paddy diseases : वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते कई राज्यों में मौसम का मिजाज धीरे-धीरे बदल रहा है। वर्तमान में देश के कई स्थानों पर मौसम शुष्क बना रहने से दिन व रात के तापमान (temperature) में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है, जिससे धूप की तपिश भी तेजी देखी जा रही है। दिन में आसमान साफ रहने से लोगों को गर्मी का भी अहसास होने लगा है। वहीं, बदलते मौसम के मिजाज व अचानक तापमान में बढ़ोतरी ने रबी धान (rabi paddy) की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ा दी है। तापमान (temperature) में बढ़ोतरी से रबी धान (rabi paddy) की फसलों में कई तरह के कीट रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। तापमान और आद्रता में बढ़ोतरी मौसम में उतार-चढ़ाव के बीच कई स्थानों पर धान (paddy) की फसल में कई तरह के भंयकर रोगों के लगने की खबर सामने आ रही है। ऐसे में ओडिशा के संबलपुर जिले में रबी धान के खेतों में तना छेदक कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है। किसानों का कहना है कि रबी धान (rabi paddy) फसल में तना छेदक कीट रोग का बढ़ गया है, जिससे फसल प्रभावित हो रही है। अगर समय पर इन रोगों को नहीं रोका गया तो यह पूरी फसल को चौपट हो सकती है। खास कर हीराकुंड कमांड क्षेत्र में तना छेदक कीटों का प्रकोप सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। ऐसे में किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने किसानों को कीटनाशक के छिड़काव पर सब्सिडी देने का फैसला किया है। वहीं, कृषि विभाग द्वारा फसल को कीटों से बचाने के लिए सुझाव व उपाए बताए जा रहे हैं। आईए, जानते हैं कि राज्य के किन जिलों में फसल को कीट से नुकसान पहुंचा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि धान की फसल में तना छेदक (stem borer) कीटों का प्रकोप कोई नई बात नहीं है। फसल में अक्सर तना छेटक कीट रोग का प्रकोप दिखाई देता है। इस रोग के प्रकोप से प्रभावित पौधा कुछ ही दिनों में सूख कर नष्ट हो जाता है। तना छेदक कीट फसल के तने को अंदर से खाता है। इससे सूख जाता है। प्रकोप अधिक होने से पूरी फसल नष्ट हो जाती है। किसानों का कहना है कि तापमान (temperature) में वृद्धि होने से इसके संक्रमण में अचानक वृद्धि हो गई है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल बचाव के उपाय किए जा रहे है। हालांकि, नुकसान के आंकडे़ किस सीमा तक जाते हैं इसके बारे में अभी पता नहीं चल पाया है। हीराकुंड कमांड क्षेत्र के किसानों का दावा है कि, तना छेदक (stem borer) कीटों के हमले के कारण, धान के पौधों की जड़ें और तने पीले हो रहे हैं, जिसके पीछे तापमान (temperature) में अचानक बदलाव को कारण माना जा रहा है। इससे धान की फसल को भारी नुकसान हो रहा है और पैदावार प्रभावित होने कीआशंका है।
कृषि विभाग के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जमीनी स्तर के कर्मचारियों को प्रभावित क्षेत्र में तना छेदक (स्टेम बोरर) के प्रभाव के प्रसार पर एक फील्ड सर्वेक्षण कर 2 से 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, तना छेदक (stem borer) कीट के प्रकोप से फसलों के बचाने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर कीटनाशक भी उपलब्ध कराए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि महंगे होने के कारण आमतौर पर छोटे किसान कीटनाशी दवा नहीं खरीद पाते हैं। किसानों की इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने प्रभावित जिलों के कृषि विभाग सेवा प्रदाता एजेंसियों से किसानों को सब्सिडी पर कीटनाशक दवा देने के निर्देश दिए हैं।
तना छेदक कीट धान (paddy) की फसल को काफी नुकसान पहुंचाते है। प्रारंभिक अवस्था में इस रोग का नियंत्रण नहीं किया गया है, तो यह फसल की पैदावार को प्रभावित कर सकती है। तना छेदक (stem borer) कीट प्रारंभिक अवस्था में धान की फसल में करीब 20 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है। इसके बाद प्रकोप बढ़ाने के साथ यह फसल में 80 से 100 प्रतिशत तक नुकसान कर सकता है। इस कीट रोग से धान (paddy) की फसल को बचाने के लिए खड़ी फसल में स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 6 ग्राम और 350 से 400 ग्राम कॉपरआक्सिक्लोराइड 50 प्रतिशत दवा को 200 से 250 लीटर पानी मे घोलकर फसल पर छिड़काव करें। अगर फसल में रोग के लक्षण दिखाई दे तो यूरिया की टॉप डेसिंग कदापि ना करें। इसके नियंत्रण के लिए रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रोपिकोनाजोल 2 मिलीमीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
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