना होगा। मनरेगा पशु शेड योजना में आवेदन करने के लिए पशुपालकों के पास कम से कम 3 संख्या में पशुधन होना आवश्यक है। हालांकि, केंद्र की इस योजना का लाभ अभी देश के 4 राज्यों जैसे- बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और पंजाब में रहने वाले पशुपालकों को दिया जा रहा है।
आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक विवरण के लिए बैंक खाता पासबुक, निवास प्रमाण पत्र, किसान पंजीयन, आधार लिंक सक्रिय मोबाइल नंबर और पैन कार्ड, पहचान पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेजों के साथ पशुपालक मनरेगा पशु शेड योजना में आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत आवेदक अपने नजदीकी सरकारी बैंक से संपर्क कर योजना का आवेदन फॉर्म भरकर आवेदन कर सकते हैं, जबकि एसबीआई या अन्य सरकारी बैंक की वेबसाइट से ऑनलाइन आवेदन फॉर्म डाउनलोड कर मांगी गई सारी जानकारियां भरकर सभी आवश्यक दस्तावेजों की कॉपी के साथ संबंधित बैंक की ब्रांच में देना होगा, इसके बाद बैंक द्वारा फॉर्म एवं उसके साथ संलग्न सभी दस्तावेजों की जांच कर योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान किया जाएगा।
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