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किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई संयंत्र के लिए 75 प्रतिशत तक का अनुदान

किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई संयंत्र के लिए 75 प्रतिशत तक का अनुदान
पोस्ट -21 जून 2025 शेयर पोस्ट

सूक्ष्म सिंचाई पद्धत्तियों को बढ़ावा : ड्रिप सिस्टम, स्प्रिंकलर सेट पर मिलेगा अनुदान, ऐसे करें आवेदन 

micro irrigation equipment Subsidy : किसानों के लिए बड़ी खुशबखरी है। सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही पानी की बर्बादी रोकने के लिए सरकार द्वारा आधुनिक सूक्ष्म सिंचाई पद्धत्तियों के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में सिंचाई दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सूक्ष्म सिंचाई मिशन पर “पर ड्राप मोर क्रॉप” योजना के तहत माइक्रो इरिगेशन कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र की स्थापना के लिए 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। इससे पानी की बचत करते हुए किसान अधिक फसल उत्पादन संभव कर सकेंगे। 

सरकार का उद्देश्य जल संरक्षण के साथ किसानों की सिंचाई लागत कम करना और पैदावार बढ़ाना है। किसानों को आधुनिक सिंचाई तकनीकों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को अपनाने पर यह अनुदान मिलेगा। इच्छुक किसान योजना में आवेदन कर योजना का लाभ जरूर उठाए। 

चलाया जा रहा है सूक्ष्म सिंचाई कार्यक्रम (Micro irrigation program is being run)

उद्यान विभाग बीकानेर के सह निदेशक मुकेश गहलोत ने इस संबंध पर जानकारी देते हुए बताया कि राज्य कृषि विभाग द्वारा सूक्ष्म सिंचाई मिशन पर “पर ड्राप मोर क्रॉप” योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन सेट लगाने भारी अनुदान दिया जा रहा है। स्वीकृत कार्य-योजना के अनुसार किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। इच्छुक किसान निर्धारित तिथि तक पोर्टल पर ऑलाइन आवेदन कर योजना का लाभ उठा सकते हैं। सूक्ष्म सिंचाई मिशन पर ड्राप मोर क्रॉप योजना के तहत ड्रिप क्लोज में 229.60 लाख, ड्रिप वाइड में 23.20 लाख, मिनी फव्वारा में 484.81 लाख व फव्वारा (स्प्रिंकलर) सिंचाई तकनीक के लिए 1384.05 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। उद्यान विभाग द्वारा किसानों को 2121.66 लाख रुपए अनुदान का लाभ स्वीकृत कार्य-योजना अनुसार दिया जाना है।

किसानों को मिलने वाला अनुदान लाभ (subsidy benefits to farmers)

सहायक निदेशक ने बताया कि सूक्ष्म सिंचाई उपकरण ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर तथा स्प्रिंकलर सेट की स्थापना पर लघु व सीमांत कृषक, एससी, एसटी, महिला कृषकों को योजना में निर्धारित इकाई लागत का 75 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 70 प्रतिशत इकाई लागत तक जो भी कम हो, अनुदान दिया जाएगा। सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों पर न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर एवं अधिकतम 5 हेक्टेयर तक प्रति कृषक अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। उद्यान विभाग द्वारा क्रियान्वित इस योजना का लाभ कृषक स्वयं या नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर राज किसान साथी पोर्टल पर लॉगिन कर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। आवेदक को आवेदन पत्र ऑनलाइन जमा किए जानें की प्राप्ति रसीद ऑनलाइन ही प्राप्त होगी। 

आवेदन कैसे करें? (how to apply?)

चालू वित्तीय वर्ष के लिए इच्छुक किसान सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र योजना का लाभ ले सकें, इसके लिए आवेदन के साथ भूमि की जमाबंदी नकल (6 महीने से अधिक पुरानी नहीं हो), आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, सिंचाई स्त्रोत प्रमाण पत्र या जल करार प्रपत्र, मृदा एवं जल परीक्षण रिपोर्ट तथा आपूर्तिकर्ता (पंजीकृत डीलर) से प्राप्त संयंत्र का प्रोफॉर्मा इन्वॉयस (कोटेशन) पत्रावली ऑनलाइन जमा कराना होगा। भौतिक सत्यापन में निर्धारित मापदंड के अनुसार सिंचाई संयंत्र सही पाये जानें पर प्रस्तावित अनुदान राशि का भुगतान सीधे लाभार्थी किसान के बैंक खाते में कर दिया जाएगा। अधिक जानकारी हेतु किसान राज किसान सुविधा ऐप डाउनलोड करें या संबंधित जिले के कृषि पर्यवेक्षक-सहायक कृषि अधिकारी से सम्पर्क करें। 

ड्रिप और फव्वारा से ज्यादा क्षेत्र में सिंचाई संभव (Irrigation is possible in more area through drip and sprinkler)

बता दें कि ड्रिप संयंत्र स्थापना से 70-80 प्रतिशत और स्प्रिंकलर (फव्वारा सेट) संयंत्र की स्थापना से 50 से 55 फीसदी पानी की बचत होती है। इन सूक्ष्म सिंचाई तकनीक से ज्यादा क्षेत्र में सिंचाई संभव है। ड्रिप सिंचाई तकनीक (टपक सिंचाई) में पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद पानी पहुंचाता है। इससे तीन गुना ज्यादा क्षेत्र में सिंचाई संभव है। पानी और पोषक तत्वों को बचाने में ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation) काफी मददगार है। खाद-उर्वरक जैसे पोषक तत्व इससे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है। वहीं, स्प्रिंकलर (फव्वारा) सिंचाई संयंत्र पानी की बचत और पौधों के लिए समान रूप से पानी पहुंचाने में मददगार है। सब्जियों और बागवानी फसलों की खेती में इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से होता है। स्प्रिंकलर सिंचाई में न केवल पौधों को उचित मात्रा में पानी मिलता है, बल्कि फसलों की अच्छी तरह से बढ़वार भी होती है। फव्वारा यानी स्प्रिंकलर सिंचाई के साथ ही खेत में उर्वरक, कीटनाशक का छिड़काव भी हो जाता है।

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