महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने देश के ग्रामीण इलाकों में किसानों व बेरोजगारों को एक साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कई तरीकों से फायदा पहुंचाया है। मनरेगा योजना में टिकाऊ संपत्तियों का निर्माण किसानों का जीवन बदल रहा है। किसान मनरेगा योजना का फायदा उठाकर पशु शेड, कूप निर्माण व तालाब निर्माण कर सकते हैं। इन संपत्तियों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से सब्सिडी भी मिलती है। पशु शेड के निर्माण से जहां दुधारू पशुओं को रहन–सहन के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध होता है वहीं वे अधिक उत्पादक बनकर ज्यादा दूध देते हैं जिससे किसान की आय में वृद्धि होती है। कूप व तालाब निर्माण से किसानों को अब खेत में सिंचाई के लिए 12 महीने तक पानी मिलने लगा है जिससे वे पहले से ज्यादा फसलों की बुवाई कर रहे हैं। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट से जानें कि मनरेगा में कूप निर्माण कैसे किसानों का जीवन बदल सकता है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए निजी भूमि पर कूप (कुआं) निर्माण का प्रावधान है। यह योजना विशेष रूप से कमजोर वर्ग के किसानों के लिए है, ताकि वे अपनी असिंचित भूमि पर सिंचाई सुविधा प्राप्त कर सकें। लाभार्थियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, घुमंतू जनजाति, बीपीएल परिवार, महिला मुखिया वाले परिवार, शारीरिक रूप से विकलांग मुखिया वाले परिवार, भूमि सुधार के लाभार्थी, वनाधिकार पट्टा धारक, इंदिरा आवास के लाभार्थी, और लघु एवं सीमांत किसान शामिल हैं।
मनरेगा योजना न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करती है, बल्कि इससे बने पशु शेड, कूप और तालाब जैसे निर्माण किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में जब पानी की कमी बढ़ जाती है, ऐसे में मनरेगा से बने सिंचाई कूप किसानों को उनके खेतों में पानी उपलब्ध करवा रहे हैं। इस योजना के तहत किसानों को न सिर्फ सिंचाई की सुविधा मिल रही है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के विकास खंड बतौली की ग्राम पंचायत मंगारी के किसान राममिलन का अनुभव भी किसानों के काम आ सकता है। हितग्राही राममिलन ने अपनी निजी भूमि पर मनरेगा के तहत कुआं निर्माण कराया है। अब वे सालभर हर सीजन में फसल लेकर पहले से ज्यादा आमदनी कर रहे हैं। वे अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत हितग्राही मूलक कार्यों में कुआं निर्माण हेतु उन्होंने ग्राम पंचायत को आवेदन दिया था जिस पर ग्राम के तकनीकी सहायक द्वारा तकनीकी प्राक्कलन तैयार कर जनपद से जिले को भेजा गया और फिर वहां से कुएं के निर्माण के लिए उन्हें 2.99 लाख रुपए की राशि की स्वीकृति प्राप्त हुई, जिससे जल्दी ही कुएं का निर्माण कार्य पूरा हुआ। राममिलन के पास 04 एकड़ असिंचित जमीन थी, अब सिंचाई का साधन कुआं मिलने से उपयोग में आने लगी है। वे बताते हैं कि उनको अब धान का थरहा खरीदना नहीं पड़ता, पानी की सुविधा के कारण समय से धान लगाते हैं। इससे पूर्व में गेंहू की खेती नहीं कर पाते थे। वर्तमान में गेंहू की खेती के साथ आलू, अरहर, एवं मकई आदि की खेती भी कर पा रहे हैं। साथ ही फसल या सब्जियों की पैदावार के लिए साल भर पानी भी आसानी से अपने ही कुएं से मिलने लगा है। दैनिक कार्यों एवं सिंचाई में पानी की जरूरतें पूरी हो रही हैं।
मनरेगा के तहत सिंचाई कूप और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए ग्राम पंचायत के माध्यम से आवेदन करना होता है, और ग्राम सभा से पारित होने के बाद कार्य की शुरुआत होती है। अधिक जानकारी के लिए, आप सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://dashboard.rural.nic.in/dashboardnew/mgnrega.aspx पर संपर्क कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में खेती में पानी की जरूरत और अधिक होती है, इसलिए इस योजना का लाभ गर्मी शुरू होने से पहले उठाना फायदेमंद रहेगा
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