PM Kisan Samman Nidhi Yojana Installment : देश में करोड़ों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) के माध्यम से आर्थिक सहायता मिल रही है। अब इस योजना के संबंध में एक महत्वपूर्ण खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि अब पीएम किसान योजना (PM Kisan Yojana) का लाभ भूमिहीन किसानों और खेतीहर मजूदरों (farm workers) को मिल सकता है। क्योंकि किसानों की आर्थिक सुरक्षा (Economic Security) को मजबूत करने के लिए संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने पीएम-किसान सम्मान निधि योजना का दायरा खेतीहर मजदूरों तक बढ़ाने की सिफारिश की है। कमेटी का मानना है कि देश की 55 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है, लेकिन इनमें से सभी भूमि धारक नहीं हैं। ऐसे में जमींदारों को ही वित्तीय सहायता देने की नीति से खेतीहर मजदूरों और भूमिहीन किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, समिति ने धान किसानों को पराली प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता देने की भी सिफारिश की है।
संसदीय समिति का कहना है कि अभी पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Nidhi Yojana) के माध्यम से केवल जमीन मालिक किसानों को 6 हजार रुपए सालाना वित्तीय सहायता दी जा रही है। यह राशि सीधे उनके डीबीटी बैंक खातों में भेजी जाती है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 14 करोड़ किसान परिवार पीएम-किसान योजना (PM-Kisan Yojana) का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन इनमें से सभी अपनी भूमि पर स्वयं खेती (Farming) नहीं करते। कई भूमिधारी किसान अपनी जमीन को पट्टे या लीज पर देकर भूमिहीन किसानों और खेत मजदूरों से खेती (cultivation) करवाते हैं। इसी को आधार मानने हुए, संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि सरकार को खेतीहर मजदूरों को भी इस योजना में शामिल कर लाभ देना चाहिए। समिति का कहना है कि खेत मजदूर, जो अक्सर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों से आते हैं, सरकार की नीतियों और योजनाओं में उपेक्षित रहते हैं।
इसके साथ ही संसदीय समिति ने “कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय” का नाम बदलकर “कृषि, किसान एवं खेतिहर मजदूर कल्याण मंत्रालय” करने का भी सुझाव दिया है। समिति का मानना है कि इस बदलाव से खेतीहर मजदूरों (farm workers) की समस्याओं को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होगी और उनके लिए बेहतर योजनाएं तैयार की जा सकेंगी। बता दें कि बीते दिन लोकसभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) के तहत उन सभी पात्र किसान परिवारों को सालाना 6,000 रुपए की आर्थिक सहायता राशि देने को तैयार है, जो अब तक इससे नहीं जुड़े हैं या इसके लाभ से वंचित है। इसके लिए सभी राज्य सरकारों से ऐसे किसानों को चिह्नित करने और उन्हें योजना से जोड़ने में केंद्र की सहायता करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि इस योजना के तहत ऐसे सभी किसानों को पिछले समय से बकाया राशि भी दी जाएगी। सरकार द्वारा प्रत्येक पात्र किसान परिवार को पीएम किसान योजना (PM Kisan Yojana) से जोड़ने के लिए कई उपाय भी किए गए हैं। मंत्रालय द्वारा किसान पोर्टल (PM Kisan Portal) और मोबाइल ऐप (Mobile App) विकसित किया है, ताकि पात्र किसानों को योजना का लाभ आसानी से मिल सके। सरकार का कहना है कि पोर्टल पर किसान अपना ऑनलाइन आवेदन कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से अपलोड कर दें, उनके नाम निश्चित तौर पर योजना में जोड़ दिए जाएंगे। राज्यों में कोई पात्र किसान आज भी बाकी रह गया हो, तो वो तुरंत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाएं, सबके खाते में आर्थिक सहायता राशि भेजी जाएगी। बता दें कि पात्र हितग्राहियों के पास कम से कम एक खेती योग्य भूमि होनी चाहिए तथा उनका ई-केवाईसी (e-KYC) पूरा होना चाहिए।
समिति का कहना है कि प्रत्येक फसल वर्ष में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे धान उत्पादक राज्यों में पराली जलाने (stubble burning) की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाता है और एनवायरनमेंट की क्षति होती है। किसानों के पास पराली प्रबंधन (stubble management) के लिए उचित संसाधन नहीं होते, इसलिए वे इसे जलाने के लिए विवश होते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए संसदीय समिति ने धान उत्पादक किसानों को पराली प्रबंधन के लिए ₹ 100 प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त आर्थिक सहायता राशि देने की सिफारिश की है, जो एमएसपी (MSP) के अतिरिक्त होनी चाहिए। किसानों को धान क्रय के समय यह राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जानी चाहिए, ऐसे सिफारिश संसदीय समिति ने सरकार से की है।
संसदीय समिति ने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि पराली प्रबंधन के लिए एक स्थिर मार्केट तैयार करना चाहिए, जिससे धान किसान पराली बेचकर अतिरिक्त आय कमा सकें। पराली (धान फसल अवशेष) का उपयोग बायो-सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस), एथेनॉल, थर्मल पावर प्लांट्स और ईंट भट्टों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है। इसके लिए सरकार कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन दें। प्रत्येक जिले में एक संयंत्र लगाया जाए, जहां फसल अवशेषों को ईंधन के रूप में बदला जा सके। किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएं, जिसके लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के तहत उन्हें प्रोत्साहन राशि दिया जाए।
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